Sunday, May 19, 2024
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SONBHADRA CORRUPTION NEWS: म्योरपुर ब्लाक के ग्राम पंचायतों में सोलर वाटर पम्प लगाने के नाम पर क्या किया गया बड़ा खेल ?

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इतना ही नही यहाँ एक बात और भी गौरतलब है कि ब्रेंच सप्लाई के तार भी प्रयागराज के सप्लायर से जुड़े हुए थे और म्योरपुर ब्लाक के ग्राम पंचायतों में सोलर वाटर पम्प का सप्लायर भी प्रयागराज का ही है ,अब यह महज इत्तेफाक है या फिर कुछ और यह तो जांच के बाद ही पता चलेगायहां सबसे बड़ा सवाल यही है कि प्रयागराज का सप्लायर सोनभद्र के सबसे दुरूह ब्लाक तक पहुंचा कैसे ?आखिर उसे कैसे मालूम चला कि सोनभद्र के इन दूरस्थ ग्राम पंचायतों में सोलर वाटर पम्प लगाए जाने है और वह इन ग्राम पंचायतों में सप्लाई देने आ धमका

विंध्यलीडर की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

सोनभद्र । sonbhadra news । भ्रष्टाचार की दुरभसंधि में लिप्त कर्मचारियों और अधिकारियों के काकस ने उत्तर प्रदेश के अति पिछड़े दस जिलों में से एक जनपद सोनभद्र जिसके विकास और उन्नति के लिए जहां एक ओर प्रधानमन्त्री जनपद के चतुर्मुखी विकास के लिए अपने सांसदों को उत्प्रेरित कर गोद दिलाया वही प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रात दिन के तमाम प्रयास पर पानी फेर रहे हैं । जनपद में पिछले वित्तीय वर्षो में हुए बेंच घोटाले की आग अभी ठंडी भी नहीं हो पाई थी कि म्योरपुर ब्लाक के कुछ ग्राम पंचायतों में सोलर वाटर पम्प लगाने के नाम पर करोड़ो का घोटाले की खबरें आम हो रही है , क्या योगी और मोदी के सपनो पर पानी फेरने वाले अधिकारीयों और कर्मचारियों के काकस पर जिलाधिकारी नकेल कस पाएंगे ?

विंध्यलीडर के सूत्रों का कहना है कि जनपद के सुदूरवर्ती विकास खण्ड म्योरपुर में सोलर वाटर पम्प के नाम पर प्रयागराज की एक फर्म के माध्यम से मनमाने और ऊंचे दर पर सोलर वाटर पम्प लगा कर करोड़ों रुपए का चूना सरकार को लगा दिया गया है ।

प्रचलित दर से अधिक कीमत पर क्रय किए गए पम्प


विशेषज्ञ बताते हैं कि सोलर वाटर पम्प के स्थापन में जितनी सामग्री लगाई गई है उसकी बाजार कीमत अधिक से अधिक एक लाख रुपये के आस पास आएगी ,पर इसके एवज में लगभग ढाई लाख रुपये निकाल लिया गया है । उल्लेखनीय है कि अभी कुछ दिनों पूर्व ही ग्राम पंचायतों में ब्रेंच सप्लाई के नाम पर भी कुछ इसी तर्ज पर बड़ा घोटाला सामने आया था जिसमे छः से सात हजार रुपये की कीमत वाले ब्रेंच के लिए सप्लायर को लगभग 13 हजार रुपये का भुगतान किया जा रहा था।

जब ब्रेंच आपूर्ति में घोटाले की खबर मीडिया की सुर्खियां बटोरने लगी तब जाकर उच्चधिकारियों की नींद टूटी और आनन फानन टेक्निकल टीम द्वारा उक्त ब्रेंच की सही कीमत का आकलन करने के बाद पता चला कि उक्त फर्म द्वारा आपूर्ति किये गए ब्रेंच की कीमत लगभग छः या सात हजार ही होगी और उक्त फर्म को।उतनी ही रकम सप्लायर को भुगतना करने का आदेश पारित किया गया।इतना ही नही जिन ग्राम पंचायतों ने बढ़ी हुई कीमत भुगतान कर दिया था उसकी रिकवरी भी ग्राम पंचायत सचिव व प्रधानों से कराई गई।

