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ग्राम पंचायतों में सप्लाई के नाम पर हुआ जमकर खेल: सोनभद्र में भ्रष्टाचार की गंगोत्री को सूखने नहीं दे रहे अधिकारी

( सोनभद्र से ब्रजेश पाठक व समर सैम की रिपोर्ट)

अभी सोलर वाटर पम्प लगाने में हुए खेल पर बनी जांच टीम की जांच पूरी नहीं  हो पाई और जांच को लटका चहेतों को बचाने का चल खेल चल ही रहा था कि एक नए तरह के घोटाले की जांच के लिए एक और टीम गठित कर जांच कराने के लिए  जिलाधिकारी द्वरा मुख्य विकास अधिकारी को लिखे पत्र ने पंचायत विभाग में हड़कम्प मचा दिया है।पंचायत विभाग की  कार्यप्रणाली की परत दर परत विश्लेषण करती एक रिपोर्ट —

Sonbhdra news (सोनभद्र)। जनपद सोनभद्र के म्योरपुर व दुद्धी ब्लाक में लगाये गए सोलर वॉटर पम्प में अनियमितता के सम्बंध में बीजेपी नेता ने अधिकारियों से लिखित शिकायत की। बताते चलें कि ग्रामीणों ने सोलर वाटर पम्प लगाने में किये गए भ्रष्टाचार की शिकायत भाजपा पदाधिकारी से की। भाजपा नेता ने सम्बंधित जिम्मेदार अधिकारियों को इस भ्रष्टाचार से अवगत कराया, इसके बाद जिम्मेदार अधिकारी ने सोलर वॉटर पम्प लगाने में किये गए भ्रष्टाचार की जांच हेतु अधिकारियों की एक कमेटी बना दी, पर कमेटी ने क्या रिपोर्ट दी और उस पर क्या कार्यवाही हुई किसी को नहीं पता। सोलर वाटर पम्प लगाए जाने में हुए भ्रष्टाचार से ग्रामीणों का आक्रोश भाजपा सरकार पर फूटने लगा। किसी प्रकार की कार्रवाई न होने पर आक्रोशित ग्रामीण स्थानीय भाजपा नेताओं की संलिप्तता की चर्चा और आरोप प्रत्यारोप लगाने लगे। इससे विपक्ष को वर्तमान सरकार को घेरने का मौका मिल गया। विपक्ष के लोग खुलेआम यह आरोप लगाने लगे कि व्यापक पैमाने पर अधिकारियों की मिलीभगत से घोटाले का खेल खेला गया। मौके के मुंतज़िर स्थानीय विपक्षी नेताओं ने इस खेल को प्रदेश स्तर तक पहुंचा दिया।

अधिकारियों के इस भ्रष्टाचार के खेल से भाजपा सरकार की किरकिरी और जग हँसाई होने लगी। इससे व्यथित होकर स्थानीय भाजपा नेता मंडल अध्यक्ष म्योरपुर मोहरलाल खरवार ने जिला धिकारी सोनभद्र से पॉइंट टू पॉइंट लिखित शिकायत कर भ्रष्टाचार को रोकने की गुज़ारिश की ताकि आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में भ्रष्ट अधिकारियों के क्रियाकलापों के चलते भाजपा सरकार को जनता के कोप भाजन का शिकार न बनना पड़े। भाजपा नेता ने बाकायदा शिकायती पत्र में आरोप लगाया कि  सहायक विकास अधिकारी पंचायत विकास खण्ड दुद्धी जमकर अनियमितता का खेल खेल रहे हैं। वह पहले म्योरपुर और वर्तमान में दुद्धी ब्लॉक की पिच पर जमकर भ्रष्टाचार की बल्लेबाज़ी कर रहे हैं। उन्हें क्लीन बोल्ड करने की हिम्मत किसी में नहीं है क्योंकि लोग कहते हैं कि उनकी पीठ पर राजधानी में बैठे एक बड़े अफसर का हाथ है। इनकी विस्फोटक बल्लेबाजी के आगे सभी तेज़ गेंदबाज़ असहाय नज़र आ रहे हैं। स्थानीय भाजपा नेता ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि इनके द्वारा दुद्धी ब्लाक में प्रशासक और एडीओ पंचायत रहते बिना ग्राम सभा की बैठक व अनुमोदन और बिना कार्यवाही के सोलर वॉटर पम्प लगाया गया है। भाजपा नेता ने अपने शिकायती पत्र में बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान में वह एडीओ पंचायत पद का दुरुपयोग कर अभिलेखों में छेड़छाड़ कर कूट रचित अभिलेख तैयार कर रहे हैं। साथ ही पूर्व के अभिलेखों को नष्ट कर रहे हैं। उक्त शिकायत के बाद एक जांच टीम गठित कर अधिकारी जांच जांच वाला खेल खेलने लगे और शिकायत करने वाली जनता चुपचाप यह खेल देखती रही

