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आखिर क्यूँ नहीं हो पा रही पंचायत विभाग के भ्र्ष्टाचार की जांच : सीडीओ को लिखना पड़ रहा जांच अधिकारी को बार बार पत्र

सोनभद्र।इन दिनों सोनभद्र के पंचायत विभाग में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा।पंचायत विभाग के जिम्मेदार लोग अपने चहेतों को रेवड़ियां ऐसे बांट रहे जैसे उनसे कोई पूछने वाला ही न हो। पंचायत विभाग में फैले भ्र्ष्टाचार की आंच में बहुत कुछ जल रहा है।कभी शौचालय निर्माण में घोटाले की खबर आती है तो कभी पंचायत की विकास के लिए आये धन से ब्रेंच खरीदने में किये गए धन की बंदरबांट की खबर सुर्खियां बटोर रही होती हैं तो कभी रिबोर के नाम पर किया गया घोटाला सामने आता है तो वर्तमान में एक ब्लाक में स्ट्रीटलाइट लगाने के नाम पर किये गए धन के बंदरबांट की जांच के लिए सत्ताधारी दल के एक पदाधिकारी द्वारा ब्लाक स्तरीय एक अधिकारी के खिलाफ लिखे गए शिकायती पत्र के आधार पर मुख्यविकास अधिकारी द्वारा उक्त जांच के लिए जिला स्तरीय कमेटी गठित कर जांच कमेटी से जांच कर एक सप्ताह में रिपोर्ट देने का आदेश देने के बाद भी महीनों तक जांच को लटकाए रखने को लेकर बार बार अनुस्मारक पत्र जारी करने के लिये फिर से पंचायत विभाग सुर्खियों में है।

यहां आपको बताते चलें कि पंचायत विभाग की पुरानी परंपरा है कि जब किसी जिम्मेदार की गर्दन फंसने का डर हो तो जांच को लटकाए रखो धीरे धीरे लोग भ्र्ष्टाचार वाली बात ही भूल जाएंगे।स्मम्भवतः विभाग अपने इसी आजमाए फार्मूले पर ही चल रहा हो।यही वजह है कि मुख्यविकास अधिकारी द्वारा बार बार जांच हेतु पत्र तो जारी हो रहा है पर परिणाम वही ढाक के तीन पात की तरह शिफर ही है।

मिली जानकारी के मुताबिक भाजपा के जिला महामंत्री जीत सिंह खरवार ने म्योरपुर ब्लाक में स्ट्रीट लाइट खरीद व सोलर वाटर पंप तथा बेंच खरीद में विभागीय नियमों को ताक पर रख मानक विहीन सामानों की अपनी चहेती कुछ खास फर्मो से खरीद कर धन के बंदरबांट किये जाने की शिकायत की है जिसमे वहां तैनात सहायक विकास अधिकारी( पंचायत )की भूमिका की भी जांच किये जाने का अनुरोध किया गया है। उक्त शिकायत पर जिला के आला अफसर ने तुरंत कार्यवाही शुरू करते हुए जांच कमेटी भी बना दी पर परिणाम सिफर।

सोचनीय विषय यह है कि सत्ताधारी पार्टी के जिले स्तरीय पदाधिकारी की शिकायत करने व जिला स्तरीय अधिकारी द्वारा जांच हेतु बार बार पत्र लिखने के बावजूद भी जांच अधिकारियों द्वारा जांच को महीनों तक लटकाए रख कर भ्र्ष्टाचार में लिप्त लोगों को किस तरह बचाने में कुछ लोग लगे हुए हैं और भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि आम आदमी की शिकायत पर भ्र्ष्टाचार की जांच कैसी होती होगी।आम आदमी सोच रहा कि आखिर किसी जांच को क्यूँ इतने दिनों तक लटकाए रखा जाता है।समय की शिला पर खड़ी जनता सब देख रही कि आखिर किस तरह का ये जीरो टॉलरेंस है ?जिसमे आम आदमी की थोड़ी सी गलती पर बुलडोजर चल जा रहा और कुछ लोग वर्षो तक जांच रिपोर्ट को दबाए रख मजा लूट रहे।

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