लखनऊ ।राजेंद्र द्विवेदी । भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के अगले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर किसे पेश करेगी, पार्टी के कई नेता बार-बार ये सवाल उठा रहे हैं । उत्तर प्रदेश सरकार में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेताओं के आधिकारिक बयानों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की स्वाभाविक दावेदारी पर सवालिया निशान लगाया । उसके पहले मीडिया रिपोर्टों और राजनीतिक चर्चाओं में योगी आदित्यनाथ से पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की नाराज़गी का मुद्दा भी लगातार छाया रहा । अभी ये सवाल पूरी तरह सुलझा भी नहीं है कि भावी उप मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर भी दावेदारी शुरू हो गई है । उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने मांग की है कि उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में ‘उप मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया जाए.।संजय निषाद ने दावा किया है कि भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें ‘एक कैबिनेट पोस्ट और राज्यसभा सीट देने का वादा किया था । निषाद ने चेतावनी दी है कि अगर ‘वो हमें ठेस पहुंचाएंगे तो वो भी खुश नहीं रहेंगे
They (BJP) had promised us Cabinet post & Rajya Sabha seat. I should be deputy chief minister’s face in 2022 Assembly elections. If they’ll hurt us then they’ll will also not stay happy. We’re struggling for our reservation issue: National president Sanjay Nishad, Nishad party
हालिया दिनों में ये पहला मौका नहीं है जब संजय निषाद चर्चा में रहे हों । जब से भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई में दिक्कतों की चर्चा शुरू हुई है तब से निषाद किसी न किसी वजह से ख़बरों में रहे हैं । ख़ासकर बीजेपी के प्रमुख नेताओं से मुलाक़ात को लेकर. एक संयोग ये भी है कि हाल में निषाद की उन्हीं मुलाक़ातों की ज़्यादा चर्चा हुई है जहां वो बीजेपी ऐसे नेताओं से मिले जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देखे जा रहे हैं ।
निषाद ने बुधवार को उप मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी जाहिर की. उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बुधवार को ही निषाद के साथ मुलाकात की तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट की. मौर्य ने इसे ‘शिष्टाचार मुलाक़ात’ बताया . निषाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की.
A K Sharmaनिषाद समाज के प्रिय नेता, पार्टी सुप्रीमो एवं फ़िशरमैन समाज के पोलिटिकल गाडफादर माननीय डा० संजय कुमार निषाद एवं संत कबीर नगर से लोकप्रिय सांसद श्री प्रवीण निषाद जी से शुभेच्छा मुलाक़ात हुई। इन समाज के लोगों के विकास हेतु साथ में कार्य करेंगे। ‘सबका साथ-सबका विकास
इसके पहले 10 जून को जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के लिए दिल्ली में थे, उसी दिन हाल में बीजेपी में शामिल हुए पूर्व नौकरशाह ए के शर्मा ने निषाद और उनके सांसद बेटे प्रवीण निषाद से मुलाक़ात की तस्वीरें जारी की थीं. ए के शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है और उन्हें हाल में भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है.
संजय निषाद राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार योगी आदित्यनाथ की मुश्किल बढ़ाकर ही चर्चा में आए थे. योगी आदित्यनाथ जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने गोरखपुर की अपनी लोकसभा सीट से इस्तीफ़ा दे दिया. इस पर हुए उप चुनाव में संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद ने समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा और योगी आदित्यनाथ की परंपरागत सीट हासिल करने में कामयाब रहे.
इसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए बड़ा झटका माना गया. बाद में निषाद बीजेपी के पाले में आ गए और उनके बेटे प्रवीण निषाद 2019 लोकसभा चुनाव में संत कबीर नगर से बीजेपी की टिकट पर सांसद चुने गए.
एक बार फिर निषाद ऐसे समय में चर्चा में हैं, जब पार्टी के अंदर और बाहर योगी आदित्यनाथ को लेकर अटकलों का बाज़ार गर्म है. विरोधी दल भी इसे लेकर सवाल उठा रहे हैं.
समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल वर्मा कहते हैं कि बीजेपी के अंदर सब ठीक नहीं है.
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उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के अंदर सब ठीक नहीं है. भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाएगी.”
उत्तर प्रदेश में सवालों की सबसे ज़्यादा बौछार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर ही हो रही है. बीते कई हफ़्तों से वो हालात संभालने में जुटे हैं. जून के दूसरे हफ़्ते में वो दिल्ली गए और बताया कि उन्होंने ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का मार्गदर्शन लिया.’
योगी आदित्यनाथ चार साल में पहली बार मंगलवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के घर पहुंचे. इसे सुलह की कोशिश के तौर पर देखा गया. लेकिन अब उत्तर प्रदेश में एक और सवाल सामने है. लेकिन क्या ये सवाल योगी आदित्यनाथ के लिए है या फिर इस बार जवाब बीजेपी के दूसरे नेताओं को तलाशना है.