आपको बताते चलें कि इस मामले को उच्चाधिकारियों ने साजिशन या लापरवाही से पलने पोसने दिया। बल्कि यूं कहें कि इस मामले में अधिकारियों का रवैया खेत में खाद छीटने जैसा रहा है। दिलचस्प बात ये है कि ज़िम्मेदार विभागीय अधिकारी ने पत्र जारी कर एक हफ़्ते में जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश तो जारी किया पर कई महीने से अधिक समय होने पर भी जांच मोकम्मल नहीं की गई। फलस्वरूप भ्र्ष्टाचार का खेल खेलने में माहिर खिलाड़ियों का पुनः एक और खेल सामने आ गया।

जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी को टीम गठित कर जांच कराने के लिए जो पत्र लिखा है उसके मुताबिक जिले में ग्राम पंचातयों में पन्द्रहवें व राज्य वित्त से कराए गए कार्यों में कई फर्मों को बिना कार्य कराए ही भुगतान किए जाने की  हुई अनियमितता की किये जाने की अपेक्षा की गई है। जिलाधिकारी चन्द्र विजय सिंह के निर्देश पर सीडीओ सौरभ गंगवार ने बिना कार्य कराए ही किये गए भुगतान की जांच  के लिए ब्लाकवार जिला स्तरीय 10 टीम गठित कर तीन दिन के अंदर आख्या रिपोर्ट तलब कर ली है। शिकायत के मुताबिक कई ग्राम पंचायतों में मजदूरों की जगह वेंडरों के खाते में भुगतान किए जाने की भी शिकायत है। इतना ही नहीं वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही हर ग्राम पंचायत में 15 वें वित्त व राज्य वित्त से कराए जाने वाले कार्यों के लिए सामग्री की आपूर्ति के लिए ग्राम पंचायतों से निविदा निकाल कर फर्मो को आपूर्ति हेतु अनुबंधित किया जाता है।ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि किसी भी ग्राम पंचायत में बिना नई निविदा निकाले ही वित्तीय वर्ष के बीच मे ही किसी अन्य फर्म से सामग्री कैसे व किन परिस्थितियों में क्रय किया गया और उसका भुगतान भी कर दिया गया। फिलहाल जांच बिठा दी गई है और देखने वाली बात यह होगी कि इस जांच का भी कोई परिणाम निकल कर आता है या पूर्व की जाँचो की तरह यह जांच भी अनिश्चितता के झूले में झूलती रहेगी और विभाग अन्य घोटालों की तरह इस पर भी पानी डालने में सफल हो जाएगा।

आपको बताते चलें कि जनपद में कुल 619 ग्राम पंचायतें हैं, जिसमें राज्य व 15वें वित्त से नाली, खड़ंजा, सीसी रोड समेत कई अन्य कार्य कराए गए हैं। कराए गए कार्यों में शिकायत मिली है कि ग्राम पंचातयों में बिना कार्य कराए ही संबंधित फर्मों को भुगतान कर दिया गया है। जिस फर्म को भुगतान किया गया है उसका विवरण पंचायत राज मंत्रालय की तरफ से विकसित ई-ग्राम स्वराज के पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है।

