रेनुकूट।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार भूमाफियाओं द्वारा कब्जा की गई जमीनों पर बुल्डोजर चलवा कर उसे खाली करवा रहे हैं और शायद मुख्यमंत्री की इस छवि ने भी उनके दूसरे कार्यकाल के लिए विजय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है क्योकि संम्भवतः गरीबों को यह लगने लगा था कि उनकी जमीनों पर किये गए अवैध कब्जों को मुख्यमंत्री अपने दूसरे कार्यकाल में मुक्त करा सकते हैं और शायद यही कारण रहा है कि ग़रीब आदिवासियों ने इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पहले से अधिक वोट देकर लगातार दूसरी बार सत्तासीन होने का इतिहास रच दिया।
परन्तु जब सत्ताधारी दल के ही लोगों द्वारा गरीब आदिवासियों को गुमराह कर उसकी जमीन को कागजों में हेराफेरी कर उनकी कीमती जमीनों को हथियाने की कोशिश जारी हो और गरीब आदिवासी अपनी जमीन को सत्ताधारी दल के नेताओं के चंगुल से छुड़ाने के लिए दर ब दर भटक रहे हो तो क्या उसे मुख्यमंत्री के उस पहल का लाभ मिल पायेगा ? इस बात में संशय है।
यहां आपको बताते चलें कि रेणुकूट बाजार से सटे गांव खाड़पाथर में गरीब आदिवासी गिरिजा खरवार पुत्र सीताराम ने जिलाधिकारी सोनभद्र को प्रार्थनापत्र देकर गुहार लगाई है कि उसकी जमीन जो खाड़पाथर के खाता संख्या 226 में आराजी न0 250,251,252,253,268,269 कुल रकबा लगभग साढ़े पांच बीघा कीमती शहर के किनारे की जमीन को अनपढ़ होने की वजह से विनिमय दिखाकर उसके बदले दुद्धी तहसील के दूसरे गांव रनटोला की जमीन बदल कर अधिकारियों की मिलीभगत से कब्जा कर मेरी जमीन पर प्लाटिंग का कार्य कर कालोनी बसा रहे हैं जबकि जिस जमीन को अपनी जमीन बताकर उसकी कीमती जमीन का विनिमय कराया गया है उसपर उनका कभी अधिकार ही नही रहा है ऐसे में उक्त गरीब आदिवासी दाने दाने को मोहताज हो अधिकारियों के दरवाजे हाजिरी लगा रहा है।
गरीब आदिवासी के उक्त प्रार्थनापत्र को संज्ञान में लेते हुए जिलाधिकारी ने जांच कराई तो जांच रिपोर्ट में भी खेत्रीय लेखपाल की आख्या में उक्त आदिवासी द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि हुई है।क्षेत्रीय लेखपाल ने जिलाधिकारी के आदेश पर की गई जांच में जो रिपोर्ट दी है उसके अनुसार वर्ष 2003 में आवेदक के पिता सीताराम द्वरा खाड़पाथर स्थित अपनी भूमि को चांद प्रकाश जैन पुत्र दिलीप चंद जैन की रनटोला व किरवानी स्थित जमीन से विनिमय किया जिसपर तत्कालीन उपजिलाधिकारी की संस्तुति के बाद विनिमय सुदा जमीनों पर उनके मालिकाना हक चढ़ जाने के बाद चांद प्रकाश जैन द्वारा खाड़पाथर स्थित जमीन को कई लोगों को बेच दिए जाने के कारण वह रिहायशी इलाके के रूप में विकसित हो चुका है।
अपनी रिपोर्ट में लेखपाल द्वारा यह भी उल्लेख किया गया है कि जिस जमीन के बदले चाँद प्रकाश जैन ने उक्त गरीब आदिवासी की जमीन को विनिमय किया है उस पर कभी उनका कब्जा नहीं रहा है और न ही विनिमय के बाद सीताराम कभी कब्जा कर पाए हैं। सवाल तो यही है कि जब जिस जमीन पर उक्त सत्ताधारी दल के नेता का कब्जा ही नहीं रहा तो उनकी उस जमीन से गरीब आदिवासी के जमीन का विनिमय हुआ कैसे ?फिलहाल गरीब अनपढ़ अदिवादी किसान न्याय के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहा है पर सवाल यही है कि क्या मुख्यमंत्री योगी द्वारा भूमाफियाओं के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान का फायदा इस गरीब अदिवासी को मिल पायेगा वह भी तब जब उनके ही पार्टी के नेताओं द्वारा उक्त गरीब आदिवासी किसान को छला गया हो।
यहां यह बात भी गौरतलब है कि एक तरफ भाजपा का शीर्ष नेतृत्व आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती महिला को देश का प्रथम नागरिक बनाने के लिए पूरी ताकत से लग कर यह संदेश दे रही है कि पार्टी पूरी तरह से अंत्योदय के महाअभियान में लगी है तो दूसरी तरफ उनकी ही पार्टी के कुछ लोग अपने निहित स्वार्थों के पूर्ति हेतु इन गरीब आदिवासियों के अनपढ़ होने का लाभ उठाकर उनके रोजी रोटी व उनके घर जमीनों पर कब्जा करने का कुचक्र भी रच रहे हैं।अब देखना होगा कि इस विषम परिस्थितियों में गिरिजा खरवार जैसे गरीब आदिवासी किसानों को कोई लाभ मिल पाता है अथवा नहीं ?