Friday, April 26, 2024
Homeलीडर विशेषकुकुरमुत्ते की तरह उगते निजी अस्पताल बन गए हैं मरीजों की कब्रगाह,...

कुकुरमुत्ते की तरह उगते निजी अस्पताल बन गए हैं मरीजों की कब्रगाह, जिम्मेदार आखिर मौन क्यूँ हैं ?

-

सोनभद्र |स्वास्थ्य विभाग की मेहरबानी कहें या फिर जिला प्रशासन की उदासीनता कि जनपद मुख्यालय पर कुकुरमुत्तों की तरह उगते निजी अस्पताल और उनमें मानक विहीन स्वास्थ्य सेवाएं मरीजों की कब्रगाह बनती जा रही हैं। उक्त अस्पताल में कार्यरत अप्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी व डॉक्टर के नाम पर कार्य करते झोलाछाप डॉक्टर एक तरह से मरीजों को मौत ही बांट रहे हैं । मजे की बात तो यह है कि उक्त हॉस्पिटलों के खिलाफ तमाम शिकायतें मिलने के बावजूद अस्पताल संचालकों के खिलाफ जिम्मेदार विभागों की तरफ से कोई प्रभावी कार्यवाही नही की जाती और उसका नतीजा यह है कि मानक विहीन चलते इन अस्पतालों में उक्त झोलाछाप स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा मरीजों पर तरह – तरह के प्रयोग किये जा रहे हैं और अप्रिशिक्षित डाक्टर मरीजों के बीमार शरीर से तब तक खेलते हैं जब तक वह बेजान नही हो जाता और जब बाजी इनके हाथ से निकल जाती है तो इसके बाद उक्त अस्पताल के लोग अपने हाथ खड़े कर देते हैं ।

ताजा मामला जिला मुख्यालय गेट व जिला अस्पताल से चंद कदमों की दूरी पर स्थित एक निजी अस्पताल में कल रात इलाज के दौरान एज अधेड़ महिला की मौत के बाद उसके परिजनों द्वारा इलाज में लापरवाही से हुई मौत का इल्जाम लगाकर जमकर हंगामा किया गया । हंगामे की वजह से अस्पताल में भर्ती अन्य मरीज व उनके तीमारदारों में अफरातफरी मच गई । घटना की जानकारी पर पहुंची पुलिस ने लोगों को फिलहाल समझाबुझाकर मामला शांत तो करा दिया पर सवाल तो फिर भी वही है कि आखिर कब तक इस तरह से मरीजों की जिंदगी से इलाज के नाम पर कुकुरमुत्ते की तरह उगते अस्पतालों में लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जाता रहेगा और जिम्मेदार मौन साधे तमाशा देखते रहेंगे।

परिजनों के मुताबिक , सहिजन कला निवासी राजकुमारी ( 50 वर्ष ) पत्नी लक्ष्मन पिछले कुछ दिनों से बीमार थी और उनका इलाज जिला अस्पताल के ठीक सामने स्थित मणि मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में चल रहा था, लेकिन आज शाम अस्पताल कर्मियों की लापरवाही से राजकुमारी की मौत हो गयी । वहीं अस्पताल प्रशासन मरीज की मौत का कारण बताने के बजाय मौके से भाग खड़ा हुआ । परिजनों ने राजकुमारी का इलाज कर रहे डॉ ० अशोक कुमार यादव पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी तैनाती बतौर सरकारी डॉक्टर L – 2 में है , जिसकी वजह से उनकी अनुपस्थिति में अप्रशिक्षित डॉक्टरों द्वारा राजकुमारी का इलाज किया जा रहा था। यह स्वाभाविक है कि यदि किसी अस्पताल में मुख्य डॉक्टर नहीं है तो उस समय उनकी अनुपस्थिति में आखिर मरीजों को कौन संभालेगा ? अक्सर यह देखा जा रहा है कि किसी अस्पताल के रजिस्ट्रेशन में जिन डॉक्टरों के पैनल का नाम होता है वह लोग कही और होते हैं और उनके नाम के सहारे झोलाछाप डॉक्टरों या फिर कह लें कि अप्रशिक्षित कर्मियों द्वारा मरीजों का इलाज किया जाता है और यदि इलाज के दौरान मरीज को कोई परेशानी होती है तो उक्त अप्रशिक्षित लोग मरीज पर तरह तरह के प्रयोग शुरू कर देते हैं परिणामस्वरूप कभी कभी कोई अप्रिय घटना घट जाती है। वहीं लोग दबी जुबान यह भी कह रहे हैं कि निजी अस्पतालों के संचालक स्वास्थ्य महकमे के आला अफसरों और स्थानीय प्रशासन को अपनी तरफ आँख मूंदे रखने की एवज में मुंह मांगी रकम देते हैं , जिससे जिम्मेदार अपना मुंह बंद रखकर तमाशबीन की मुद्रा में दिखायी देते हैं । फिलहाल राजकुमारी की मौत के सीधे जिम्मेदार अस्पताल के संचालक तो हैं ही , स्थानीय प्रशासन भी उससे कम जिम्मेदार नहीं है ।

आज की इस घटना ने जहाँ एक तरफ स्वास्थ्य विभाग में तैनात डॉक्टरों द्वारा निजी प्रैक्टिस नहीं करने का राग अलापने वाले सीएमएस और सीएमओ के दावों की भी पोल खोल दी है , वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य महकमें द्वारा बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के दावों की भी हवा निकाल दी है । बहरहाल अब आगे देखने वाली बात यह होगी कि इस घटना के बाद सरकारी डॉक्टरों द्वारा NPA लेते हुए भी निजी चिकित्सालयों में सेवा देने और मानक विहीन निजी अस्पतालों पर शिकंजा कसने के लिए जिला प्रशासन कितना गंभीर कदम उठाता है या फिर कार्यवाही के लिए किसी और राजकुमारी की मौत का इंतजार होता है ।

सम्बन्धित पोस्ट

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

error: Content is protected !!