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मणिपुर हिंसा पर सरकार सख्त , दंगाईयों को देखते ही गोली मारने का आदेश

मणिपुर में हिंसा के बीच सेना ने फ्लैग मार्च किया. पूरे राज्य में इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई है.. इसके साथ ही आठ जिलों में कर्फ्यू लगाया गया है.

इंफाल । मणिपुर में हिंसक घटना के बीच सरकार ने दंगाईयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए हैं. सरकार की ओर से जारी आदेश में साफ साफ लिखा है कि प्रशासन विषम परिस्थितियों में ही ऐसा कदम उठाए.

इस बीच मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने वीडियो जारी कर लोगों से अपील की है कि शांति के लिए सरकार का सहयोग करें. राज्य में दो समुदायों के बीच हिंसा गलतफहमी के कारण हो रही है. उन्होंने आगे कहा कि जो भी तोड़फोड़ या हिंसा करेंगे उसके खिलाफ हम कार्रवाई करेंगे.

मणिपुर में आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच कई दिनों से तनाव की स्थिति बनी हुई है. बुधवार (3 मई) की रात ये तनाव हिंसा का रूप ले लिया. इसके बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रातोंरात सेना और असम राइफल्स के कई दलों को फौरन तैनात किया गया. हिंसा के कारण 9,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है.

एक अधिकारी ने बताया कि स्थिति को देखते हुए गैर-आदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम और विष्णुपुर जिलों तथा आदिवासी बहुल चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया. उन्होंने बताया कि पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं हैं.

मामला क्या है?
गैर-आदिवासी मेइती समुदाय को एसटी के दर्जे की मांग के खिलाफ ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ ने आदिवासी एकजुटता मार्च’ बुधवार को निकाला था, लेकिन इस दौरान हिंसा भड़क गई थी. बता दें कि हाल ही में मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मेइती समुदाय को एसटी दर्जे की मांग पर चार हफ्ते के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने के लिए कहा था. इसी को लेकर मार्च का आयोजन किया गया था. 

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