Friday, April 19, 2024
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पोस्टऑफिस की करोड़ों की सरकारी जमीन अधिकारियों की उदासीनता के चलते हो गयी कब्जा- संतोष पटेल

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  1. पत्र के अनुसार यदि 1940 के खसरे में डाकखाने का आराजी न. 426, 427, 428, 329 तथा 392 था तो वर्तमान में केवल 392 न.के एक अंश से डाकखाने की खतौनी कैसे बन गयी? बाकी न. के उक्त सरकारी आराजी कैसे और किस सक्षम अधिकारी के आदेश से आबादी में दर्ज हो गयी?

1940 के खसरे में आराजी न.399 में रजिस्टरी ऑफिस दर्ज है ।वर्तमान में 399 न. आराजी से 406 न.आराजी यदि बनी है तो उक्त आराजी में दर्ज रजिस्ट्री ऑफिस की जमीन कहाँ चली गयी ?यह जाँच का विषय है।

सोनभद्र। जनतादल यूनाइटेड के जिलाध्यक्ष संतोष पटेल ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर रावर्ट्सगंज नगर पालिका (टांड़ के डौर) में पोस्ट आॅफिस एवं रजिस्ट्री आॅफिस की सैकड़ों करोड़ रू0 की जमीन को कब्जा करने का आरोप लगाया है। जिलाधिकारी को लिखे पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि जब 1940 की खतौनी के अनुसार डाकखाने का निर्माण पांच साबिक नंबरान- 426, 427, 428, 329 तथा 392 के संपूर्ण रकबे से बना है। परन्तु इन नम्बरों से बने नए नम्बरो से उक्त सरकारी जमीन को गायब कर दिया गया है। और इसी तरह से 1940 के खसरे में रजिस्ट्री आॅफिस साबिक नंबर- 399 में दर्ज है । परन्तु 399 न. से बने नए नम्बर 406 न.आराजी में से रजिस्ट्री ऑफिस गायब है। इसकी शिकायत उनके द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल पर उनकी की गई। शिकायत का रॉबर्ट्सगंज तहसीलदार द्वारा गोलमाल जबाब दिया गया है।

तहसीलदार महोदय द्वारा जवाब में बताया गया है कि वर्तमान 406 नंबर में साबिक नंबर 399 पूर्णरूप से समाहित है। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो जाता है कि 1940 का 849 नंबर जो पूरा साबिक नंबर 399 (जो वर्तमान खतौनी का आधार है) से बना है। जिसमें 1940 के खसरे में यदि रजिस्ट्री आॅफिस दर्ज है तो वह रजिस्ट्री आॅफिस आज की तारीख में कहां और किसके आदेश से गायब हो गया? ठीक इसी तरह से यदि 1940 के खसरे में दर्ज डाकखाने के उक्त पांचों साबिक नंबरों को किसके आदेश पर गायब करके पूरे डाकखाने को केवल 392मी. से बना दिया गया ? इतना ही नहीं उक्त 392मी. में डाकखाने के अतिरिक्त अन्य रकबे को आबादी घोषित करने एवं पूरा साबिक नंबर 392 को टुकड़े में किए जाने का क्या औचित्य था ? और यह किसके आदेश पर ऐसा किया गया है। इसके साथ ही यह भी प्रश्न स्वतः ही खड़ा हो जाता है कि 392 न. आराजी के अतिरिक्त डाकखाने के अन्य साबिक नंबर- जो कि 1940 के खसरे में दर्ज हैं 426, 427, 428 तथा 329 से वर्तमान में कौन सा आराजी नंबर बनाया गया है? साथ ही साथ आराजी नंबर 392 में डाकखाना पूर्ण रूप में समहाहित था तो उसे तोड़कर आबादी दर्ज करने का शासनादेश या किसी अधिकारी का कोई आदेश हो तो उसे भी बताया जाय।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उक्त सरकारी कीमती जमीनों पर हो रहे कब्जे की वैधानिकता की जाँच पड़ताल से कुछ लोगों को बचाने के लिए ही नगरपालिका का खसरा रजिस्टर गायब कर दिया गया है। जनतादल यूनाइटेड के जिलाध्यक्ष ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर उक्त सरकारी ज़मीनों पर किये जा रहे अवैध कब्जों को रोकने व किये जा चुके कब्जों को खाली कराने का अनुरोध किया है। उन्होंने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में तहसीलदार की रिपोर्ट से असहमति जताते हुए लिखा है कि ऐसे में तहसीलदार महोदय की रिपोर्ट  से वह  कत्तई संतुष्ट नहीं है। क्योंकि उनकी स्पष्ट शिकायत है कि वर्तमान में डाकखाना व रजिस्ट्री आॅफिस का जो आराजी नंबर है, वह किन आराजी नंबरों से बना हुआ है। जिसका स्पष्ट जवाब न लिखकर कुछ अन्य जानकारियां दी गयी हैं।

विचारणींय प्रश्न यहां यह है कि 1940 की खतौनी के अनुसार डाकखाना साबिक नंबरान- 426, 427, 428, 329 तथा 392 के संपूर्ण रकबे से बना है। और इसी तरह से रजिस्ट्री आॅफिस साबिक नंबर- 399 से बना है। इसके बावजूद तहसीलदार महोदय द्वारा जवाब में बताया गया है कि वर्तमान 406 नंबर में साबिक नंबर 399 पूर्णरूप से समाहित है। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो जाता है कि 1940 का 849 नंबर जो पूरा साबिक नंबर 399 (जो वर्तमान खतौनी का आधार है) से बना है। जिसमें रजिस्ट्री आॅफिस दर्ज है, वह रजिस्ट्री आॅफिस आज की तारीख में कहां और किसके आदेश से गायब हो गया? ठीक इसी तरह से डाकखाने के उक्त पांचों साबिक नंबरों को किसके आदेश पर गायब करके पूरे डाकखाने को केवल 392मी. से बना दिया गया। इतना ही नहीं उक्त 392मी. में डाकखाने के अतिरिक्त अन्य रकबे को आबादी घोषित करने एवं पूरा साबिक नंबर 392 को टुकड़े में किए जाने का क्या औचित्य है और यह किसके आदेश पर ऐसा किया गया है। इसके साथ ही यह भी प्रश्न स्वतः ही खड़ा हो जाता है कि 392मी. के अतिरिक्त अन्य साबिक नंबर- 426, 427, 428 तथा 329 से वर्तमान में कौन सा आराजी नंबर बनाया गया है? साथ ही साथ आराजी नंबर 392 में डाकखाना पूर्ण रूप में समहाहित था तो उसे तोड़कर आबादी दर्ज करने का शासनादेश या किसी अधिकारी का कोई आदेश हो तो उसे भी बताया जाय।जिलाधिकारी को लिखे पत्र में जनता दल यूनाइटेड ने उक्त प्रकरण की विस्तृत जांच कराते हुए डाकखाने एवं रजिस्ट्री आॅफिस की बेशकीमती/ सैकड़ों करोड़ रू0 की जमीन को 1940 के खसरे के अनुसार उक्त समस्त सरकारी जमीनों को अवैध कब्जों से मुक्त कराकर भौतिक एवं दस्तावेजी रूप में पुनः सरकारी जमीन घोषित/ कब्जा कराने की कार्यवाही करने की अपेक्षा की है।

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