Friday, April 26, 2024
Homeराजनीतिबज गया चुनावी बिगुल,2022 का क्या होगा चुनावी समीकरण ,कौन से मुद्दे...

बज गया चुनावी बिगुल,2022 का क्या होगा चुनावी समीकरण ,कौन से मुद्दे होंगे प्रभावी एक पड़ताल

-

सोनभद्र: विधानसभा चुनाव 2022 के चुनावी शंखनाद बजने के साथ ही कोरोना महामारी के साए व सोनभद्र में रोज बढ़ते आंकडो के बीच हो रहे 2022 के विधानसभा चुनाव और निर्वाचन आयोग के द्वरा राजनैतिक पार्टियों के लिए प्रचार के लिए जारी पाबन्दियों के बीच होने वाले इस चुनाव में ताजा चुनावी समीकरण में बाजी किसके हाथ लगेगी और मतदाताओं का वोटिंग के प्रति कितना रुझान होगा और मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक पहुंचने में कौन से मुद्दे उसके मानस पटल पर प्रभावी होंगे ?

यहाँ आपको बताते चलें कि पिछले चुनाव अर्थात 2017 से इस बार के चुनाव में कई मायनों में बहुत अलग होंगे।मसलन 2017 के चुनाव में सत्ताधारी दल के प्रति सत्ता के प्रति लोगों की स्वाभाविक नाराजगी को भुनाने में भाजपा ने बाजी मारते हुए उसे अपने पक्ष में कर लिया।अब देखना होगा कि क्या सत्ता के प्रति लोगों के स्वाभाविक नाराजगी को उत्तर प्रदेश की अन्य अन्य राजनीतिक दल अपने पक्ष में भुना पाते हैं अथवा सत्ताधारी दल भाजपा अपने वोटरों को साधने में सफल रहता है।फिलहाल चुनाव की घोषणा होते ही चुनावी अंकगणित को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में सोनभद्र में जहां सभी विधानसभाओं में झूमकर वोट पड़े थे। वहीं मोदी लहर पर सवार भाजपा ने सहयोगी दल के साथ जिले की चारों सीटों पर कब्जा कर इतिहास रच दिया था। पर इस बार क्या स्थिति होगी? इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

आपको बताते चलें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जहां जिले के 52.75 प्रतिशत मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया था वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में यूपी में सत्ता के प्रति बही बदलाव की बयार ने मतदान बढ़ाकर 61.23 प्रतिशत कर दिया। इस बार समीकरण पिछली बार से अलग दिख रहे हैं। महंगाई की मार ने मध्यम वर्ग की नींद उड़ा रखी है वहीं कोरोना महामारी का साया लोगों बेचैनी बढ़ाए हुए हैं। किसानों का आंदोलन भी मतदान को प्रभावित कर सकता है।सोनभद्र का मुख्य व्यवसाय ही कृषि है और अपनी उपज को बेचने के लिए किसानों को दर दर भटकने को मजबूर होना यदि मतदान तक उसके मानस पटल पर रही तो निश्चित ही सत्ताधारी दल पर भारी पड़ सकती है। इस जिले के लिए मुख्य व्यवसाय खनन भी लगभग वर्तमान सरकार में बंद ही रहा है और निश्चित ही इसका प्रभाव चुनाव पर रहेगा।ऐसे में इस बार वोटरों का क्या रूख होगा? बूथों तक मतदाताओं के पहुंचने की क्या स्थिति होगी? इसको लेकर राजनीतिक पंडित अलग-अलग निहितार्थ निकालने में लगे हुए हैं।

2017 के चुनाव में राबर्ट्सगंज, घोरावल और ओबरा विधानसभा में भाजपा को एकतरफा जीत मिली थी। राबर्ट्सगंज में जहां भाजपा के भूपेश चौबे को 89932 वोट मिले थे। वहीं दूसरे नम्बर पर रहे सपा के अविनाश कुशवाहा को 49394 मत प्राप्त हुए थे। यहाँ यह बात भी स्मरणीय है कि सपा को 2012 में मिले मतों से उन्हें ज्यादा वोट मिले थे इसके बाद भी उन्हें हार का स्वाद चखना पड़ा।यहां यह बात उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में मोदी लहर ने सारे समीकरण बिखेर कर रख दिए थे।

घोरावल में भी भाजपा ने वर्ष 2017 के चुनाव में 114305 मत पाने का रिकॉर्ड बनाया था। यहां दूसरे नंबर पर रही सपा को महज 56656 वोट मिले थे। वहीं बसपा प्रत्याशी बीना सिंह को 53090 वोट प्राप्त हुए थे। ओबरा में भाजपा के संजीव गोंड़ को 78058 वोट प्राप्त हुए थे वहीं सपा के रवि गोंड़ को 33789 वोट पर संतोष करना पड़ा था। यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि राबर्ट्सगंज और ओबरा में 2017 के चुनाव में सपा को जितने मत प्राप्त हुए थे, वह 2012 में जीत के आंकड़े से भी ज्यादा थे लेकिन 2017 में मोदी लहर पर सवार भाजपा को मिले मतों ने नए रिकॉर्ड बना डाले।यहाँ यह बात भी उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव में मोदी ही भाजपा के चेहरा थे अर्थात चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का कोई चेहरा सामने नहीं था परन्तु इस बार के चुनाव में ऐसा नहीं है।इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है । इस बार के चुनाव में जीत किसकी होगी, जिताऊ आंकड़ा क्या होगा? यह तो मतगणना का परिणाम बताएगा लेकिन चुनावी बतकही में इसको लेकर अटकलबाजी शुरू हो गई है।

सम्बन्धित पोस्ट

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

error: Content is protected !!