परसौना में लगभग 160 हैक्टेयर में लगे वन विभाग के पौधों को उखाड़कर, अवैध कब्ज़ा कर कुछ लोग करने लगे खेती
लोग करते रहे वन विभाग की जमीनों पर कब्जा उधर कब्जाधारियों से मिलीभगत कर वन विभाग दौड़ाता रहा कागजी घोड़ा।वर्तमान में वहां उम्भा जैसे बन गए हालात।कब्जाधारी व वन विभाग आमने सामने।
उच्चाधिकारियों की लापरवाही व वन विभाग की कब्जाधारियों से मिलीभगत का नतीजा है परसौना में वन विभाग द्वारा एक दिन में 500000( पांच लाख) पौधे लगाकर वर्ल्ड रिकार्ड बनाये गए क्षेत्र पर पौधों को नष्ट कर कुछ लोगो द्वारा कृषि कार्य करना।ग्रामीणों का आरोप है कि कब्जा के एवज में वन विभाग के लोग लेते हैं उपज का एक हिस्सा , तो अब हम लोग यहाँ से क्यूँ हटें ?
घोरावल। एक कहावत है कि” राजा को पता नहीं भीलों ने वन बांट लिए ” परसौना की हालत देखकर कहा जा सकता है कि उक्त कहावत कुछ इसी तरह के हालात के मद्देनजर कही गई रही होगी।अभी कुछ दिनों पूर्व ही उम्भा में जमीन पर कब्जा को लेकर आदिवासियों व कुछ लोगों में हुए संघर्ष में जहाँ आदिवासियों की मौत ने अंतर्राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरी थीं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़े ही जोर शोर से उम्भा की धरती से घोषणा की थी कि सरकारी जमीनों पर काबिज किसी को भी नहीं बख्शा जायेगा। अब उसी उम्भा गांव से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित परसौना गांव की वन विभाग की जमीन पर कब्जा को लेकर हालात कुछ वैसे ही रूप धारण करते नजर आ रहे हैं।यहाँ भी यदि समय रहते प्रशासन नहीं चेता तो सोनभद्र में फिर एक बार जमीन पर कब्जे को लेकर प्रशासन व ग्रामीण जनता आमने सामने हो सकते हैं।
आपको बताते चलें कि यह परसौना गांव वही है जहाँ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वन विभाग की खाली पड़ी 160 हैक्टेयर जमीन पर एक दिन में पांच लाख पौधे लगवाकर उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा एक दिन में पौध लगाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इतनी बड़ी मात्रा में एक दिन में लगाये उक्त पौध रोपण को गिनीज बुक में स्थान मिला था ।वर्ष 2016 में बड़े ही जोर शोर से यही सरकारी अमला पौध रोपण पर बनाये गए वर्ल्ड रिकॉर्ड पर अपनी पीठ थपथपा रहा था और सिर्फ चार साल में ही यही सरकारी अमला अब एक दूसरा ही राग अलाप रहा है।
मिली जानकारी के मुताबिक उक्त परसौना गांव में लगे लगभग 176 हेक्टेयर वन क्षेत्र में से तीन चौथाई हिस्से पर लगे पौधों को उखाड़ कर कुछ लोगों द्वारा खेती बाड़ी की जा रही है।उक्त गांव के ही जब कुछ लोगों ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर की तो प्रशासन के लोगों द्वारा शिकायत कर्ताओं के खिलाफ ही मुकदमा पंजीकृत करा दिया गया।इससे एक बात तो साफ हो जाती है कि कब्जाधारियों व वन विभाग का एक नेक्सस कार्य कर रहा है और जो भी उनके राह में रोड़ा बनेगा उसे इनके कोप का भाजन बनना होगा।मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई शिकायतों में वन विभाग द्वारा लगाई गई निस्तारण आख्या पर गौर करें तो पता चलता है कि वन विभाग यह तो स्वीकार कर रहा है कि परसौना गांव में लगे पौधों को कुछ लोग उखाड़कर खेती करने लगे हैं परंतु वन विभाग इन लोगों को वहाँ से हटाने में सक्षम नहीं है।
