मंडल अध्यक्ष ने प्रभारी मंत्री को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि खनन विभाग में भ्र्ष्टाचार की वजह से सोनभद्र का खनन उद्योग हो रहा चौपट
वायरल पत्र के मुताबिक सोनभद्र के पत्थर खनन उद्योग पर बंदी की लटक रही तलवार
वायरल पत्र के मुताबिक यदि जल्द ही अधिकारियों के इस भ्र्ष्टाचार पर लगाम नहीं लगी तो यहां से चलने वाली गाड़ियां दूसरे प्रदेशों की तरफ घूम सकती हैं
अपनी ही सरकार में बीजेपी के नेता किस कदर मजबूर हैं और अधिकारी बेलगाम होकर उस विभाग में भ्र्ष्टाचार कर रहे हैं जिसके मुखिया स्वंय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं तो आप खुद ही सोचिए कि बाकी विभागों की स्थिति क्या होगी और यह हम नही कह रहे यह बात स्वंय उनके ही पार्टी के पदाधिकारी ने जिले में आये प्रभारी मंत्री को लिखे पत्र में सोनभद्र के खनन विभाग में फैले भ्र्ष्टाचार के बाबत लिखा है जो फिलहाल सोसल मीडिया प्लेटफार्म पर खूब वायरल हो रहा है।फिलहाल उक्त वायरल पत्र की सत्यता या असत्यता को विंध्यलीडर प्रमाणित नहीं करता परन्तु उक्त वायरल पत्र में बड़े ही गम्भीर आरोप लगाए गए हैं। इस वायरल पत्र से साफ नजर आ रहा है कि भजपा के कार्यकताओं में अधिकारियों की कारगुजारियों व इस तरह के भ्र्ष्टाचार के कारण आक्रोश व्याप्त है कि आने वाले 2024 लोकसभा चुनावों में भाजपा को इसका दुष्प्रभाव न झेलना पड़े ।
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आपको बताते चलें कि गुरुवार को प्रदेश सरकार के स्टाम्प एवं पंजीयन राज्य मंत्री व जिले के प्रभारी मंत्री रवीन्द्र जायसवाल के आगमन से पहले बीजेपी चोपन मंडल अध्यक्ष के एक वायरल पत्र ने प्रशासनिक अमले में हड़कम्प मचा दिया ।प्रभारी मंत्री को लिखे वायरल पत्र में बीजेपी चोपन मंडल अध्यक्ष सुनील सिंह ने सोनभद्र के खनन उद्योग के बाबत लिखा है कि जिस खनन विभाग की कमान स्वंय सीएम योगी आदित्यनाथ के पास है उस विभाग की दुर्व्यवस्था अधिकारियों द्वारा की जा रही है । खनन विभाग में परत दर परत फैले भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े करते हुए मंडल अध्यक्ष ने आगे लिखा है कि सोनभद्र की जो डोलो स्टोन गिट्टी कभी 60 से 70 रुपये फीट तक वाराणसी मंडी पहुंच जाया करती थी वही गिट्टी आज आम लोगों तक 100 रुपये फीट के ऊंचे दाम में पहुंच रही है ।जबकि आज भी सोनभद्र में कुछ खदानों को छोड़ दिया जाय तो पत्थर/बोल्डर की रॉयल्टी 160 रुपये घन मीटर के पुराने रेट पर ही निकाला जा रहा है। इतना ही नहीं बीजेपी मंडल अध्यक्ष सुनील सिंह ने यहां तक आरोप लगा दिया कि अधिकारी पूरे खनन फील्ड को चारागाह समझ बैठे हैं और जिलाधिकारी का भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं है, जिसका नतीजा है कि 330 रुपये घन मीटर वाला परमिट 1500/- रुपये प्रति घन मीटर में वह भी लोगों को मुश्किल से मिल रहा है । जिसके कारण यहां सोनभद्र से खनन सामग्री लेकर परिवहन का कार्य करने वाली गाड़ियां गैर राज्यों को चली जा रही है।
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मंडल अध्यक्ष ने पत्र के माध्यम से प्रभारी मंत्री से परमिट के कालाबाजारी के खेल से कुछ खनन व्यवसायी व अधिकारियों के गठजोड़ द्वारा की जा रही कमाई के चक्कर में सोनभद्र के खनन उद्योग पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव पर कंट्रोल करने की गुजारिश की है और आगाह किया है कि लोगों के आक्रोश को देखते हुए आगामी 2024 लोकसभा चुनाव में कहीं यह भाजपा के लिए परेशानी का सबब न बन जाय ।
कुल मिलाकर जिस तरह से बीजेपी के नेता अधिकारियों के सामने बेबस नजर आ रहे हैं और सब कुछ अपने सामने देखते हुए भी खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं उससे एक बात तो साफ हो चला है कि योगी सरकार में सिर्फ अधिकारियों की चल रही है और वह मौज काट रहे हैं । यहां आपको यह भी बताते चलें कि सोनभद्र में खनन का पूरा इलाका ओबरा विधान सभा क्षेत्र में आता है जहां के विधायक संजीव गोंड़ खुद सरकार में मंत्री हैं । अर्थात जब सरकार में एक मंत्री के विधानसभा इलाके में और उनके सरकार में अधिकारी यदि इतने बेलगाम हो चले हैं कि सीएम योगी की छवि बिगाड़ने में लगे हैं तो आखिर सवाल यह खड़ा होता है कि योगी सरकार के मंत्री इलाके में रहकर कर क्या रहे हैं । ऐसे में क्या यह माना जाय कि जो गंभीर आरोप चोपन मंडल अध्यक्ष लगा रहे हैं वह पूरी तरह से गलत है या फिर खुद के विधानसभा क्षेत्र में मंत्री की चल नहीं रही या फिर वे भी बेवस व असहाय हैं ।
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बहरहाल लम्बे के समय बाद आखिरकार चोपन मंडल अध्यक्ष का दर्द पत्र के माध्यम से छलक ही गया। कुल मिलाकर जहां एक तरफ योगी सरकार जीरो टॉलरेंस की बात करती है और दूसरी तरफ बीजेपी कार्यकर्ताओं को सबसे बड़ा मानती है वहीं अधिकारियों के सामने बीजेपी के नेता जिस तरह से बेबस और असहाय नजर आ रहे हैं उससे एक बात तो साफ हो गया कि खनन विभाग भले ही सीएम के पास हो मगर चला उसे अधिकारी ही रहे हैं । शायद उसी का नतीजा है कि बीजेपी नेताओं के न चाहते हुए भी अधिकारी मनमाने तरीक़े से परमिट का रेट तय कर रहे हैं जिसके चलते खनन सामग्रियों के दाम आसमान छूने लगे है । आखिर भाजपा कार्यकर्ताओं व नेताओं का वह नारा जो सपा सरकार के आखिरी दिनों में उनकी जुबान पर अक्सर आ जाता था कि गिट्टी बालू सस्ता होगा ,हर गरीब का घर पक्का होगा ,क्या जुमला मात्र था ?
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