मौजूदा समय में खेल सचिव के पद पर तैनात सुहास एलवाई 2017 में प्रयागराज में डीएम के पद पर तैनात थे। सुहास के विरुद्ध अभिषेक टंडन ने आरोप लगाए थे कि पूर्व जिलाधिकारी संजय कुमार की संस्तुति पर भी नजूल की भूमि को फ्री होल्ड करने को लेकर सुहास ने अपनी तैनाती के बाद विचार नहीं किया था।
लखनऊ । IAS Suhas LY । अपने शानदार खेल और कार्यशैली को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले सोनभद्र के पूर्व जिलाधिकारी आईएएस अफसर सुहास एलवाई एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हालांकि, इस बार आईएएस अफसर पर पद के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगे हैं।
IAS सुहास के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश क्यों ?
- लोक आयुक्त ने पूर्व डीएम व आईएएस अधिकारी सुहास एलवाई के खिलाफ प्रयागराज में नजूल की भूमि को फ्री होल्ड करने के मामले में पद का दुरुपयोग करने व मनमानी तरीके से निर्णय लेने के आरोपों में उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश की है।
- लोक आयुक्त ने वर्ष 2020 की रिपोर्ट में इसका उल्लेख करते हुए शासन से कहा है कि सुहास जांच में दोषी पाए जाते हैं तो उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई करके तीन माह में लोक आयुक्त को इसकी जानकारी दी जाए।
2017 में प्रयागराज में डीएम के पद पर तैनात थे सुहास
उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में खेल सचिव के पद पर तैनात सुहास एलवाई 2017 में प्रयागराज में डीएम के पद पर तैनात थे। सुहास के विरुद्ध अभिषेक टंडन ने आरोप लगाए थे कि पूर्व जिलाधिकारी संजय कुमार की संस्तुति पर भी नजूल की भूमि को फ्री होल्ड करने को लेकर सुहास ने अपनी तैनाती के बाद विचार नहीं किया था।

लोक आयुक्त ने कहा- दोषी पाए गए सुहास तो करें कार्रवाई
- लोक आयुक्त ने कहा है कि नजूल भूखंड 32 सी, 139 व 139 बी को लेकर सुहास एलवाई द्वारा लिए गए मनमाने निर्णयों से भुक्तभोगी श्री टंडन को मानसिक परेशानी हुई है और सुहास द्वारा शासन को पद को दुरुपयोग करके शासन को भेजी गई रिपोर्ट की भी जांच की जाए।
- लोक आयुक्त ने सिफारिश की है कि यदि उच्च स्तरीय जांच में सुहास दोषी पाए जाते हैं तो उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई करके तीन माह में लोक आयुक्त को अवगत करवाया जाए।
कौन हैं आईएएस सुहास एलवाई?
लोक आयुक्त ने पूर्व डीएम व आईएएस अधिकारी सुहास एलवाई के खिलाफ प्रयागराज में नजूल की भूमि को फ्री होल्ड करने के मामले में पद का दुरुपयोग करने व मनमानी तरीके से निर्णय लेने के आरोपों में उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश की है।
लोक आयुक्त ने वर्ष 2020 की रिपोर्ट में इसका उल्लेख करते हुए शासन से कहा है कि सुहास जांच में दोषी पाए जाते हैं तो उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई करके तीन माह में लोक आयुक्त को इसकी जानकारी दी जाए।
2017 में प्रयागराज में डीएम के पद पर तैनात थे सुहास
बता दें कि मौजूदा समय में खेल सचिव के पद पर तैनात सुहास एलवाई 2017 में प्रयागराज में डीएम के पद पर तैनात थे।
सुहास के विरुद्ध अभिषेक टंडन ने आरोप लगाए थे कि पूर्व जिलाधिकारी संजय कुमार की संस्तुति पर भी नजूल की भूमि को फ्री होल्ड करने को लेकर सुहास ने अपनी तैनाती के बाद विचार नहीं किया था।
लोक आयुक्त ने कहा- दोषी पाए गए सुहास तो करें कार्रवाई
लोक आयुक्त ने कहा है कि नजूल भूखंड 32 सी, 139 व 139 बी को लेकर सुहास एलवाई द्वारा लिए गए मनमाने निर्णयों से भुक्तभोगी श्री टंडन को मानसिक परेशानी हुई है और सुहास द्वारा शासन को पद को दुरुपयोग करके शासन को भेजी गई रिपोर्ट की भी जांच की जाए।
लोक आयुक्त ने सिफारिश की है कि यदि उच्च स्तरीय जांच में सुहास दोषी पाए जाते हैं तो उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई करके तीन माह में लोक आयुक्त को अवगत करवाया जाए।
कौन हैं आईएएस सुहास एलवाई?
सुहास एलवाई मूलरूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं। सिविल सेवा में उनका चयन 2007 में हुआ था। इंजीनियरिंग करने वाले सुहास को बचपन में क्रिकेट और बैडमिंटन खेलने का शौक था। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान बैडमिंटन को पूरी तरह से सुहास ने अपना लिया। इसके बाद वह लगातार अभ्यास करने के साथ प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे और जीतते भी रहे।
आईएएस की ट्रेनिंग के दौरान भी अकादमी के विजेता रहे।
2016 में आजमगढ़ के डीएम रहने के दौरान राज्य स्तरीय टूर्नामेंट का आयोजन हुआ था, तो वहां कुछ राज्य स्तरीय खिलाड़ियों के साथ खेला तो जीत गए, जिससे उनके हौसले बढ़ गए। नवंबर 2016 में चीन के बीजिंग में हुई एशियन चैंपियनशिप में शिरकत की और खिताब जीता है।
2019 मार्च से 2020 मार्च तक बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन की ओर से 14 चैंपियनशिप का आयोजन किया गया था, जिनमें से 12 में शिरकत की थी। इनमें कुछ में स्वर्ण, रजत व कांस्य पदक जीते थे। फेडरेशन की ओर से जारी रैंकिंग में तीसरी रैंकिंग मिली और टॉप छह खिलाड़ी पैरालिंपिक 2020 के लिए क्वालिफाइ हुए।
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टोक्यो पैरालिंपिक में इतिहास रचते हुए सुहास ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया और वह ऐसा करने वाले देश के पहले भारतीय प्रशासनिक अधिकारी बन गए। मूलरूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं। सिविल सेवा में उनका चयन 2007 में हुआ था।
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