सोनभद्र। अब जब वाहन से जुड़े सारे डाटा ऑनलाइन मौजूद है फिर भी दोपहिया , तीनपहिया वाहनों का बालू परिवहन में यदि चालान हो रहा है वह भी तब जब कोई भी वाहन नंबर किस तरह के वाहन से जुड़ा हुआ है इसकी सारी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है तो यह तो कहा ही जा सकता है कि विभाग के जिम्मेदार अपनी आंख मूंद कर काम कर रहे ।जब सरकार वाहन से सम्बंधित सारे रिकॉर्ड ऑनलाइन किया तो वाहन स्वामियों को लगने लगा कि अब विभाग की लालफीताशाही पर विराम लगेगा और उनका बेवजह धनदोहन नहीं होगा, बावजूद खनन विभाग हो या परिवहन विभाग कभी दो पहिया वाहन , कभी तीन पहिया वाहन तो कभी छोटे वाहनों से बालू गिट्टी का अवैध व ओवरलोड परिवहन दिखा चालान कर देने की शिकायत लगातार मिल रही है ।
हैरान – परेशान वाहन स्वामी जब दफ्तर का चक्कर लगाने लगता है तो इसे फेक नंबर प्लेट का खेल बता कर सम्बंधित विभाग द्वारा पल्ला झाड़ लिया जाता है । खुद इस मामले को लेकर कई बार ट्रांसपोर्टर भी खनिज विभाग के लोगों पर आरोप मढ़ चुके हैं । बावजूद ट्रक – टीपर से बालू – गिट्टी परिवहन और चालान किसी दूसरे वाहन का होने की शिकायतें बनी हुई हैं।आखिर जब वाहन का चालान काटने के लिए वाहन का नम्बर डाला जाता है तो सरकारी अमले द्वारा यह क्यूँ नहीं देखा जाता कि उक्त वाहन नम्बर किस तरह के वाहन से पंजीकृत है।यदि जिम्मेदार सरकारी अमले द्वारा थोड़ा सा ध्यान दिया जाय तो उक्त परेशानी से बचा जा सकता है।पर सरकारी अमले की आंख मूंद कागजो पर दस्तखत करने की आदत ने सबको उलझा कर रख दिया है।
ताजे मामले में सांगोबांध निवासी पिकअप स्वामी सुरेश कुमार यादव के पास पिछले दिनों 25-25 हजार की वसूली के लिए दो चालान रसीद पहुंचीं तो वह अवाक रह गये । दिए गए नोटिस में कहा गया है कि आपके वाहन संख्या UP64 – AT – 5480 द्वारा बिना प्रपत्र सात घनमीटर बालू परिवहन किया जा रहा था ।
हैरान परेशान पीड़ित सुरेश का कहना है कि जिस तारीख में चालान हुआ दिखाया जा रहा है उक्त तारीख में उसका वाहन उसके गांव में घर पर खड़ा था । वहीं चालान रसीद के साथ जिस वाहन का फ़ोटो खनिज विभाग ने दिया है वह टीपर है । सुरेश ने बताया कि जबकि उसके पास बोलेरो पिकअप है । इसको लेकर वह दो बार खनिज ऑफिस भी गए । खान अधिकारी से मुलाकात की तो जवाब मिला कि आपका चालान ऑनलाइन लखनऊ तक चला गया है जिसे कैंसिल / निरस्त होने में समय लगेगा । इस मसले पर जानकारी के लिए जब ज्येष्ठ खान अधिकारी आशीष कुमार से सेल फोन पर संपर्क साधने की कोशिश की गई लेकिन उनका मोबाइल लगातार नाट रिचेबल बताता रहा।
खनन विभाग के उक्त अजीबोगरीब कारनामा सामने आने से यह तो स्पष्ट है कि वाहनों का चालान बिना वाहन नम्बर बेरीफिकेशन के ही किया जा रहा है।खनिज विभाग द्वारा चोपन के सिंदुरिया बैरियर पर बगैर परमिट बालू परिवहन के मामले में टीपर की जगह पिकअप का चालान कर दिया गया है । वह भी एक बार नहीं बल्कि एक ही पिकअप का दो दो बार चालान किया गया है। मामले का खुलासा तब हुआ जब पिकअप स्वामी के पास वसूली के लिए खनन विभाग की नोटिस पहुंची । अब वहां स्वामी खनिज विभाग के चक्कर लगा रहा है और खनिज कार्यालय के कर्मचारी आजकल करके परेशान करने में लगे हुए हैं । खास बात यह है कि ज्येष्ठ खान अधिकारी से लगाई गई फरियाद का भी कोई नतीजा नहीं निकल रहा । ऐसे में खनन विभाग के इस अलबेले कारनामे से पीड़ित को मुक्ति मिलेगी या उसे मजबूरन दूसरे मामलों की तरह , किसी दूसरे द्वारा किए गए अपराध की सजा जुर्माने के रूप में भुगतनी पड़ेगी ? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।