बच्चे अपने अपने घर से अभिभावकों की नजर में पढ़ने जाते हैं और गार्जियन तो यही समझ रहा होता है कि जब बच्चा स्कूल पहुंच गया तो जब तक स्कूल टाइम है वह स्कूल परिसर में ही रहेगा और वहां पढ़ाई करेगा।परन्तु एक स्कूल का नजारा देख लगा कि गार्जियन की सोच सभी स्कूलों के बारे में ठीक नही है क्योंकि बहुत ही पिछड़े इलाके के एक स्कूल का नजारा देख ऐसा लगा मानों हम स्कूल नहीं किसी चिड़ियाघर के गेट पर खड़े हों।आगे हम आपको एक वीडियो दिखा रहे हैं जिसको देखकर आप सभी को भी सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा कि आखिर विद्यालय प्रबंधन क्या कर रहा है।
उक्त नजारा रामगढ़ क्षेत्र के सिल्थम स्थित आदिवासी इंटर कालेज का है जहाँ स्कूल का गेट तो अंदर से बन्द कर दिया गया है परन्तु ऐसा लगता है कि विद्यालय में बच्चे अपनी हाजिरी लगाने के बाद गेट फांदकर बाहर घूमने के लिए लगातार बाहर निकल रहे हैं।उक्त नजारे से एक बात तो साफ है कि स्कूल प्रबंधन बच्चों के प्रति उदासीन है और अध्यापक क्लास में नहीं होते,क्योंकि यदि अध्यापक क्लास में बच्चों को पढ़ा रहे होंगे तो बच्चे अवश्य ही क्लास में रहते और इस तरह अपना और देश दोनों के भविष्य को इस तरह बर्बाद नहीं कर रहे होते।
मिली जानकारी के मुताबिक उक्त विद्यालय में टीचर व प्रधानाध्यापक कालेज परिसर मे ही उपस्थित रहते है लेकिन कालेज परिसर में उपस्थिति दर्ज कराने के बाद बच्चे गेट फांदकर बाहर घूमने चले जाते हैं वह केवल अंदर से तमाशबीन की तरह देखने के शिवा कुछ नहीं करते।इससे यह तो साफ है कि विद्यालय प्रबंधन का उदासीन रवैया स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने पर आमादा है।