ईमानदार और निड़र पत्रकारिता के हाथ मजबूत करने के लिए विंध्यलीडर के यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब और मोबाइल एप को डाउनलोड करें
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ हो गई है. इस दिन सुबह-सुबह नदी में व्रती स्नान करते हैं, जिसके बाद भोजन बनाया जाता है. आज के दिन चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद छठव्रती ग्रहण करते हैं.
सोनभद्र । उत्तर भारत का प्रसिद्ध चार दिनों तक चलने वाले छठ व्रत की शुरुआत ‘नहाय-खाय’ के साथ हुई. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान कर नए कपड़े पहनकर पूजा करती हैं. छठ व्रतियों को नए कपड़े दिये जाते हैं. पीले और लाल रंग के कपड़ों की विशेष महत्ता होती है. हालांकि, दूसरे रंगों के कपड़े भी पहने जा सकते हैं. स्नान के बाद ही छठ व्रती चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण करती हैं.
आज नहाय-खाय से छठ पूजा शुरू होगी. नौ नवंबर मंगलवार को खरना किया जाएगा. दस नंवबर बुधवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. वहीं, 11 नवंबर गुरुवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसके साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाता है.
![](https://www.vindhyaleader.com/wp-content/uploads/2021/11/Screenshot_20210706-161146_WhatsApp-14-998x1024.jpg)
छठ व्रतियों के लिए विशेष भोजन
व्रत रखने वाली महिलाओं के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य भोजन करते हैं. इस दिन व्रत से पूर्व नहाने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करना ही ‘नहाय-खाय’ कहलाता है. मुख्यतौर पर इस दिन छठ व्रती लौकी की सब्जी और चने की दाल ग्रहण करते हैं. इन सब्जियों को पूरी पवित्रता के साथ धोया जाता है. खाना पकाने के दौरान साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है. खाना पकाने के दौरान भी छठ व्रती छठी मईया की गीतों से आराधना करती नजर आती हैं.
नहाय खाय के दिन जो खाना खाया जाता है, उसमें सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. नियम का पालन करते हुए छठ व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद घर के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण कर सकते हैं. यह व्रत काफी कठिन होता है. इसलिए बीमार या शारीरिक रूप से कमजोर लोग इस व्रत को नहीं कर सकते हैं.
![](https://www.vindhyaleader.com/wp-content/uploads/2021/11/Screenshot_20211021-113218_Gallery-20.jpg)
व्रतियों को रखना होता है इन बातों का ध्यान
36 घंटे निर्जला रहने वाले छठ व्रतियों को यह व्रत कठिन नहीं बल्कि आसान लगता है. व्रत करने वाला व्यक्ति यानी छठ व्रती व्रत पूरा होने तक जमीन पर ही सोते हैं. नहाय-खाय के दिन बनने वाले भोजन को बनाने के दौरान भी कई खास बातों का ध्यान रखना होता है. जो खाना इस दिन बनाया जाता है उसे रसोई के चूल्हे पर नहीं बल्कि लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जाता है. इस चूल्हे में केवल आम की लकड़ी का ही इस्तेमाल किया जाता है. इस दिन तमाम नियमों का पालन करते हुए भोजन बनाकर सबसे पहले सूर्य देव को भोग लगाया जाता है. उसके बाद छठ व्रती भोजन ग्रहण करते हैं और उसके बाद ही परिवार के दूसरे सदस्य भोजन कर सकते हैं.
![](https://www.vindhyaleader.com/wp-content/uploads/2021/11/Screenshot_20211021-113206_Gallery-19.jpg)
नियमों का पालन
नहाय-खाय के दिन से व्रती को साफ और नए कपड़े पहनने चाहिए. नहाय-खाय से छठ का समापन होने तक व्रती को जमीन पर ही सोना चाहिए. व्रती जमीन पर चटाई या चादर बिछाकर सो सकते हैं. घर में तामसिक और मांसाहार वर्जित है. इसलिए इस दिन से पहले ही घर पर मौजूद ऐसी चीजों को बाहर कर देना चाहिए और घर को साफ-सुथरा कर देना चाहिए. मदिरा पान, धूम्रपान आदि न करें. किसी भी तरह की बुरी आदतों को करने से बचें. साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना जरूरी होता है. पूजा की वस्तु का गंदा होना अच्छा नहीं माना जाता है. इसलिए साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें. छठ की छटा नहाय-खाय के साथ ही चारों ओर देखने को मिलती है.