विगत वित्तीय वर्ष में हुआ था बेंच घोटाला

ठीक उसी तरह वितीय वर्ष 2021 – 22 में सर्वाधिक म्योरपुर ब्लाक के ग्राम पंचायतों में सोलर वाटर पम्प लगाने के नाम पर जमकर खेला किया गया । यहां आपको बताते चलें कि विशेषज्ञ कहते हैं कि ब्रेंच सप्लाई की तरह यहां भी बाजार कीमत से कई गुना अधिक कीमत पर सप्लायर से उक्त सोलर वाटर पम्प ग्राम पंचायतों ने खरीदा और आनन फानन उसका भुगतान भी कर दिया गया । इतना ही नहीं इस बात का भी ध्यान रखा गया कि कीमत ढाई लाख रुपए से अधिक न हो ताकि उसके भूगतान के लिए जिले से एप्रूवल न लेना पड़े , इसीलिए इसकी कीमत को 248000/=प्रति पम्प ही रखा गया।
इतना ही नही यहाँ एक बात और भी गौरतलब है कि ब्रेंच सप्लाई के तार भी प्रयागराज के सप्लायर से जुड़े हुए थे और म्योरपुर ब्लाक के ग्राम पंचायतों में सोलर वाटर पम्प का सप्लायर भी प्रयागराज का ही है ,अब यह महज इत्तेफाक है या फिर कुछ और यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा ।

कौन है यह प्रयागराज का सप्लायर ?

यहां सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि प्रयागराज का सप्लायर सोनभद्र के सबसे दुरूह ब्लाक तक पहुंचा तो कैसे ? आखिर उसे कैसे मालूम चला कि सोनभद्र के इन दूरस्थ ग्राम पंचायतों में सोलर वाटर पम्प लगाए जाने है और वह इन ग्राम पंचायतों में सप्लाई देने आ धमका ।जांच तो इसकी भी की जानी चाहिए कि ग्राम पंचायतों ने किस माध्यम से सोलर वाटर पम्प की सप्लाई के लिए उक्त फर्म से अनुबंध किया ,क्या ग्राम पंचायतों ने सप्लाई के लिए कोटेशन आदि के लिए निविदाएं आमंत्रित की थी या फिर सीधे उक्त फर्म को आदेश कर दिया कि आप हमारी ग्राम पंचायत में सोलर वाटर पम्प स्थापित कर दो । सवाल तो यह भी है कि जब ग्राम पंचायतों में सोलर वाटर पम्प लग रहे थे अथवा लग चुके थे तब ग्राम पंचायतों में होने वाले कार्यो के निरीक्षण के लिए उत्तरदायी अधिकारियों/कर्मचारियों ने निरीक्षण किया अथवा नहीं ?और यदि निरीक्षण किया तो क्या उन्हें यह दिखाई नहीं दिया कि जो सामग्री उक्त सप्लायर द्वारा आपूर्ति की जा रही है उसकी बाजार में वास्तविक कीमत क्या है ? आखिर उनकी निरीक्षण आख्या क्या है यह भी जांच का विषय होना चाहिए।

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सूत्रों का दावा है कि पूर्व के वर्षों में जब ग्राम पंचायतों के वित्तीय रिकॉर्ड ऑन लाइन नहीं थे तब भी यहां के कुछ ग्राम पंचायतों में सोलर वाटर पम्प लगे थे और उसे भी इस वित्तीय वर्ष में लगा दिखाकर उसके धन की बंदरबांट कर ली गयी है।

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