Friday, April 19, 2024
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नाम तो है शिक्षामित्र,पर लगता है काम है शिक्षा से दुश्मनी

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सोनभद्र। शिक्षकों की कमी से जूझते सरकारी परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा की गुडवत्ता बनाये रखने के मद्देनजर कभी सरकार द्वारा निर्णय लिया गया कि गांव के मेधावी युवा जो बेरोजगार हों, को शिक्षा मित्र के रूप में नियुक्ति देकर उन्हें रोजगार से जोड़ा जय,जिसका एक मात्र उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा को गुडवत्ता पूर्ण बनाना था।परन्तु कालांतर में यही शिक्षा मित्र गांव व क्षेत्र की राजनीति में सक्रिय हो गए और स्कूल में बच्चों को पढ़ाना छोड़कर अन्य राजनीतिक गतिविधियों में संलिप्त हो गए।

यहाँ हम यह तो नहीं कह रहे कि सभी शिक्षा मित्र ऐसे ही हैं परन्तु कुछ शिक्षा मित्रों की इन गैरजिम्मेदाराना वजह से ही उक्त शिक्षा मित्र नामक संस्था पर ही लोगों की उंगलियां उठती रहती हैं।यहां हम आपको एक दो दिन पूर्व सोसल प्लेटफार्म पर वायरल हो रही एक फोटो के विश्लेषण से यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि वर्तमान परिवेश में शिक्षा मित्र कर क्या रहे हैं ?

फोटो में किसी स्कूल का शिक्षा मित्र स्कूल टाइम में अमृत सरोवर योजना के तहत तालाब खुदाई हेतु की जा रही भूमि पूजन समारोह में शामिल है।उक्त भूमि पूजन मे ब्लाक प्रमुख, खण्ड विकास अधिकारी व अन्य गणमान्य लोग भी शामिल हैं।बताया जा रहा है कि उक्त शिक्षा मित्र उसी गांव के वर्तमान प्रधान के पति हैं अब उन्हें कौन रोक सकता है।एक कहावत है “जब सैंया भये कोतवाल तब डर कहे का ” यही नहीं यह कोई इकलौता मामला नही है जिसमे एक शिक्षा मित्र स्कूल टाइम में बच्चों को पढ़ाना छोड़कर कोई अन्य कार्य कर रहा हो।

आपको बताते चलें कि सोनभद्र नगर के सबसे व्यस्त चौराहों में से एक बधौली चौराहे पर आप कई ऐसे शिक्षा मित्रों को देख सकते हैं जो भाजपा की झंडा लगी गाड़ियों से घूमते हुए सुबह से शाम तक केवल राजनीति करने में ही व्यस्त हैं।कमजोर कर्मचारियों पर चाबुक चलाने वाला कोई अधिकारी जब इन शिक्षा मित्रों के स्कूल पर जांच करने पहुंच भी गया तो वह यह कह अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है कि उक्त शिक्षा मित्र छुट्टी पर था।


सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उक्त अमृत सरोवर का भूमि पूजन नगवां ब्लाक के पटवध गाँव मे किया गया और उक्त भूमि पूजन में उपस्थित शिक्षा मित्र उसी ग्राम पंचायत के पौनी स्थित प्राथमिक विद्यालय में तैनात हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी हरवंश कुमार से सेल फोन पर वार्ता हुई तो उन्होंने कहा कि यदि उक्त शिक्षा मित्र कार्यक्रम में छुट्टी लेकर नही गया था ,अगर ऐसा है तो सोमवार को इसकी जानकारी लेगे और यदि कार्य में लापरवाही बरती गई है तो नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। फिलहाल यह तो हुई कानूनी कार्यवाही पर सच यही है कि जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस पद का गठन हुआ था शायद उसके अनुरूप यह लोग कभी कार्य न कर सके।यदि ऐसा नहीं होता तो प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों की शिक्षा में गुणात्मक परिवर्तन हो गया होता।

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