मुश्किल में राहुल गांधी ! 2024 क्या चुनाव में इंदिरा जैसा चमत्कार दिखाएंगे कांग्रेस नेता ?

राहुल गांधी को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि योग्यता है या नहीं, इसका सवाल ही नहीं है. पार्टी राहुल गांधी का उपयोग सभी चुनावों में करेगी. 2024 में पार्टी ‘ वोट फॉर कांग्रेस , वोट फॉर ट्रुथ ‘ पर काम करेगी.
नई दिल्ली. एक समय 2013 में जब कांग्रेस नेता अजय माकन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी अचानक पहुंचे और उन्होंने एक अध्यादेश को फाड़ दिया था. इसे तत्कालीन यूपीए सरकार पहले के एक फैसले को पलटने और धारा 8 (जनप्रतिनिधित्व कानून) को बरकरार रखने के लिए ला रही थी. इसके तहत सांसद और विधायक दोषी होने पर भी तीन महीने के लिए अयोग्य घोषित नहीं किए जा सकते थे.
अब बीजेपी का कहना है कि यह कर्म है जो राहुल गांधी को काटने के लिए वापस आ गया है क्योंकि वह अब एक सांसद के रूप में अयोग्यता का सामना कर रहे हैं. लेकिन कानूनी लड़ाई के अलावा उन्हें और लंबी लड़ाई लड़नी होगी- ऐसे में आगे का रास्ता क्या है? ऐसा क्या है कि राहुल गांधी की कोर टीम, भाजपा के उस नैरेटिव का मुकाबला करने की योजना बना रही है, जिसने इस फैसले को ‘सत्यमेव जयते’ कहा है.

दरअसल, राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी ने अपनी हार का इस्तेमाल अपने लिए उन्माद और सहानुभूति जगाने के लिए किया था. उनकी मां सोनिया गांधी ने भी मुकाबला किया था जब उन्हें लाभ के पद को लेकर अपने सांसद पद से इस्तीफा देना पड़ा था, लेकिन वह दूसरी बार जीतकर सांसद बन गईं थीं. लेकिन राहुल गांधी के लिए लड़ाई कठिन और लंबी है. अगर उनकी सजा पर रोक नहीं लगी तो वे कानून के मुताबिक 6 सालों तक चुनाव नहीं लड़ सकते.
राहुल गांधी ने खुद इशारा भी किया है. अपने ट्वीट में उन्होंने कहा कि मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है. सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा इसे पाने का साधन है. ऐसी संभावना है कि राहुल गांधी और कांग्रेस इसे सत्य और सत्ता के खिलाफ खड़े होने की ‘यात्रा’ बना देंगे. जैसा कि प्रियंका वाड्रा ने भी फैसले के तुरंत बाद ट्वीट किया- ‘मेरा भाई कभी डरा नहीं है और न कभी डरेगा.’

लंबे समय तक के लिए अयोग्य हो सकते हैं राहुल गांधी
राहुल गांधी की छवि में एक और बदलाव के रूप में कांग्रेस और उनके प्रबंधक अब उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश करेंगे जो महात्मा गांधी को पसंद करते हैं और सत्ता के सामने खड़े होने का साहस रखते हैं. कांग्रेस इस संभावना के लिए भी तैयारी कर रही है कि वह लंबे समय तक के लिए अयोग्य हो सकते हैं और चुनाव नहीं लड़ सकते. हालांकि, कांग्रेस उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश करना चाहती है जो मायने रखेगा और शक्तिशाली होगा भले ही वह सांसद न हो.
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने विंध्यलीडर को बताया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि राहुल गांधी सांसद हैं या नहीं या चुनाव नहीं लड़ सकते. उनके शब्दों, उनकी लड़ाई का इस्तेमाल हम सभी राज्यों के चुनावों और 2024 के चुनावों में करेंगे. अपनी चुनावी रणनीति के तौर पर पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला करने पर कोई पुनर्विचार नहीं होगा. सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी चुनावी एजेंडे पर और भी आक्रामक होंगे.

सोनिया गांधी और प्रियंका को भी लड़ना पड़ सकता है चुनाव
हालांकि इस घटनाक्रम से सोनिया गांधी पर 2024 में चुनाव लड़ने का दबाव बढ़ गया है. वहीं प्रियंका वाड्रा के लिए वायनाड से चुनाव लड़ने का दबाव होगा, अगर राहुल गांधी वहां से चुनाव नहीं लड़ पाए. दूसरी तरफ राहुल के समर्थकों को उम्मीद है कि जैसे इंदिरा गांधी के खिलाफ कई मामलों का इस्तेमाल उन्होंने खुद की वापसी के लिए कर लिया था, ठीक वैसे ही राहुल गांधी के लिए भी होगा. लेकिन वे मानते हैं कि अब समय और राजनीति का स्वरूप भी बदल गया है. संसद के अंदर एक आवाज अब मायने रखती है लेकिन कांग्रेस को उम्मीद है कि गांधी का नाम 2024 और उसके बाद भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पर्याप्त होगा.
Your article made me suddenly realize that I am writing a thesis on gate.io. After reading your article, I have a different way of thinking, thank you. However, I still have some doubts, can you help me? Thanks.