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बलराम दास केसरवानी ने अपना लिया था खादी वस्त्र।
महात्मा गांधी सितंबर 1929 में खादी के लिए चुनार, मिर्जापुर में आए थे ।
गांधी टोपी बन गई थी स्वतंत्रता आंदोलन की प्रतीक चिन्ह।
गांधीजी के अछूतोंधार कार्यक्रम से आया था सोनभद्र के सामाजिक जीवन में बदलाव।
रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र) राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 152वी एवं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 118वी जयंती साहित्य, कला, संस्कृति के क्षेत्र में अनवरत 23 वर्षों से कार्यरत विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर ट्रस्ट के प्रधान कार्यालय में मनाया गया।
इस अवसर पर अपना विचार व्यक्त करते हुए ट्रस्ट के निदेशक दीपक कुमार केसरवानी ने कहा कि-“2 अक्टूबर को देश की दो महान विभूतियों महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री ने जन्म लिया था। इन दोनों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया।
बापू ने हमें ‘सत्य और अहिंसा’ के मार्ग पर चलना सिखाया, तो शास्त्री जी ने ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा दिया। महात्मा गांधी एक ऐसी शख्सियत थे, जिनके बताए मार्ग का आज भी देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी लोग अनुसरण करते हैं। वहीं, शास्त्री जी ईमानदारी और सच्चे राष्ट्रवाद का उदाहरण बने।
इन दोनों महान विभूतियों का संबंध पूर्वर्ती जनपद मिर्जापुर से रहा है। संयुक्त प्रांत वर्तमान उत्तर प्रदेश में सितंबर सन1929 में महात्मा गांधी ने खादी के लिए दौरा किया था। इस क्रम में उनका दौरा 11 सितंबर से 27 सितंबर 1929 तक हुआ। इस दौरान उन्होंने आगरा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर, बनारस, लखनऊ, क्षेत्रों का दौरा किया था।
गांधी द्वारा किए जाने वाले दौरो के क्रम में जनपद मिर्जापुर के सदर और चुनार तहसील मे इनका आगमन हुआ और उन्होंने दोनों स्थानों पर विशाल जनसभा को संबोधित किया था इनकी सभा में मिर्जापुर जनपद के रॉबर्ट्सगंज, दुद्धी तहसील के आदिवासियों, किसानों, मजदूरों, क्रांतिकारियों, देशभक्तों ने महात्मा गांधी के विचारात्मक, सकारात्मक संबोधन को सुना था।
गांधी जी ने मिर्जापुर के निवासियों का आवाहन करते हुए स्वतंत्रता आंदोलन में नशाबंदी का पालन करते हुए अधिक संख्या में भाग लेने का आह्वान किया था।गांधीजी के इस उद्घोष का प्रभाव जनपद सोनभद्र में रहने वाले युवा क्रांतिकारियों, नेताओं, देशभक्तों पर पड़ा वे स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।
रॉबर्ट्सगंज नगर के क्रांतिकारी, समाजसेवी, व्यापारी बलराम दास केसरवानी ने महात्मा गांधी के खादी आंदोलन से प्रभावित होकर खादी वस्त्र को अपना लिया था। गांधीजी के अछूतोंद्बार कार्यक्रम से जनपद के निवासियों में सामाजिक बदलाव आया बलराम दास केसरवानी गांधी की इस आंदोलन से इतना प्रभावित हुए कि नगर के बढौली चौराहा पर (वर्तमान स्वर्ण जयंती चौराहा) छुआछूत के उन्मूलन के लिए एक सभा का आयोजन किया गया था ।
इस जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने गांधीजी के मार्ग का अनुसरण करते हुए कहा कि-” ईश्वर ने सभी मनुष्य को समान बनाया है इसलिए हमारे समाज में छुआछूत, ऊंच नीच का भेदभाव नहीं होना चाहिए और हम सभी को एक सूत्र बधकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेना चाहिए। तभी हम ब्रिटिश हुकूमत से मोर्चा ले सकते हैं जब हम एक होंगे।
इस अवसर पर उन्होंने एक सामूहिक भोज का आयोजन किया, इस आयोजन में नगर के सभी धर्म, जाति, कुल गोत्र के लोगों ने मिल बैठकर सामाजिक एकता का परिचय देते हुए भोजन किया था जिसके कारण उन्हें सामाजिक बहिष्कार का भी सामना करना पड़ा था।
महात्मा गांधी के खादी आंदोलन का इतना प्रभाव सोनभद्र में पड़ा कि गांधी टोपी स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक बन गया था और इसे देशभक्तों ने कफन की तरह इसको अपने माथे पर सजा कर अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे।
भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री, भारत रत्न सम्मान से सम्मानित लाल बहादुर शास्त्री का संबंध वाराणसी एवं मिर्जापुर जनपद से रहा है। ये गांधीवादी विचार, दर्शन से प्रभावित थे, इन्होंने सन 1942 मे “मरो नहीं मारो”* का नारा देकर पूरे देश में क्रांति का संचार कर दिया था।
सोनभद्र जनपद के नगरी, ग्रामीण, क्षेत्रों में रहने वाले लोगों पर इसका असर पड़ा। यहां के लोग निडर होकर ब्रिटिश साम्राज्य के शोषण के विरुद्ध आवाज उठाया और अंग्रेज पुलिस, सैनिकों से मुकाबला किया।
कार्यक्रम में समाजसेवी राधेश्याम बंका, विजय केसरी, सौरभ गुप्ता, अधिवक्ता संजय श्रीवास्तव, साहित्यकार प्रतिभा देवी, शिक्षिका तृप्ति केसरवानी, सहित अन्य विशिष्ट जन उपस्थित रहे। गांधीजी के रामधुन का भी गायन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ महात्मा गांधी और शास्त्री जी के चित्र पर अतिथियों द्वारा माल्यार्पण करके किया गया।
कार्यक्रम का सफल संचालन ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी हर्षवर्धन केसरवानी ने किया।