• अगर खनन के भ्रष्टाचार पर नहीं लगाया अंकुश तो 2024 में भगवान राम भी नहीं लगाएंगे बेड़ा पार
- अवैध रेत खनन और उसकी बिक्री से सरकारी खजाने को लगभग 250 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा।
- अवैध खनन मामले में पांच जून को 27 स्थानों पर छापेमारी की गई थी।
- तलाशी के दौरान मिली आपत्तिजनक सामग्रियों को आगे की जांच के लिए जब्त कर लिया गया हैः ED
ईडी के तलाशी अभियान में नकदी और खरीदी गई संपत्तियों की बिक्री कंपनियों व उनके निदेशकों के नाम पर फिक्स्ड डिपोजिट की रसीद जैसे दस्तावेज बरामद किए गए। ईडी ने कहा अन्य आपत्तिजनक सामग्री भी तलाशी के दौरान मिली आगे की जांच के लिए इन्हें जब्त कर लिया गया है ।
नई दिल्ली : ईडी ने अवैध बालू खनन मामले में ब्राडसन कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड और आदित्य मल्टीकॉम प्राइवेट लिमिटेड, उनके निदेशकों, चार्टर्ड एकाउंटेंट तथा अन्य सहयोगियों के परिसरों में तलाशी अभियान चलाया। अवैध खनन मामले में पांच जून को पटना, धनबाद, हजारीबाग (झारखंड) और कोलकाता (बंगाल) में 27 स्थानों पर छापेमारी की गई।
सरकारी खजाने को 250 करोड़ रुपये का नुकसान
ईडी ने कहा कि उसने बिहार पुलिस द्वारा कंपनियों और उनके निदेशकों के खिलाफ दर्ज विभिन्न प्राथमिकियों के आधार पर जांच शुरू की है। बिहार सरकार के खनन विभाग की शिकायतों के आधार पर आरोपितों के खिलाफ ये प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं।
इनमें आरोप लगाया गया है कि बिहार में खनन प्राधिकरण द्वारा जारी विभागीय प्री-पेड परिवहन ई-चालान का उपयोग किए बिना अवैध रेत खनन किया गया और उसकी बिक्री की गई। कहा गया है कि इससे सरकारी खजाने को लगभग 250 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा।
1.5 करोड़ रुपये की नकदी, 11 करोड़ रुपये की संपत्ति के दस्तावेज जब्त
तलाशी अभियान में नकदी और खरीदी गई संपत्तियों की बिक्री, कंपनियों और उनके निदेशकों के नाम पर फिक्स्ड डिपोजिट की रसीद (एफडीआर) जैसे दस्तावेज बरामद किए गए।
1.5 करोड़ रुपये की नकदी और 11 करोड़ रुपये की संपत्ति के दस्तावेज जब्त किए गए हैं। छह करोड़ रुपये की एफडीआर और 60 बैंक खातों को सील कर दिया गया है। ईडी ने कहा, अन्य आपत्तिजनक सामग्री भी तलाशी के दौरान मिली और आगे की जांच के लिए इन्हें जब्त कर लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सोनभद्र के सोन नदी में बालू खनन को पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध करते हुये मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार तीनो राज्यों को निर्देश जारी किया था कि सोन नदी को अभ्यरण क्षेत्र में इको सेंसिटिव जोन का हिस्सा बनाये जाने पर विचार करें। संयुक्त जाँच कमेटी का पुनः गठन करते हुऐ सम्पूर्ण सोन नदी में सभी खनन क्षेत्रों की जाँच करने और रिपोर्ट एन० जी० टी० तीन माह में जब तक नहीं सौपी जाती है तब तक खनन पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित रहेगा। एन० जी० टी० ने पूर्व में लगाये गये जुर्माना 15 करोड़ 24 लाख को पुष्ट किया है साथ ही पट्टा धारको के आगे पीछे जो भी बालू के खनन में शामिल रहे हो और लाभ अर्जित किये हो उनकी PMLA Act की धारा-3 के अन्तर्गत संम्पत्ति की जाँच कराये जाने का भी आदेश दिया है । लेकिन धीरे धीरे इस आदेश के हुए एक माह होने जा रहा है के बावजूद इस दिशा में कोई निरोधात्मक कार्यवाही अभी तक संज्ञान में नहीं आई है वह भी तब जबकि खनन मंत्रालय सीधे मुख्यमंत्री के हाथ में और निरंकुश प्रशासन पर न तो उनका चाबुक ही चल पा रहा है और न ही जनता को राहत ही मिल पा रहा है । अब तो स्थिति यहां तक आ पहुंची हैं कि स्थानीय मंडल स्तर के जनप्रतिनिधि भी कबीना मंत्री को नसीहत देने लगे हैं कि यदि समय रहते खनन के भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाया गया तो 2024 की नैया को भगवान राम भी पार नहीं लगा पाएंगे ।