स्वतंत्रता दिवस विशेषांक
रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र) ।स्वतंत्रता के बाद सन 1948 में रॉबर्ट्सगंज नगर वासियों द्वारा चुने गए टाउन एरिया के चेयरमैन बलराम दास केसरवानी का स्वाधीनता आंदोलन मे महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पराधीनता के काल में यहाँ चल रहे स्वाधीनता संग्राम में बलराम दास केसरवानी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।इन्ही के नेतृत्व में नगर का आंदोलन संचालित होता था।
इनका जन्म 5 दिसंबर 1902 ईस्वी को टाउन एरिया रॉबर्ट्सगंज केचेयरमैन बद्रीनारायण के परिवार में हुआ था ।बलराम दास केसरवानी के दादा शिवदास साव,ताऊ लक्ष्मी नारायण, पिता रघुनाथ साव,चाचा बद्रीनारायण स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े थे।
सन् 1921 में महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन के प्रचार- प्रसार के लिए गांव, देहात, आदिवासी बाहुल्य, वन्य इलाकों में पदयात्रा कर बलराम दास केसरवानी ने इस क्षेत्र में क्रांति का बिगुल बजाया और इसी वर्ष ग्राम बरहदा गांव में आयोजित गौरी शंकर के मेला को स्वतंत्रता आंदोलन के प्रचार- प्रसार का माध्यम बनाया। सन 1930 में महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए नमक सत्याग्रह, लगान बंदी आदि आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका रही। बलराम दास केसरवानी का आवास क्रांतिकारियों का गढ बना हुआ था। इसी स्थल पर गुप्त मंत्रणा, अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेने की रणनीति तय होती थी। इनके आवास के समीप सन 1925 में स्थापित संस्कृत महाविद्यालय में दिन में छात्र संस्कृत एवं ज्योतिष विज्ञान का अध्ययन करते थे और रात्रि में क्रांतिकारियों एवं देशभक्तों के छिपने, रुकने, ठहरने का यह सुरक्षित स्थान था। बलराम दास केसरवानी इनके भोजन इत्यादि की व्यवस्था व्यक्तिगत रूप से करते थे। यह नगर का प्रमुख शिक्षण केंद्र था और अंग्रेज अधिकारियों और पुलिस वालों को संदेह नहीं होता था।
25 दिसंबर से 1937 को मिर्जापुर का तृतीय राजनैतिक सम्मेलन रॉबर्ट्सगंज के कंपनी बाग (चाचा नेहरू पार्क) में आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में भारत के लोकप्रिय नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू का आगमन हुआ था । नेहरू जी की यह प्रथम यात्रा थी और रॉबर्ट्सगंज के जन सभा में उपस्थित आदिवासियों द्वारा प्रदर्शित लोक नृत्य से नेहरू जी बहुत ही प्रभावित हुए थे और इनके गरीबी से भी रूबरू हुए थे। अपने भाषण में उन्होंने इस क्षेत्र के लोगों के उत्थान एवं स्वतंत्रता आंदोलन में नौजवानों को अधिक से अधिक सम्मिलित होने का आह्वान किया था। लौटते समय तत्कालीन चेयरमैन बद्री नारायण ने ₹101 की थैली प्रदान किया था, जिसे नेहरु जी ने कांग्रेस कमेटी में दान दे दिया था।