कैमूर वन्य जीव प्रभाग मिर्जापुर के संभागीय वनाधिकारी ने जिलाधिकारी सोमभद्र को 18 नवम्बर 2020 को लिखे पत्र में अवगत कराया है कि तेंदुहर बीट के कम्पार्टमेंट संख्या 1व 2 (परसौना) में 2015-16 में 160 हैक्टेयर क्षेत्रफल पर पौधरोपण किया गया था जिसके कुछ क्षेत्रों में ग्रामीणों द्वारा अवैध कब्जा कर घर व सहन आदि बनाकर रहन सहन किया जा रहा है तथा लगभग 72 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगे पौधों का अवैध कटान कर खेती करने लगे हैं।वन कर्मियों द्वारा रोक जा रहा है तो वह लोग लाठी डंडे से लैस होकर फौजदारी के लिए तैयार हो जा रहे हैं।इतना ही नहीं उक्त जंगल की जमीनों पर काबिज ग्रामीण महिलाओं को आगे कर स्वयं घातक हथियारों से लैस होकर वन कर्मियों पर हमला करने को तैयार रहते हैं।ऐसे में जिलाधिकारी से अनुरोध है कि इस अतिक्रमण को हटाने के लिए भारी संख्या में पुलिसबल उपलब्ध कराने की गुजारिश है।
डी एफ ओ के उक्त पत्र से एक बात तो साफ है कि वन विभाग द्वारा लगाए गए पौधों को काट कर अथवा उखाड़ कर कुछ लोगो द्वारा खेती की जाने लगी है।यहाँ एक सवाल यह भी है कि जब वन विभाग की ज़मीनों पर कब्जा किया जा रहा था तो वन विभाग के लोग क्या कर रहे थे? इतना बड़ा कब्जा कोई एक दिन में तो हुआ नहीं होगा ?जब 2016 तक उक्त जमीन खाली थी तब तो वन विभाग द्वारा पौध रोपण किया गया होगा ? अब वह लोग कह रहे हैं कि हम लोग कई पीढ़ियों से इसमें रह रहे हैं।सवाल तो फिर वही है कि जब 2016 में उक्त जमीन पर पौधरोपण कर उत्तर प्रदेश सरकार पौध रोपण का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया तो फिर उक्त लोग कब आकर खेती बाड़ी करने लगे।ग्रामीणों की मानें तो वन विभाग के लोग उपज का एक हिस्सा उनसे लेते हैं।इससे एक बात तो साफ है कि वन विभाग व कुछ अन्य लोगों का एक नेक्सस है जो वन विभाग की जमीनों पर पहले कब्जा करवाता है फिर अपना दामन बचाने के लिए कागजी घोड़ा दौड़ाया जाता है।कुछ इसी अंदाज में यहां भी कागजी घोड़ा दौड़ रहा है।
सूत्रों की मानें तो परसौना में वन विभाग की ज़मीनों पर कब्जा करने वालों की मदद कुछ रसूखदार लोग भी कर रहे हैं ।राजनीति में ऊंची पहुँच वाले व कुछ माननीय भी अपने वोट के चक्कर मे इन लोगों के मददगार बन बैठे हैं। सोनभद्र में कुछ लोग आदिवासियों का मसीहा बनने के चक्कर मे वन विभाग की जमीनों पर कब्जे के लिए जनपद में आदिवासियों को उकसाते रहते हैं हो सकता है उन मसीहाओं का भी परसौना की वन विभाग की जमीन पर कब्जा करने वालों तक पहुंच हो गयी हो।फिलहाल एक बात तो साफ है कि यदि जल्द ही प्रशासन नहीं चेता तो यहां के हालात बिगड़ सकते हैं।