सोनभद्र। विगत कुछ वर्षों से धान खरीद घोटाले की परत दर परत बखिया उधेड़ने वाले जनता दल यूनाइटेड के जिलाध्यक्ष संतोष पटेल एड0 ने सोमवार को एक बार फिर से खाद्य आयुक्त समेत विभिन्न उच्च स्तरीय अधिकारियों के समक्ष हाइब्रिड धान की कागजी धान खरीद का मुद्दा उठाते हुए प्रदेश सरकार को भी आड़े हाथों लिया। पत्र में उन्होंने कहा है कि इस समय जहां प्रदेश स्तर पर धान की खरीद बड़े पैमाने पर चल रही है, वहीं दूसरी ओर मोटे धान को हाइब्रिड धान में कागजी तौर पर परिवर्तित कर विभागीय अधिकारियों एवं मिलरों के बीच आपसी षडयंत्र के तहत सरकारी धन का बंदरबांट बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

उक्त भ्रष्टाचार में प्रदेश सरकार की मूक सहमति होने का बड़ा आरोप लगाते हुए जदयू जिलाध्यक्ष पटेल ने बताया कि विगत धान खरीद वर्ष 2020-21 में हाइब्रिड धान की सरकारी खरीद के दौरान बहुत बड़े पैमाने पर किसानों की छीछालेदर हुयी थी। जिससे आजिज आकर एवं पुनः परेशानियों से बचने के लिए किसानों ने वर्तमान धान खरीद वर्ष 2021-22 के दौरान हाइब्रिड धान की खेती बमुश्किल 05 प्रतिशत किसानों ने ही किया है। इसके बावजूद सरकारी रिकार्ड में बहुत बड़े पैमाने पर वर्तमान खरीदी वर्ष 2021-22 में भी हाइब्रिड धान की खरीद एवं तत्पश्चात् मिलरों को हाइब्रिड धान की आपूर्ति भी की जा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण सरकारी धन की बंदरबांट है।

जदयू जिलाध्यक्ष पटेल ने खाद्य एवं रसद आयुक्त पर भी उक्त भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि विभागीय वेबसाइट पर ‘‘विपणन से संबंधित सूचनायें’’ को पूरी तरह से छिपा (लाॅक/ हाइड) कर रखा गया है ,की शिकायत उनके द्वारा दिनांक- 29.11.2021 को पत्रांक- 102/विपणन सूचना/अनलाॅक/ 2021 के माध्यम से किया गया था। किंतु खाद्यायुक्त द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने के कारण भ्रष्टाचार को विभाग द्वारा एक नयी दिशा देने का प्रयास किया जा रहा है। जिसके क्रम में विगत वर्षों में तमाम सरकारी एवं सहकारी संस्थाओं के अतिरिक्त के.के.एन., नैफेड एवं एन.सी.सी.एफ जैसी अनेक संस्थाएं भी धान खरीद का कार्य बड़े बड़े पैमाने पर कर रहीं थीं। इस बीच धान खरीद वर्ष 2019-20 में सोनभद्र में केकेएन द्वारा करोड़ों रू0 की धान खरीदी में घपलेबाजी एवं 2020-21 में नैफेड एवं एनसीसीएफ द्वारा मिर्जापुर तथा संत रविदास नगर (भदोही) में अरबों रू0 की धान खरीदी में घपलेबाजी की शिकायत उन्होंने विभिन्न स्तरों पर की थी। जिसके चलते वर्तमान खरीदी वर्ष 2021-22 में उक्त तीनों संस्थाओं को धान खरीदी के कार्य से वंचित कर दिया गया है।

श्री पटेल ने आगे यह भी बताया कि धान खरीद में सम्मिलित बिचैलिए, मिलर एवं विभागीय अधिकारीगणों समेत अधिकांशतः क्रय केंद्र प्रभारीगणों ने वर्तमान खरीदी वर्ष में सरकारी धन को चूना लगाने का एक नायाब तरीका ईजाद कर लिया है। इसके तहत किसानों से प्राप्त मोटे धान को सरकारी रिकार्ड में हाइब्रिड धान दिखाकर मिलर को प्राप्त करा दिया जाता है। और इसके एवज में सरकारी नियमों के तहत मिलर को चावल की लेवी में मिली अतिरिक्त छूट का लाभ आपस में बंदरबांट करने का एक अनूठा खेल किये जाने का अंदेशा है। अर्थात् अभीं तक जो मिलर, बिचैलिए तथा केकेएन, नैफेड एवं एनसीसीएफ के लोग मिलकर घपलेबाजी करते थे, उसी घपलेबाजी को आगे बढ़ाते हुए वर्तमान खरीदी वर्ष 2021-22 में तमाम सरकारी एवं सहकारी संस्थाओं के क्रय केंद्र प्रभारी, विभागीय अधिकारी, मिलर तथा बिचैलिए करने में मस्त हो गए हैं। बस तरीका थोड़ा सा बदलकर नया हो गया है। पहले बड़े पैमाने पर सीधे किसानों का हक मारा जाता था, और अब सीधे तौर पर सरकारी नियमों की कमजोरियों का फायदा उठाकर सिंडिकेट के तहत उक्त सभी लोग मिलकर सीधे तौर पर सरकार को चूना लगाने का काम कर रहे हैं।

जदयू जिलाध्यक्ष पटेल की मानें तो वे उक्त तीनों संस्थाओं द्वारा करोड़ों/ अरबों रू0 के सरकारी धन की बंदरबांट एवं भ्रष्टाचार पर विभागीय कार्रवाई न होने से क्षुब्ध होकर मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद में जनहित वाद योजित कर चुके हैं। इसके साथ ही सोनभद्र, मिर्जापुर व भदोही जिले की 2021-22 की धान खरीदी में कागजी परिवर्तन व हेराफेरी के आधार पर मोटे धान को हाइब्रिड धान के रूप में परिवर्तन को तात्कालिक प्रभाव से प्रभावी रोक न लगाए जाने एवं इन जिलों को नजीर मानकर प्रदेश स्तर पर अरबों रू0 के सरकारी धन की सिंडिकेटेड बंदरबांट पर अविलंब रोक न लगाए जाने की स्थिति में वे इस मामले पर भी विधानसभा चुनाव बाद कोविड- 19 की तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए एक बार फिर से मा0 उच्च न्यायालय इलाहाबाद की शरण में जाने को बाध्य होंगे।
