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https://youtu.be/BPEra4qczfc
सोनभद्र । सोशल मीडिया पर देखा कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री माननीय जीतन राम मांझी जी,ब्राह्मण समाज और राम पर अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं।उनकी समस्या है कि वह ब्राह्मण को जाति के रूप में और श्रीराम को एक सामान्य मनुष्य के रूप में देखते हैं ।
ब्राह्मण एक जाति नही, इंस्टिट्यूशन है।ज्यादातर आंदोलन और बदलाव ब्राह्मणों के नेतृत्व में हुए। इतिहास देखिए, भगवान बुद्ध के शुरुआती शिष्य ब्राह्मण रहे।भगवान महावीर के आचार्य और गणधर भी ब्राह्मण ही थे।

हिंदुस्तान में सुधारवादी आंदोलन का नेतृत्व रामानन्दाचार्य,बसवेश्वर ने किया तो सामाजिक सुधार के लिए राजाराम मोहनराय ,स्वामी दयानन्द सरस्वती, गोविन्द महादेव रानाडे ने ब्राह्मण होते हुए भी ब्राह्मणों के खिलाफ आंदोलन चलाए।

देश मे सेकुलर मूवमेंट चलाने वाले गोपालकृष्ण गोखले, गोविन्द वल्लभ पंत,राष्ट्रवादी आंदोलन में वासुदेव बलबन्त फड़के, वीर सावरकर, डॉ हेडगेवार, गोलवलकर और कम्युनिस्ट आंदोलन की अगुवाई करने वाले बी एल जोशी, नामुदारीपाद बहुत से नाम शामिल हैं ।
इसीलिए ब्राह्मण को केवल पुराणपंथी या समाज मे उत्पन्न सभी समस्याओं का जड़ समझना अज्ञानता है। इस प्रकार की ओछी और निम्नस्तरीय चर्चा केवल बौद्धिक दिवालिया पन को ही प्रकट करता है।

हर समाज मे वन्दनीय ,पूज्यनीय और प्रेरणा देने वाले श्रेष्ठ और जेष्ठ महापुरुष हुवे हैं उनमें से अच्छाई ग्रहणकर ही हम गौरवशाली समाज की रचना कर सकते हैं।
हिन्दू वाहिनी के प्रमुख पद पर रह कर संगठन का कार्य करने वाले श्री पाण्डेय ने कहा कि मैं आदरणीय जीतन राम माँझी से पूछना चाहूंगा की आप जिस महामानव बाबा साहब अंबेडकर की कृपा और भारतीय संविधान की वजह से आप और हमारे जैसे लोग भारत में सम्मान पा रहे हैं ,उन्होंने क्यों भारतीय संविधान के प्रथम पृष्ठ पर राम दरबार का चित्रण किए हैं ? भारत के राष्टपिता परम् पूज्य बापू ने क्यों भारत के लिए “रामराज्य” की कल्पना किये ? जबकि उनके (मांझी जी के) कथनानुसार राम काल्पनिक हैं |