Friday, April 19, 2024
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21 महीनों में गुजरातियों ने बेच दिया 28 मीट्रिक टन सोना, जानिए क्या रही मजबूरी ?

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भारत में 21 महीनों में 142 मीट्रिक टन सोना रिसाइकिल हुआ

ग्रामीण इलाकों में भी कई लोगों को आपात मेडिकल खर्चों की पूर्ति के लिए सोना बेचने को मजबूर होना पड़ा है। इन सभी वजहों पर सोने की रिसाइकलिंग में इजाफा हुआ है, यानी नगदी के लिए सोना बेचा रहा है।’

अहमदाबाद । कोविड महामारी का तीसरा साल शुरू हो गया है। इस बीमारी ने जहां लोगों को भावनात्मक तौर पर तोड़ दिया है, वहीं कुछ लोग आर्थिक तौर पर इस तरह से तबाह हुए हैं, जो कभी संभल नहीं पाए हैं। गुजरात में भी ऐसा तबका बहुत बड़ा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले करीब दो वर्षों में सिर्फ गुजरात के लोगों ने अपने घरों में रखा 28 मीट्रिक टन से भी ज्यादा सोना बेच दिया है।

किसी को इलाज के लिए अचानक पैसों की जरूरत पड़ी तो किसी को रोजगार के नए विकल्प की तलाश के लिए। कुछ लोग जो थोड़े भाग्यशाली रहे उन्होंने गोल्ड लोन लेकर अपने पुरखों की विरासत को संजोए रखने की उम्मीद बरकरार रखी।

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के अनुमानों के मुताबिक अप्रैल 2020 से दिसंबर 2021 में भारत में 142 मीट्रिक टन सोने को गलाया गया है। सराफा कारोबारियों का कहना है कि इसमें कम से कम 20% सोना गुजरात में गलाया गया है। यह जिस अवधि में हुआ है, उस समय देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है।

टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक्सपर्ट का मानना है कि आर्थिक गतिविधियों में जो सुधार हुआ है, वह सभी सेक्टर और सभी वर्ग के लोगों के लिए एक समान नहीं हुआ है। कुछ को जरूर लाभ मिल रहा है, लेकिन बाकियों के लिए महामारी की शुरुआत से शुरू हुए संघर्ष का दौर अभी भी बरकरार है।

गुजरातियों ने बेच दिया 28 मीट्रिक टन सोना

सराफा कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि गुजरात के लोगों ने महामारी की शुरुआत से लेकर पिछले साल के अंत तक जो 28 मीट्रिक टन सोना बेचा है, वह उन्हें आपात स्थिति में पैसे जुटाने के लिए करना पड़ा है, खासकर मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में। इस क्षेत्र के लोगों का यह भी कहना है कि दूसरी लहर के दौरान तो कई परिवारों ने अपने इकलौते रोजी-रोटी कमाने वाले सदस्य को ही गंवा दिया है।

इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के डायरेक्टर हरेश आचार्या के मुताबिक, ‘ग्रामीण इलाकों में भी कई लोगों को आपात मेडिकल खर्चों की पूर्ति के लिए सोना बेचने को मजबूर होना पड़ा है। इन सभी वजहों पर सोने की रिसाइकलिंग में इजाफा हुआ है, यानी नगदी के लिए सोना बेचा रहा है।’

दूसरी लहर के दौरान सोने की रिसाइकलिंग में 33% का इजाफा

हालांकि, वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सोने की रिसाइकलिंग में पूरे भारत में 22% की गिरावट आई है। लेकिन, पहली तिमाही में इसमें अप्रत्याशित रूप से 33% का इजाफा दर्ज किया गया था। यह अप्रैल-जून, 2021 की वही अवधि है, जब देश में कोरोना की दूसरी लहर ने भारी तबाही मचाई थी।

इंडिया डब्ल्यूजीसी के मैनेजिंग डायरेकिटर सोमसुंदरम पीआर ने कहा है, ‘महामारी के दौरान भारत में सोने की रिसाइकलिंग में 15% का इजाफा देखा गया, क्योंकि लोगों को नगदी की जरूरत थी। यह भी सही है कि सोने की कीमतों में उछाल की वजह से भी वह मुनाफा कमाने के लिए भी सोना बेचने के लिए तैयार हुए। हालांकि, पिछली दो तिमाही में सोने की रिसाइकलिंग में महत्वपूर्ण रूप से कमी आई है।’

गोल्ड लोन की भी डिमांड बढ़ी

सोमसुंदरम का कहना है कि सोने की रिसाइकलिंग में बढ़ोतरी के अलावा लोगों ने काफी गोल्ड लोन भी लिए हैं। उनके अनुसार, ‘मांग में बढ़ोतरी को देखते हुए कई बैंकों ने विभिन्न गोल्ड लोन प्रोडक्ट लॉन्च किए हैं। भारत में लोगों को सोने से भावनात्मक लगाव भी रहता है, इसलिए वह उसे बेचने की जगह गिरवी रखकर लोन लेना पसंद करते हैं। सोने की कीमतों में इजाफा होने से भी बहुत लोग गोल्ड लोन को चुन रहे हैं।’

आर्थिक संकट से उबरने के लिए भी बेचा सोना

लेकिन, ऐसा भी नहीं है कि सभी लोगों ने मेडिकल जरूरतों को पूरा करने के लिए ही सोना बेचा है। बल्कि आचार्या का कहना है कि ‘आईटी और ई-कॉमर्स सेक्टर में तो अच्छी रिकवरी हुई है। लेकिन, व्यापार और उद्योग दोनों में महामारी की मार से उस तरह की रिकवरी नहीं हो पा रही है।

कुछ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में अभी भी बिजनेस पूरी तरह से सामान्य नहीं हुआ है। कई छोटे कारोबारियों को अपनी दुकानें बंद करके आय के दूसरे स्रोत तलाशने पड़े हैं। ऐसे लोगों को उधार चुकाने या घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी सोना बेचने को मजबूर होना पड़ा है।'(तस्वीरें-सांकेतिक)

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