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बीमार स्वास्थ्य विभाग का आखिर कौन करेगा इलाज,स्वास्थ्य केंद्र पर जलाई गई लाखों की दवाएं

वैनी/सोनभद्र ( सुनील शुक्ला )

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के कैम्पस में जलाई गई लाखों की दवाएं

—आखिर मरीजों को बाँटने के लिए अस्पताल गयी दवाओं को क्यों जलाना पड़ा

—एक तरफ सरकारी अस्पताल पर दवाओं के अभाव में गरीब मरीजों को खरीदनी पड़ती हैं महंगी दवाएं दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग जला रहा दवा

सरकार जहां एक तरफ लोगों तक अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था व अच्छी दवा उपलब्ध कराने हेतु पानी की तरह पैसा बहा रही हैं है वही स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारी व कर्मचारी हैं कि सरकार के इस प्रयास पर पलीता लगाने के कार्य मे लगे हैं। विभाग में कार्यरत ऐसे कर्मचारियों की भ्र्ष्टाचार युक्त इन कारगुजारियों की वजह से ही सरकार की मंशा कि ,हर जरूरत मंद व्यक्ति तक अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था व दवा पहुंचे, पर पानी फिरता नजर आ रहा है।जिसका जीता जागता उदाहरण आज नक्सल प्रभावित क्षेत्र विकास खण्ड नगवां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वैनी में देखने को मिला।

यहां आपको बताते चलें कि विकास खण्ड नगवा के वैनी सीएससी पर लाखो रुपये की दवा को लापरवाह व भ्र्ष्टाचार में लिप्त कुछ कर्मचारियों द्वारा स्वास्थ्य केंद्र के पीछे कैम्पस में ही जला दिया जाना अपने आप मे उनकी कार्यशैली को बयां करने के लिए काफी है।

आपको बताते चलें कि घोर आदिवासी नक्सल इलाके के पहाड़ी क्षेत्रों के दूर दराज से आये व्यक्तियों तक बेहतर इलाज व दवा की पहुंच हो ,के मद्देनजर रखकर ही उक्त समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की गई थी परन्तु यहां की स्थिति बदतर हो चली है ।यहां आए मरीजों को ना ही अच्छी दवा मिल पाती और ना ही उचित इलाज हो पाता है। यहा नियुक्त डॉक्टरों के द्वारा मरीजों को कमीशन के चक्कर मे बाहर से दवा लिख दिया जाना आम बात है और मरीजों से कहा जाता है कि मेरे पास दवा उपलब्ध नहीं है ।मजबूरन मरीज बाहर के मेडिकल स्टोर से दवा खरीद अपनी जान बचाने को मजबूर है ।यहां नियुक्त डॉक्टरों की यही कार्यशैल के कारण ही जिसमे मरीजों को दवा न देकर दवा जला दिया जाता है ताकि मरीजो को बाहर से दवा खरीदनी पड़े स्वास्थ्य विभाग की वर्तमान कार्यशैली को उजागर कर रही है।

यहां के स्थानीय लोगों की मानें तो मरीज मजबूरन बाहर से दवा खरीदते है जिसमे यहा के डॉक्टरों का भी सिस्टम बना हुआ है। शासन के लाख प्रयास के बाद भी स्वास्थ्य विभाग सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। इस संबंध में सीएमओ सोनभद्र से वार्ता करने पर उनके द्वारा बताया गया कि दवा सब वितरण के लिए जोड़ कर आती है दवा बचनी नही चाहिए।यदि दवा बच गयी और उसकी एक्सपायरी डेट बीत गयी है तो उक्त दवा को डिस्पोजल का बाकायदा नियम बना हुआ है उसे उसी नियम कायदे से डिस्पोज किया जाता है।उन्होंने कहा कि दवा किस कारण से बची है उसकी जांच होगी।अगर एक्सपायर दवा बचती है तो स्टाक मेंटेन कर डिस्पोज करने के लिए एक टीम गठित होती है जिसकी निगरानी में दवा डिस्पोज किया जाता है। दवा जलाये जाने की हमें कोई सूचना नही है अगर ऐसा है तो जांच कर सम्बन्धितों के ऊपर कार्यवाही की जाएगी।

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