मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर बैठा व्यक्ति ऐसा होना चाहिए, जो किसी से भी प्रभावित हुए बिना अपना काम कर सके. चुनाव आयुक्त की चयन प्रक्रिया में चीफ जस्टिस के शामिल होना जरूरी.
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दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
नई दिल्ली । मुख्य चुनाव आयुक्त और 2 चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में ज़्यादा पारदर्शिता लाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. याचिका में मांग की गई है कि चुनाव आयुक्त का चयन चीफ जस्टिस, पीएम और नेता विपक्ष की कमेटी को करना चाहिए. इस बड़े संवैधानिक पद पर सीधे सरकार की तरफ से नियुक्ति सही नहीं है.
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जस्टिस के एम जोसफ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने 4 दिन तक मामले की सुनवाई की. बेंच के बाकी 4 सदस्य, जस्टिस अजय रस्तोगी, ऋषिकेश रॉय, अनिरुद्ध बोस और सी टी रविकुमार हैं. सुनवाई के अंत में बेंच ने सभी पक्षों से कहा कि वह 5 दिन में अपनी दलीलें संक्षेप में लिख कर कोर्ट में जमा करवाएं.
निष्पक्ष और मजबूत हो CEC
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, “मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर बैठा व्यक्ति ऐसा होना चाहिए, जो किसी से भी प्रभावित हुए बिना अपना काम कर सके. अगर प्रधानमंत्री पर भी कोई आरोप हो तो CEC अपना दायित्व मजबूती से निभा सके. चुनाव आयुक्त की चयन प्रक्रिया में चीफ जस्टिस के शामिल होने से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि एक निष्पक्ष और मज़बूत व्यक्ति इस अहम संवैधानिक पद पर पहुंचे.”
50-52 साल के क्यों नहीं? इससे वह आयोग में पूरा समय बिताएंगे. 65 साल की उम्र में रिटायर होने से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में 6 साल का कार्यकाल भी पा सकेंगे.”
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और भी हैं मांगें
मामले में कुल 4 याचिकाओं पर सुनवाई हुई. इनमें चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के अलावा यह मांगें भी उठाई गई हैं कि चुनाव आयोग को चुनाव से जुड़े नियम बनाने का अधिकार मिले, इसका एक अलग सचिवालय हो, चुनाव आयोग का बजट अलग से रखा जाए. मुख्य चुनाव आयुक्त की तरह का संवैधानिक संरक्षण बाकी चुनाव आयुक्तों को भी मिले. हालांकि, इन मुद्दों पर सुनवाई के दौरान अधिक चर्चा नहीं हुई.