लखनऊ से अमेरिका नोकरी करने गए एक पत्रकार के घर पर धोखाधड़ी से हो गया कब्जा :अब पुलिस मांग रही उनसे जिंदा होने का सबूत

लखनऊ : 67 साल के विनोद घिल्डियाल पेशे से पत्रकार हैं। पहले वह लखनऊ में रहकर पत्रकारिता किया करते थे, लेकिन बाद में अमेरिका जाकर वहां बस गए। लेकिन इन दिनों उन्हें लखनऊ में उन्हें खुद के जिंदा होने का सबूत देने के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है। पहले उनका मकान गया, मकान हड़पने के लिए धोखाधड़ी करने वालों को सजा दिलाने के लिए जब उन्होंने लखनऊ पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई तो उन्होंने यह सोचा भी नहीं था कि यह कार्रवाई उनके लिए और बड़ी मुसीबत लेकर आ रही है। दरअसल पुलिस ने उन्हें जांच में ‘मृत’ घोषित कर दिया। अब उन्हें जिंदा होने का सबूत देने के लिए लखनऊ में हर जतन करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी इस मुद्दे पर वह मुलाकात कर चुके हैं। उन्होंने अधिकारियों को हिदायत भी दी, लेकिन लालफीता शाही से पार पाना इतना आसान नहीं होता।
मामला कुछ यूं है कि विनोद घिल्डियाल ने एलडीए में एक आवास आवंटित करने के लिए आवेदन किया।उनके आवेदन पर कार्यवाही करते हुए अक्टूबर 1984 में आवास विकास ने गोमतीनगर में उन्हें एक आवास आवंटित भी कर दिया । इसी बीच नौकरी के सिलसिले में विनोद को 1985 में अमेरिका जाना पड़ गया, तब तक उस आवास की रजिस्ट्री नहीं हो पाई थी। उन्होंने मकान को अपने ही परिवारीजन के जिम्मे कर अमेरिका चले गए। विनोद जब वर्ष 2003 में भारत आए और अपने नाम आवंटित फ्लैट के बाबत एलडीए से रजिस्ट्री के लिए संपर्क किया तो पता चला कि नाम उनका लेकिन फोटो किसी और का लगाकर उस मकान की रजिस्ट्री हो चुकी है।
रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े का पता चलने पर विनोद ने तत्कालीन एलडीए वीसी से मुलाकात की तो मामले की जांच हुई। जांच में एलडीए के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आई। एलडीए ने अपने कर्मचारियों को बचाने के लिए विनोद और उनकी पत्नी के नाम उस फ्लैट की एक संशोधित रजिस्ट्री कर दी।
इसके बाद विनोद फिर अमेरिका चले गए। जब वर्ष 2019 में वे फिर से भारत आए और अपना मकान पाने की कोशिश में लगे तो पता चला कि उनकी फोटो लगाकर किसी ने उक्त मकान के बाबत एक गिफ्ट डीड लिखवा कर पुनः उस पर कब्जा कर लिया है।उन्होंने अपना मकान वापस पाने तथा आवास विकास के कर्मचारियों की इस भ्र्ष्टाचार रूपी करतूत की जांच हेतु मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। मुख्यमंत्री के आदेश पर जांच शुरू हुई तो पता चला कि इस बार उनका डमी तैयार कर फर्जी गिफ्ट डीड करवा ली गई है। फर्जी गिफ्ट डीड का पता चलने पर विनोद ने पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई। इसके बाद वह फिर अमेरिका चले गए। विनोद का कहना है कि वर्ष 2022 में जब वे अमेरिका से भारत आए और मामले की जानकारी ली तो पता चला कि पुलिस ने उन्हें अपनी जांच में मृत दिखा दिया है। अब शिकायत करने जाने पर पुलिस उनके जिंदा होने का प्रमाण मांग रही है। विनोद ने अपने जिंदा होने के तौर पर पुलिस को अपना पासपोर्ट और अपनी यात्रा के प्रमाण सौंपे हैं।देखना दिलचस्प होगा कि मकान की आस में भटकते विनोद क्या पुलिस फाइलों में मृत से जीवित हो मकान पा लेते हैं अथवा पुलिस फाइलों में मर चुके विनोद के घर पर मरी हुई आत्मा का कोई कब्जा जमाए व्यक्ति ही काबिज रहता है ?