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यह है पंचायत राज विभाग जहाँ जिलाधिकारी बदलते ही बदल जाते हैं पुराने आदेश व विभागीय नियम

सोनभद्र। जनता दल यूनाइटेड के जिलाध्यक्ष संतोष पटेल एडवोकेट ने जिलाधिकारी को भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि ‘ तत्कालीन जिलाधिकारी टीके शिबू ने विभिन्न शासनादेशों के क्रम में गत 2 दिसम्बर 2021 को एक आदेश जारी कर व्यवस्था दी थी कि यदि जिले में एडीओ (पंचायत) की पद के सापेक्ष कमी है तो जिले के वरिष्ठतम ग्राम पंचायत अधिकारियों को प्रभार दिया जाय और उन्होंने उक्त आदेश में जिले में कुछ कनिष्ठ ग्राम पंचायत सचिव जो प्रभारी एडीओ पंचायत के पद पर कार्यरत थे उन्हें हटाते हुए शासनादेश में दी गयी व्यवस्था के अनुरूप जिले में तैनात सीनियर सचिवों को प्रभारी एडीओ पंचायत के पद पर तैनाती का आदेश जारी किया था।परन्तु उनके जिले से जाते ही पंचायत विभाग द्वारा उक्त वरिष्ठतम सचिवों को हटाते हुए उनकी जगह पर विभाग के कुछ चहेते कनिष्ठतम सेक्रेटरी जो विभाग के लिए कामधेनु गाय बन चुके हैं को प्रभारी एडीओ पंचायत का प्रभार दिए जाने संबंधी आदेश जारी कर उन्ही सचिवों को जिन्हें पुराने जिलाधिकारी ने हटाते हुए उनसे वरिष्ठतम सचिवों को तैनाती दी गयी थी।

संतोष पटेल ने जिलाधिकारी को भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि वरिष्ठतम ग्राम पंचायत अधिकारियों को प्रभार न देते हुए , उनसे कनिष्ठतम ग्राम पंचायत अधिकारियों को प्रभार सौंपा जाना शासनादेश / पंचायत राज निदेशालय के आदेशों का उल्लंघन है।उन्होंने पत्र में जिलाधिकारी को लिखे पत्र में यह भी आरोप लगाया है कि वरिष्ठता क्रम में नीचे होने के बावजूद जिन भी कनिष्ठतम सचिवों को एडीओ का प्रभार दिया गया है उक्त सचिव किसी न किसी भ्र्ष्टाचार के आरोप में अभी जांच का सामना कर रहे हैं और उनकी अनंतिम बहाली के दौरान ही शासनादेश के विपरीत उन्हें प्रभारी बनाया जाना निश्चित रूप से पंचायत विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करती है।उन्होंने उक्त प्रकरण की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।

यहां आपको बताते चलें कि जिला पंचायती राज विभाग में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है । कभी बेंच घोटाला , सफाई किट घोटाला , शौचालय घोटाला तो कभी कार्यस्थल बोर्ड घोटाला सहित कई मामले सामने आ चुके हैं । बगैर टेंडर और फोटो स्टेट के नाम वाली फर्मों से बिल्डिंग मैटेरियल आपूर्ति , नियमों की अनदेखी कर एक व्यक्ति के खाते में कई मजदूरों की मजदूरी को लेकर भी शिकायतें सामने आ चुकी हैं । इसके बावजूद भी कुछ मामलों को छोड़कर जहां कई मामलों की जांच किसी न किसी रूप में विभागीय अधिकारियों द्वारा लटकाए रख घोटालेबाजों को जहां एक तरफ भरसक बचाने का अनवरत प्रयास जारी है तो दूसरी तरफ विभाग भ्र्ष्टाचार पर पर्दा डाल उक्त भ्र्ष्टाचार में लिप्त सचिवों को वरिष्ठों के रहते हुए भी तरजीह देते हुए मलाईदार पदों का प्रभार देकर विभाग में भ्र्ष्टाचार को प्रोत्साहित कर रहा है।

पंचायत राज विभाग पर पैनी नजर रखने वाले कुछ लोगों की बात को यदि सच माना जाय तो उनके मुताबिक विभाग की इसी लचर प्रणाली अर्थात घोटालेबाजी के बाजीगर या यूं कहें कि नियमों की आड़ में ही नियमविरुद्ध तरीके से ग्रामपंचायतों में घपलेबाजी के अभ्यस्त हो चुके कुछ पंचायत सेक्रेटरीयों को बराबर पुरस्कृत करते रहने की परंपरा से ही घोटाले दर घोटाले सामने आ रहे हैं।

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