Thursday, March 28, 2024
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2024 चुनाव: तीसरे मोर्चे की कवायद दिल्ली में विपक्षी दलों की बैठक कल, पवार होंगे शामिल

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नई दिल्ली । पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव में भाजपा के करारी हार के बाद देश में एक बार फिर मजबूत तीसरे मोर्चे की कवायद शुरू हो गई है और दिल्ली में मंगलवार को विपक्षी दलों की एक बैठक इसी क्रम में बुलाई गई है। हालांकि इस बैठक में शामिल होने का निमंत्रण राष्ट्र मंच नाम के संगठन की ओर से भेजा गया है लेकिन यह बैठक इसलिए अहम है क्योंकि एनसीपी के मुखिया शरद पवार इसमें शामिल हो रहे हैं। बैठक में राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होगी, ऐसा बताया गया है। राष्ट्र मंच का गठन हाल ही में टीएमसी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा द्वारा 2018 में किया गया था। तब इसमें कई सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित विपक्षी दलों के लोगों को शामिल किया गया था। आरजेडी के सांसद मनोज झा, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह, कांग्रेस नेता विवेक तन्खा को बैठक में शामिल होने के लिए बुलावा भेजा गया है। 

तीसरे मोर्चे की वकालत

पवार ने इस साल मार्च में कहा भी था कि देश में थर्ड फ्रंट यानी तीसरे मोर्चे की ज़रूरत है और वह इस मामले में कई पार्टियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। उस वक़्त शिव सेना ने भी पवार के समर्थन में बयान दिया था और कहा था कि शरद पवार राष्ट्रीय स्तर पर एक ताक़तवर शख़्सियत हैं और क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दल उन्हें अपना नेता मानते हैं। 

पवार क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष का चेहरा होंगे, इसे लेकर भी तब काफी चर्चा राजनीतिक गलियारों में हुई थी। 

ये दल हो सकते हैं शामिल

थर्ड फ्रंट में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), बीजू जनता दल (बीजेडी), शिव सेना, समाजवादी पार्टी (एसपी), राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी), तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी), वाईएसआर कांग्रेस, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, जनता दल (सेक्युलर), द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके), नेशनल कॉन्फ्रेन्स (एनसी),  पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), शिरोमणि अकाली दल (एसएडी), आम आदमी पार्टी (आप) सहित कुछ और क्षेत्रीय दल शामिल हो सकते हैं।

पांच राज्यों के चुनाव बेहद अहम 

2022 की शुरुआत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा शामिल हैं। उसके बाद साल के आख़िर में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं। बीजेपी और संघ जानते हैं कि इन राज्यों में फ़तेह हासिल करने के बाद ही 2024 का रास्ता आसान होगा। 

केसीआर ने भी की थी कोशिश 

दूसरी ओर, तेलंगाना के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के. चन्द्रशेखर राव (केसीआर) ग़ैर-बीजेपी, ग़ैर-कांग्रेस दलों का राष्ट्रीय मोर्चा बनाने की कोशिश में हाथ-पांव मार चुके हैं। लोकसभा चुनाव 2019 से पहले भी केसीआर ने ऐसी ही कोशिश की थी। तब वह ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव, नवीन पटनायक, पिनराई विजयन, स्टालिन, देवेगौड़ा जैसे दिग्गज नेताओं से भी मिले भी थे। लेकिन उस समय तेलुगु देशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने केसीआर की कोशिश में अड़चनें पैदा कर दी थीं।

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