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म्योरपुर विकास खण्ड की शिक्षा व्यवस्था बेपटरी, कहीं समय से अध्यापक नहीं पहुंचते तो कहीं के अध्यापक महीनों से गायब,आखिर जिम्मेदार मौन क्यूँ हैं ?

सोनभद्र । विकास खण्ड क्षेत्र म्योरपुर में सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था बेपटरी हो चली है स्थिति यह है कि जंगल में मोर नाचा किसने देखा।जब विद्यालय पर अध्यापक पहुंचेगे ही नही तो बच्चों को पढ़ाएंगे क्या ?कुछ इसी तरह का नजारा मंगलवार को म्योरपुर क्षेत्र के कुछ विद्यालयों में देखने को मिला।आपको बताते चलें कि ग्रामीणों के मुताबिक पूर्व माध्यमिक विद्यालय बाजनडीह और प्राथमिक विद्यालय परवतवां में शिक्षक न तो समय सारणी से आते हैं न ही निर्धारित समय से जाते हैं वे अपने ही सुविधानुसार जब मन करता है आते हैं और जब चाहे चले जाते हैं।

ऐसा ही मामला मंगलवार को पूर्व माध्यमिक विद्यालय बाजनडीह और प्राथमिक विद्यालय परवतवां में देखने को मिला ।बच्चे विद्यालय गेट के बाहर घूम रहे थे स्कूल में दोपहर 1:00 बजे तक ताला बंद था ।पूछने पर बच्चों ने बताया कि आज टीचर जी ने छुट्टी कर दिया है क्योंकि उन्हें मीटिंग में जाना है ।वही ग्रामीणों ने बताया कि उक्त विद्यालय पर तैनात शिक्षक कभी भी समय पर ना हीं आते हैं और ना ही जाते हैं। उनका जब मन करता है आते हैं और जब मन किया छुट्टी,स्कूल के पठन पाठन पर ध्यान देने वाला कोई नहीं हैं।सवाल उठता है कि जब शिक्षकों की हाजिरी अंगूठे से लगती है तब भी यह बात पकड़ में क्यूँ नहीं आ रही ?क्या जिम्मेदार लोग आंख मूंद लिए हैं ?यदि हाँ तो क्यूँ ?

फिलहाल सोनभद्र के दूरस्थ ग्रामीण अंचलो की शिक्षा व्यवस्था बेपटरी होती जा रही है।उक्त क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य होने के कारण इस क्षेत्र केअभिभावकों में शिक्षा के प्रति जागरूकता वैसे भी कम है दूसरी तरफ कोढ़ में खाज की तरह इस क्षेत्र में तैनात अध्यापकों की यह उदासीनता सरकार के स्कूल चलो अभियान को पलीता लगा रहे हैं।सरकार स्कूल चलो अभियान में लाखों रुपए पानी की तरह बहा रही है लेकिन ग्रामीण अंचलों में विद्यालयों की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। विद्यालयों में अध्यापक या तो आते ही नहीं है या देर सबेर अपने निजी काम निपटाने के बाद खानापूर्ति के लिए आते ही हाजिरी लगाने के बाद उल्टे पैर कुछ ही देर बाद वापस हो लेते हैं । पढ़ाने को लेकर अध्यापकों की रुचि का न होना ही बच्चों की कम उपस्थिति भी दर्शाती है।

दक्षिणांचल क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था कैसे सुधरेगी ? आखिर उच्चाधिकारी कब लेंगे संज्ञान ? स्थिति यह है कि उक्त क्षेत्र में तैनात खंड शिक्षा अधिकारी किसी का फोन उठाना मुनासिब नहीं समझते । वही बेसिक शिक्षा अधिकारी से बात करने पर उन्होंने बताया की मेरे संज्ञान में अभी आया है मैं शख्ती से जांच कर कर ऐसे चिन्हित विद्यालयों पर कार्यरत अध्यापकों पर उचित कार्यवाही अमल में लाऊंगा। ऐसा ही मामला जरहां प्रथम विद्यालय का है जहाँ पर तैनात एक महिला टीचर पिछले कई महीनों से स्कूल से नदारद हैं। इस विषय में खंड शिक्षा अधिकारी से वार्ता हुई तो उन्होंने बताया मैं फिलहाल अभी मीटिंग में हूं मामला मेरे संज्ञान में आया है इसे जांच कर उचित कार्रवाई करने के बाद शाम को बताया जाएगा । जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा लगातार कार्रवाई करने की बात कहीं जा रही है लेकिन आखिर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है यह बात को अभिभावक भी जानना चाहते हैं। आखिर अभिभावक अपने बच्चों को किसके सहारे छोड़ें ?

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