धर्मसोनभद्र

कार्तिक पूर्णिमा पर हुआ संत समागम, सोनभद्र समेत आसपास के जिलों से जुटे अनुयायी

-निष्ठा एक में रखिए, प्रतिष्ठा सबकी : आचार्य सरस्वती

संत सद्गुरु स्फोटायन जी महाराज के आरती-पूजन के साथ शुरु हुआ समागम, भक्ति – भाव के संगम में भक्तों ने लगाया गोता

सोनभद्र। निष्ठा एक में रखिए और प्रतिष्ठा सबकी। हजारों अलग -अलग रास्तों से होते हुए सभी नदियां जिस तरह एक ही महासागर में समाहित हो जाती हैं, उसी तरह अलग- अलग मत-पंथ, अलग -अलग विचार और रास्ते हो सकते हैं। कभी इसमें उलझने की जरूरत नहीं। सबकी प्रतिष्ठा करें लेकिन निष्ठा अपनी जगह एक होनी चाहिए। आपकी निष्ठा जहां भी हो, जिस भाव में हो, जिस रूप में हो, वह दृढ़ होनी चाहिए। अटूट और नि:संदेह होनी चाहिए।

यह संदेश दिया आचार्य श्री साहेब सत्येंद्र कुमार सरस्वती ने। वह मंगलवार की रात कार्तिक पूर्णिमा एवं श्री गुरुनानक जयंती के अवसर पर आयोजित संतोदय सत्संग परिवार के वार्षिक संत समागम में श्रद्धालुओं को आशीर्वचन प्रदान कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि परमात्मा की प्राप्ति के लिए निष्ठावान बनिए। भक्त प्रह्लाद की निष्ठा ने भगवान को खंभे से नरसिंह रूप में अवतरित कराया। निष्ठा और विश्वास से समर्पण सधता है और इस समर्पण से शरणागति की राह खुलती है। शरणागत हो जाने पर भक्त को भगवान खुद संभालते है। पल भर में उसकी समस्त दुविधाओं का समाधान हो जाता है। इसलिए अपने गुरु पर, अपने भगवान पर अपनी निष्ठा, अपना विश्वास हर हाल में बनाए रखें।

जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है सच्चे संत सद्गुरु का मिलना। जिसको यह सौभाग्य मिला, उसे फिर कुछ और पाना शेष नहीं रह जाता। हम सब परम सौभाग्यशाली हैं कि हम सबको आचार्य श्री प्रेमनाथ सरस्वती स्फोटायन जी महाराज का पावन सानिध्य प्राप्त हुआ,दया – कृपा प्राप्त हुई। अपने मन – वचन और कर्म से कभी किसी का अहित न करें। हर क्षण – हर पल परमात्मा की दया- कृपा के सहारे रहें। जीवन हर पल क्षीण हो रहा है। इसे सार्थक बनाएं। जीवन की सार्थकता भौतिक सुख – सुविधाएं जुटाने में नहीं, परमात्मा की प्राप्ति में है। परमात्मा की प्राप्ति के लिए सच्चे सद्गुरु का मिलना बहुत जरूरी है। समस्त सृष्टि में सच्चे संत सद्गुरु ही परमात्मा से साक्षात्कार कराते हैं और ऐसे सदगुरु तभी मिलते हैं जब परमात्मा की कृपा होती है।

इससे पहले संतोदय सत्संग परिवार के अधिष्ठाता परम संत सद्गुरु आचार्य श्री स्फोटायन जी महाराज के आरती- पूजन के साथ समागम का शुभारंभ हुआ। वंदनीया माता सरस्वती देवी के पावन सानिध्य में यह सत्संग समारोह शाम छह बजे से रात 11 बजे तक चला। सोनभद्र समेत आसपास के जिलों से आए श्रद्धालुओं ने भजन – कीर्तन की रसधार बहाई। देर रात तक चले भंडारे में सैकड़ों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। संचालन संतोदय सत्संग परिवार के जिला प्रमुख तारकेश्वर देव पांडेय ने किया। इस मौके पर केशव सिंह, अनिल मिश्र, रामचंद्र द्विवेदी, मंगला प्रसाद, राममूर्ति यादव, रामानुज तिवारी, बावन साव, राजेश कुमार, चंद्रबली पांडेय, टुन्नू सिंह, डा रामनरायन सिंह, महेंद्र सिंह आदि मौजूद थे।

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