मिली जानकारी के मुताबिक डीपीआरओ की तरफ से की गई विभागीय समीक्षा में यह बात सामने आई कि मजदूरों के मजदूरी का भुगतान उनके खाते में न करते हुए सीधे वेंडर, अर्थात उक्त शिकायत वाले गांवों में किसी अधिकारी / कर्मचारी की चहेती फर्म के खाते में कर दिया जा रहा है। इतना ही नहीं एक वेंडर एक से अधिक विकास खंडों में ग्राम पंचायतों में हो रहे कार्यों में भुगतान की कार्यवाही जा रही है जबकि नियम यह कि एक वेंडर को सिर्फ एक ही ब्लाक में भुगतान की कार्रवाई किया जा सकता है। मामले की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने इसकी जांच कराए जाने का निर्देश सीडीओ को दिया है जिसके बाद सीडीओ सौरभ गंगवार ने मामले की जांच के लिए सभी ब्लाक में जिला स्तरीय अधिकारी के साथ ही ब्लाक के एक जेई की टीम गठित करते हु जांच कराए जाने का निर्देश दिया है । उन्होंने ग्राम पंचायतों में कराए गए कार्यो व उसपर किये गए भुगतान की जांच कराते हुए तीन दिन के अंदर रिपोर्ट तलब तो कर ली है पर पंचायत विभाग पर पैनी नजर रखने वाले जानकारों की मानें तो उक्त जांच भी सोलर वाटर पम्प लगाए जाने व एक ही वेंडर को अधिकांश पंचायत में भुगतना करने सम्बंधित जांच को लटका दोषियों को प्रश्रय दे घोटाले को बढ़ावा देने जैसे ही होने वाला है।

गौरतलब है कि जिलाधिकारी चन्द्र विजय सिंह ने उक्त मामले की जांच सीडीओ को सौंपते हुए कहा कि ग्राम पंचायतों में कराए गए कार्यों में डीपीआरओ  की तरफ से पंचायत सचिव व ग्राम प्रधानों को नोटिस देकर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। इसलिए मामले की जांच जिला स्तरीय अधिकारी से कराई जाए, जिससे की कराए गए कार्यों व उसके लिए किए गए भुगतान व उसके तरीकों की सही तरीके से जांच हो सके। इससे यह बात तो आईने की तरह साफ है कि जिलाधिकारी को पंचायत विभाग की कार्यप्रणाली पर कहीं न कहीं अविश्वास तो है, अब देखना दिलचस्प होगा कि जिलाधिकारी द्वारा बैठाई गई इस जांच का क्या हश्र होता है ?

यहां यह बात गौर करने वाली है कि जनपद सोनभद्र में सप्लाई के नाम पर लगातार भ्रष्टाचार को दावत दिया जा रहा है। इस पर बार बार जांच के नाम पर रस्म अदायगी की जा रही है। जिलाधिकारी के आदेश और जांच पर कार्रवाई न के बराबर होती है। जिस अधिकारी को जांच मिलती है वह उसे लीपापोती कर ठंडे बस्ते में डाल देता है जबकि बार बार अधिकारियों के जांच आदेश को अमल में न लाने पर पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन रुल्स के तहत सम्बंधित अधिकारियों पर फौरन एक्शन होना चाहिए था। ऐसा न करने पर जांच अधिकारी उच्चाधिकारियों के आदेश को हल्के में लेने की बार बार गुस्ताख़ी कर रहे हैं इससे शिकायतकर्ता भृष्टाचारियों के आगे खुद को असहाय महसूस करता है। जनता में शासन प्रशासन के प्रति आक्रोश और निराशा का संचार बग़ावत को जन्म देती है। भ्रष्टाचार की शिकायतों को निपटाने में ज़िम्मेदार अधिकारियों का गर यही रवैया रहा तो आगामी लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए कांटों भरा सफर हो सकता है। लोकसभा चुनाव की वैतरणी पार करने के लिए जहां भाजपा तमाम छोटी बड़ी पार्टियों को एक साथ लेकर चुनाव जीतने के लिए भागीरथ यत्न करती नज़र आ रही है, यहां तक कि भृष्टाचार के आरोपी विपक्षी पार्टियों के नेताओं को भी तोड़कर पार्टी में जोड़ रही है वहीं दूसरी तरफ प्रशानिक अमला उनकी इस मंशा और ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी को पलीता लगाने पर तुला हुआ है।

 

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