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Breking: कागजों में हेरा फेरी कर फर्जी बोल्डर का इंद्राज कर परिवहन प्रपत्र सी निकाल गिट्टी बाहर भेजने वाले क्रेशर प्लांट पर लगा करोड़ो का जुर्माना

Sonbhadra news ( सोनभद्र)। अभी कुछ दिनों पूर्व ही सोनभद्र के चोपन थाने में खनन विभाग द्वारा एफ आई आर दर्ज कराई गई थी कि भंडारण लाइसेंस की आड़ में दो क्रेशर प्लांट संचालकों द्वारा फर्जी या फिर पुराने एम एम 11 के आधार पर बोल्डर दिखा कर फर्जी ढंग से गिट्टी को बाजार तक पहुंचाने के लिए प्रपत्र सी निकाल कर सरकार को करोड़ो रूपये राजस्व की क्षति पहुंचाने के कारण उक्त कार्य मे लिप्त लोगों की जांच कर विधिक कार्यवाही की जाय। खनन विभाग द्वारा उक्त एफआईआर दर्ज कराने के बाद खनन क्षेत्र में हड़कंप मच गया और परमिट या फिर प्रपत्र सी के अभाव में खनन सामग्री लोड कर गाड़िया क्रेशर प्लांटों पर हफ़्तों खड़ी रही जिसका परिणाम यह रहा कि परमिट या प्रपत्र सी के अभाव में खनन क्षेत्र में हाहाकार मच गया और परमिट की कालाबाजारी शुरू हो गई और परमिट के दाम आसमान छूने लगे।

फर्जी कागजो में इंद्राज के सहारे प्रपत्र सी निकालने वाले क्रेशर संचालक पर हुई एफआईआर की आग अभी बुझ भी न पाई थी कि भंडारण लाइसेंस की आड़ में कागजों में हेरा फेरी कर फर्जी बोल्डर का स्टॉक दिखा प्रपत्र सी निकाल सरकार के राजस्व को चूना लगाने के आरोप में एक और क्रेशर संचालक पर खनन विभाग द्वारा तीन करोड़ पांच लाख का जुर्माना ठोकने से खनन क्षेत्र में हड़कंप मच गया है।

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यहां आपको बताते चलें कि वर्तमान सरकार ने क्रेशरों से निकली गिट्टी को बाजार तक पहुंचाने के लिए परिवहन प्रपत्र सी का प्रावधान किया है।अर्थात पहले खनन सामग्री लेकर चलने वाले वाहन जहां एम एम 11 के सहारे चलते थे अब इस बदलते नियम के मुताबिक प्रपत्र सी के सहारे परिवहन करना होता है।अब नए नियम के मुताबिक खदान संचालक द्वारा दिये गए एम एम 11 को क्रेशर संचालक अपने पास रखता है और उसके पास जितनी मात्रा का एम एम 11 होता है उतनी मात्रा में वह प्रपत्र सी निकाल कर उसके प्लांट से खनन सामग्री लेकर परिवहन करने वाले वाहनों को देता है और यह सब होता है खनन विभाग द्वारा बनवाये गए एक पोर्टल के माध्यम से जिसकी लॉगिन आईडी क्रेशर संचालक के पास होती है।अर्थात जिस पट्टे धारक से वह बोल्डर खरीदता है वही पट्टाधारक उसे उतनी मात्रा का एम एम 11 देता है और उक्त क्रेशर संचालक खनन विभाग के पोर्टल पर अपनी लॉगिन आईडी से जैसे ही उक्त एम एम 11 को अपने स्टॉक में लोड करता है तो उसी मात्रा के अनुपात में वह प्रपत्र सी निकाल कर ट्रक चालक को देता है जिसके सहारे खनन सामग्री का परिवहन होता है।

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मिली जानकारी के मुताबिक कुछ क्रेशर संचालकों द्वारा खनन विभाग के उक्त पोर्टल पर फर्जी ढंग से एम एम 11 लोड कर बोल्डर का भंडारण दिखा प्रपत्र सी निकाल कर उसके सहारे खनन सामग्रियों का परिवहन कराया जिससे सरकार के राजस्व को चूना लगाया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिस क्रेशर संचालक पर तीन करोड़ पांच लाख का जुर्माना लगाया गया है उक्त क्रेशर संचालक द्वारा प्रदेश के दूसरे जिलों से बोल्डर अपने यहां मंगा कर उसे स्टॉक में लेकर उसके सहारे प्रपत्र सी निकाल खनन सामग्री को बाहर भेजा जबकि जांच में भौतिक रूप से बाहर से बोल्डर मंगाए जाने के साक्ष्य नहीं मिले। यहां यह बात स्वाभाविक रूप से उठती है कि जब एक क्रेशर संचालक द्वारा इस तरह फर्जी कागजों के आधार पर बोल्डर का स्टॉक दिखा प्रपत्र सी निकलने की घटना को अंजाम दिया गया है तो क्या अन्य लोगों ने इस तरह का कार्य नहीं किया होगा ?फिलहाल इस के कई अन्य सवाल भी हैं जिनका जबाब विभाग को ढूंढना होगा ,मसलन यदि जहाँ का बोल्डर उक्त क्रेशर संचालक द्वारा स्टॉक में दिखाया जा रहा है नहीं था तो उक्त बोल्डर उक्त क्रेशर संचालक को किस पट्टेधारक ने दिया ? और दूसरा सवाल यह भी है कि जिस पट्टेधारक ने उक्त क्रेशर पर बोल्डर दिया तो उतनी मात्रा का एम एम 11 क्यों नहीं दिया ? क्या उक्त पट्टेधारक द्वारा उसके पट्टे की निर्धारित वार्षिक मात्रा से अधिक का खनन किया गया जो एक तरह से अवैध खनन की श्रेणी में आता है और उसी को छुपाने के लिए दूसरे जनपदों से बोल्डर की खरीद दिखाई गई?

खनन सामग्री लेकर परिवहन करने के लिए क्रेशर संचालकों द्वारा प्रपत्र सी जेनरेटर करने के लिए फर्जी ढंग से एम एम 11 को पोर्टल पर अपलोड कर बोल्डर का स्टॉक दिखाने से एक बात तो साफ है कि जिले में अवैध खनन चल रहा है और उसी अवैध खनन से निकले बोल्डर/पत्थरों से बनी गिट्टी को बाजार तक पहुचाने के लिए ही फर्जी एम एम 11 की आवश्यकता इन क्रेशर संचालकों को पड़ रही है और यदि ऐसा नहीं होता और पट्टेधारक यदि अपनी निर्धारित वार्षिक मात्रा के बराबर ही खनन करता तो फर्जी या दूसरे जनपदों के एम एम 11 की आवश्यकता ही क्यू पड़ती।

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