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ओभरलोड व तेज रफ्तार ट्रक की चपेट में आने से एक घायल

सोनभद्र।रात के आठ बजते ही जैसे ही शहर के अंदर आने के लिए भारी वाहनों की नो इंट्री खत्म होती है वैसे ही शहर की सड़कों पर ओभरलोडिंग का खेल शुरू हो जाता है और मजे की बात यह होती है कि दिन भर मोटरसाइकिल पर हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट न होने या फिर किसी जरूरी काम से तीन सवारी लेकर परिवहन कर रहे दुपहिया वाहनों की फोटो खींचकर उनका चालान काटने वाले ट्रैफिक पुलिस भी न जाने कहाँ गधे की सींग की तरह गायब हो जाते हैं जैसे इन भारी वाहनों को सड़क पर किसी को भी रौदते हुए चलने की पूरी छूट प्रदान करते हों।

आप सब को बताते चलें कि बीती रात लगभग 8.30 बजे के आस पास स्वर्ण जयंती चौक पर जहां से कोतवाली कुछ ही कदमों की दूरी पर है और ट्रैफिक व्यवस्था के लिए बनाई गई अस्थायी चौकी भी उसी जगह है एक व्यक्ति मोटरसाइकिल से सड़क पार करने की कोशिश कर रहा था कि तेज रफ्तार ट्रक की चपेट में आ गया और उसके दोनों पैर ट्रक की पहियों के नीचे आ जाने की वजह से पूरी तरह से कुचल कर क्षतिग्रस्त हो गए। आस पास के लोग जब चिल्लाते हुए दौड़े तब कहीं जाकर ट्रक चालक ने ट्रक रोकी और उक्त मोटरसाइकिल सवार की जान तो बच गई पर कई सवाल भी कर गई।अफरा तफरी का आलम यह था कि लोग पुलिस को फोन लगाते रहे पर कोतवाली से चंद कदमों की दुर्घटना स्थल की दूरी होने के बावजूद पुलिस जब काफी देर तक नहीं आयी तो लोगों ने उक्त घायल को किसी तरह ई रिक्शा में लादकर अस्पताल भेजा।

यहां सवाल सड़क पर दुर्घटना होने की नहीं है जब सड़क पर वाहन चलेंगे तो दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं पर प्रयास उन दुर्घटनाओं में कमी लाने की होनी चाहिए।यहां आपको बताते चलें कि आखिर शहरों में दिन के समय अर्थात जब लोग काम के लिए घर से बाहर निकलते हैं तब नो एंट्री क्यूँ होती है ?वजह साफ है कि जब शहर की सड़कों पर ट्रैफिक अधिक हो तब भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक से दुर्घटनाओं में कमी लायी जा सके। तब इस गर्मियों के मौसम में जब शाम के सात बजे तक लू के थपेड़े चल रहे हो जिसकी वजह से लोग अपने घर की ज़रूरतों के लिए बाजार में देर शाम को निकल रहे हों तब क्या रात 8 बजे नो एंट्री समाप्त किया जाना चाहिए ?

आखिर ट्रैफिक पुलिस को यह बात क्यूँ समझ में नहीं आ रही कि जब नो एंट्री खत्म होने के बाद सड़क पर ट्रैफिक है तो ट्रैफिक व्यवस्था में लगे लोगों को कुछ घंटे और रोककर दुर्घटनाओं को कम करने का प्रयास किया जाय ? हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट तो छोड़िए आखिर बिना नम्बर प्लेट की सड़को को रौंदती यह ट्रक क्या ट्रैफिक पुलिस या परिवहन विभाग को नजर नहीं आती हैं ? दो पहिया वाहनों में नम्बर प्लेट न होने या फिर छोटे सवारी वाहनों पर सीट बेल्ट न लगाने वाले लोगों पर पैनी नजर रखने वाले पुलिस या फिर परिवहन विभाग को ये भारी वाहन आखिर नजर क्यों नहीं आते यह सवालों के घेरे में है।

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