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Telangana news : कर्नाटक फतह के बाद तेलंगाना और आंध्र प्रदेश पर कांग्रेस की नजर , वाईएस शर्मिला बन सकती हैं पार्टी का चेहरा !

Telangana news । इसमें सबसे महत्वपूर्ण जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ सत्ता परिवर्तन का माहौल है, साथ ही शर्मिला को अच्छे से पता है कि उनकी पार्टी वाईएसआर टीपी का तेलंगाना में कोई खास अस्तित्व भी नहीं है. ऐसे में बेहतर राजनीतिक भविष्य के लिए उनका कांग्रेस के नाव में सवार हो जाना ही बेहतर फैसला होगा.

हैदराबादकर्नाटक फतह के बाद कांग्रेस दक्षिण भारत के दो और राज्यों में सक्रिय नजर आ रही है. जानकारी के मुताबिक तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में कांग्रेस वाईएस राजशेखर रेड्डी की बेटी वाईएस शर्मिला को पार्टी का चेहरा बना सकती है. वहीं 8 जुलाई को वाईएस शर्मिला की पार्टी का कांग्रेस में विलय होने की उम्मीद जताई जा रही है.

दरअसल कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों का ही स्व. वाईएस राजशेखर रेड्डी को श्रद्धांजलि देने के लिए 8 जुलाई को कडप्पा जाने की योजना है. इस श्रद्धांजलि सभा में कांग्रेस वाईएसआर की पत्नी विजयम्मा और बेटी वाईएस शर्मिला को भी शामिल होने का न्योता भेज रही है.

कर्नाटक फतह के बाद तेलंगाना और आंध्र प्रदेश पर कांग्रेस की नजर, वाईएस शर्मिला बन सकती हैं पार्टी का चेहरा!
वाई एस आर शर्मिला

भाई के खिलाफ राजनीतिक प्रतिद्वंदिता

सूत्र बताते हैं कि वाईएसआर शर्मिला अपने भाई के खिलाफ राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के लिए पूरी तरह से मन बना चुकी हैं. यही वजह है कि 8 जुलाई के दिन वो अपने राजनीतिक दल वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का कांग्रेस में विलय का ऐलान कर सकती हैं.

कांग्रेस का चेहरा बन सकती हैं शर्मिला

ये जगजाहिर रहा है कि आंध्र प्रदेश के सीएम जगन रेड्डी और उनकी बहन शर्मिला रेड्डी के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे हैं. हालांकि दोनों ने ही अपने मनभेद को कभी सार्वजनिक नहीं होने दिया. लेकिन माना ये जाता है कि दोनों के ही चाचा वाईएस विवेकानंद रेड्डी की मौत के मामले की सीबीआई जांच के बाद दोनों के बीच दरार इतनी बढ़ गई है कि इसे खत्म नहीं किया जा सकता.

सीएम पद की दावेदार होंगी शर्मिला

कहा यह भी जाता है कि शर्मिला ने लिखित में सीबीआई को ये बताया है कि उनके भाई जगन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस से मौजूदा सांसद वाईएस अविनाश रेड्डी और उनके पिता उनके चाचा के हत्याकांड के मास्टरमाइंड हैं. अब ऐसे में जो राजनीतिक हालात उपजे हैं उससे ये साफ है कि शर्मिला पूरी तरह से अपने भाई को चुनौती देने के लिए तैयार हैं. तेलंगाना में पार्टी का चेहरा होने का मतलब सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने तक ही सीमित नहीं होगा बल्कि वाईएस शर्मिला सीएम पद की दावेदार भी हो सकती हैं.

आखिरी फैसला सोनिया गांधी पर टिका

दरअसल वाईएस शर्मिला अपने पिता के गांधी परिवार से संबंधों के चलते राजनीतिक महत्वाकांक्षा की नैया पार लगाना चाहती हैं. वाईएसआर तेलंगाना पार्टी को कांग्रेस में मिला देने की उनकी कोशिश पर आखिरी फैसला सोनिया गांधी को ही लेना है. हालांकि सोनिया की खराब सेहत के चलते इस पर फैसला लंबे समय से अटका रहा. कुछ मुख्य राजनीतिक वजह भी इस राजनीतिक घटनाक्रम की उत्प्रेरक बन रही हैं.

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जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ माहौल

इसमें सबसे महत्वपूर्ण जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ सत्ता परिवर्तन का माहौल है, साथ ही शर्मिला को अच्छे से पता है कि उनकी पार्टी वाईएसआर टीपी का तेलंगाना में कोई खास अस्तित्व भी नहीं है. ऐसे में बेहतर राजनीतिक भविष्य के लिए उनका कांग्रेस के नाव में सवार हो जाना ही बेहतर फैसला होगा.

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