27 दिसंबर 1937 को इस सम्मेलन के अंतिम दिन बलराम दास केसरवानी ने रॉबर्ट्सगंज में उच्च शिक्षण संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव रखा। यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हुआ। इस सम्मेलन में बद्री प्रसाद ‘आजाद” वृंदा प्रसाद, ज्वाला प्रसाद,शिव शंकर प्रसाद, गौरीशंकर, जयश्री प्रसाद, मोहनलाल गुप्ता तत्कालीन टाउन एरिया चेयरमैन बद्रीनारायण आदि क्रांतिकारी नेताओं ने अधिक से अधिक संख्या में जनता से स्वतंत्रता आंदोलन में युवाओं से भाग लेने की अपील किया। नगर रॉबर्ट्सगंज सहित दक्षिणांचल में स्वतंत्रता आंदोलन को सुदृढ़ बनाने के लिए बलराम दास केसरवानी के नेतृत्व में एक शिविर का संचालन होता था शिविर में रहने वाले स्वयंसेवक शराब एवं गांजा, भांग की दुकान पर पिकेटिंग करते थे और रात्रि विश्राम शिविर में करते थे। सन 1930 ईस्वी में नमक सत्याग्रह कानून भंग करने के जुर्म में बलराम दास को 1 वर्ष की सख्त कारावास की सजा हुई। बलराम दास केसरवानी मिर्जापुर के गांधी कहे जाने वाले पंडित महादेव प्रसाद चौबे की गिरफ्तारी एवं दरोगा पुरुषोत्तम सिंह द्वारा घर- जायजाद की नीलामी से क्षुब्ध थे । पंडित महादेव प्रसाद चौबे के जेल से छूटने के बाद 18 अप्रैल 1940 ईस्वी को रॉबर्ट्सगंज चौराहा पर अपने क्रांतिकारी साथियों के साथ पंडित महादेव प्रसाद चौबे का माल्यार्पण कर शिव शंकर केसरवानी द्वारा तैयार मानपत्र प्रदान किया और भारत माता की जय का नारा लगाते हुए अपनी गिरफ्तारी दिया। सन 1942 से 1946 तक चलने वाले आंदोलन में इनकी सक्रिय भूमिका रही और ये ब्रिटिश हुकूमत के प्रताड़ना के शिकार हुए। 14 अगस्त 1947 को रात्रि में जब आजादी की सूचना इनके आवास पर रखे रेडियो पर एकत्रित सेनानियों और क्रांतिकारियों ने सुना तो खुशी से झूम उठे और रात्रि में मिठाई की दुकान खुलवा कर मिठाईयां बांटी गई।
सुबह बलराम दास केसरवानी के नेतृत्व में इनके आवास/ कार्यालय से एक लंबा जुलूस निकला यह जुलूस कंपनी बाग में संचालित मिडिल स्कूल में पहुंचा। क्रांतिकारी बलराम दास केसरवानी ने ध्वजारोहण किया और नगर में उच्च शिक्षण संस्थान के संकल्प को फलीभूत करते हुए मिडिल स्कूल के लिए कमरा किराए पर लेकर कक्षा 9 का संचालन आरंभ कराया ।
इसी दिन उन्होंने अपने आवास पर एक पुस्तकालय भी स्थापित किया। कालांतर में इस शिक्षण संस्थान का नाम बलराम दास केसरवानी शिक्षण संस्थान के नाम से पंजीकृत कराया गया और वर्तमान समय में राजा शारदा महेश इंटर कॉलेज के नाम से यह शिक्षण संस्थान संचालित है।सन 1948 इसवी में बलराम दास केसरवानी को रॉबर्ट्सगंज टाउन एरिया का चेयरमैन चुना गया। इनके कार्याकाल मे रॉबर्ट्सगंज नगर का विकास तेजी के साथ हुआ। बलराम दास केसरवानी ने आजादी के बाद कोई पद, पेंशन स्वीकार नहीं किया। व्यक्तिगत रूप से इन्होंने धर्मशाला, बगीचा का निर्माण कराया, नगर में स्थित तालाबों का जीर्णोद्धार कराकर समाजसेवी होने का परिचय दिया। 13 अप्रैल 1967 को स्वतंत्रता के इस महान नायक ने अपने पैतृक आवास पर अपना नश्वर शरीर छोड़ा और अनंत यात्रा पर चले गए। बलराम दास एक कुशल, राजनीतिज्ञ, समाजसेवी थे और इनके द्वारा कराए गए कार्य रॉबर्ट्सगंजगंज के इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में दर्ज है।