
सोनभद्र।एन डी ए ( भाजपा व अपनादल की संयुक्त)प्रत्याशी के रुप में सिरसिया ठकुराई से अपनादल के सदस्य के रूप में निर्वाचित जिलापंचायत सदस्य राधिका पटेल पत्नी अरुण कुमार ने जिलापंचायत अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव के लिये आज अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया।स्थानीय स्तर पर भाजपा व अपनादल में प्रत्याशी चयन को लेकर मची रार से जहां एक ओर दोनों पार्टियों की काफी किरकिरी हुई वहीं नामांकन प्रक्रिया के बादअब भाजपा व अपनादल दोनों के लिए जिलापंचायत अध्यक्ष पद पर गठबंधन की साख व जीत बनाये रखने की बड़ी चुनौती होगी। राधिका पटेल के नामांकन पत्र दाखिले के समय भाजपा के जिलाध्यक्ष सहित सदर विधायक व अन्य भाजपा नेता की मौजूदगी ने जहाँ एक तरफ गठबंधन की मजबूती के एहसास कराए वहीं दूसरी तरफ प्रत्याशी चयन को लेकर उपजी कड़ुवाहट को कम करने का प्रयास भी किया।पिछले 72 घण्टो के राजनीतिक उठापटक पर यदि गहराई से विचार किया जाय तो एक बात तो स्प्ष्ट हो जाती है कि आने वाले समय मे भाजपा नेतृत्व को कड़ी परीक्षा से गुजरना होगा क्योंकि जहाँ एक तरफ उसे अपनी ही पार्टी में बगावत का बीज बो रहे लोगों पर अंकुश लगाना होगा वहीं दूसरी तरफ गठबंधन धर्म के अनुसार अपनादल की प्रत्याशी को चुनाव में विजय भी दिलानी होगी और जीत की राह आसान नहीं है क्योंकि जिलापंचायत सदस्यों की अंकगणित फिलहाल तो गठबंधन के पक्ष में नहीं प्रतीत होती क्योंकि 31 सदस्यीय जिलापंचायत में सपा के 11,भाजपा के 6 व अपनादल के पास 4 सदस्य हैं, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि 16 का जादुई आंकड़ा किसको मिलता है।नामांकन पत्र के दाखिले के बाद अपनादल के राष्ट्रीय सचिव व सोनभद्र जिलापंचायत अध्यक्ष के लिए होने वाले चुनाव के लिए सोनभद्र का चुनाव प्रभारी का दायित्व निभा रहे अभिषेक चौबे ने कहा कि हमारा गठबंधन का प्रत्याशी अध्यक्ष पद पर विजयी होगा इसके लिए अपनादल व भाजपा दोंनो ही आश्वस्त हैं और हमारे पास बहुमत से अधिक सदस्य हैं।एक सवाल के जबाब में उन्होंने कहा कि हमारे गठबंधन में कोई रार या मनमुटाव नहीं है यह हार की हताशा में विपक्षी पार्टी द्वारा फैलाया गई अफवाह है । खैर जो भी हो इतना तो तय है कि इस जिलापंचायत अध्यक्ष पद पर हो रहे चुनाव के परिणाम का बड़ा ही दूरगामी असर होगा क्योंकि जहाँ एक तरफ इसकी गूंज 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सुनाई देगी वहीं दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव में भाजपा व अपनादल के गठबंधन पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा, यही वजह है कि भाजपा प्रदेश नेतृत्व किसी भी प्रकार का जोखिम उठाने के मूड में नहीं दिख रहा है।