Sunday, May 5, 2024
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ग्रामपंचायत पल्हारी में अपनी दुर्दशा पर रोता पंचायत भवन

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श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन योजना के तहत चयनित कोदई क्लस्टर में हुए विकास कार्यों की गुड़वत्ता पर उठ रहे सवाल।निर्माण के कुछ समय बाद ही दरकने लगी सड़के व दीवारें

सोनभद्र।एक तरफ जहां केंद्र की मोदी सरकार व उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी अपनी पूरी ताकत लगा दिए हैं कि गांव में जनता को सरकार द्वारा संचालित समस्त योजनाओं की जानकारी उनके घर के करीब मिल जाय ।इसी उद्देश्य से ग्रामपंचायत में बने पंचायत भवनों को दुरुस्त कर उसमें कार्य करने के लिए हर पंचायत में पंचायत सहायक नामक कर्मचारी की नियुक्ति की जा रही है।परन्तु जिनके कंधो पर सरकार ने पंचायतों को चाक चौबंद करने की जिम्मेदारी सौंपी है लगता है उन जिम्मेदार अधिकारियों का कार्य केवल फाइलों में सब कुछ ओके रखने तक ही सीमित है।

यदि ऐसा नही होता तो ग्राम पंचायत पल्हारी के जर्जर पंचायत भवन पर जिम्मेदारों की नजर अवश्य गयी होती।यहाँ आपको यह भी बताते चलें कि उक्त गांव श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन परियोजना के तहत चयनित गांवों में से एक है।आपको बताते चलें कि उक्त योजना के तहत चयनित गांव शासन की प्राथमिकता में हैं। जब उक्त गांव की हालत यह है तो आप समझ सकते हैं कि बाकी जनपद में विकास योजनाओं का क्या हाल होगा।श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन योजना में एक क्लस्टर बनाकर चयनित गांवों को बिल्कुल शहरों जैसी व्यवस्था बनानी थी परंतु लगता है कि इसके लिए जिन कंधों पर सरकार ने यह जिम्मेदारी सौंपी वह लोग केवल फाइल में सब कुछ ओके दिखाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ले रहे हैं।

पल्हारी का जर्जर पंचायत भवन तो इन जिम्मेदार लोगों की विकास कार्यों के भौतिक सत्यापन के प्रति इनकी उदासीनता की बानगी भर है आगे विन्ध्य लीडर की टीम श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन योजना में चयनित कोदई क्लस्टर के गाँवो में विकास के नाम पर मची लूट से जनता को अवगत कराने का सार्थक प्रयास करेगी।यहाँ एक बात तो सत्य प्रतीत होती है कि सरकार चाहे जिसकी हो विकास के नाम पर आए धन की बन्दरबाँट पर शायद ही कभी अंकुश लग पाए।अधिकारियों को फाइल में ओके से निकल कर धरातल पर भी जाने की जब तक परम्परा विकसित नहीँ होगी तब तक नीचे के कर्मचारियों द्वारा फाइलों में सब कुछ ओके करने की परंपरा का निर्वहन चलता रहेगा।इससे यह बात भी सामने आती है कि विकास कार्यों की निगहबानी में जनप्रतिनिधियों ने भी उदासीनता का रुख अपनाते हुए फाइलों के अवलोकन तक खुद को सीमित कर लिया है यदि ऐसा नहीं होता तो श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन योजना में चयनित गांवों में विकास कार्यो की यह दुर्गति नहीँ होती।

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