Tuesday, April 23, 2024
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सोन नदी में बालू खनन पर लगा पूर्ण प्रतिबन्ध

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  • खेवबन्धा और कोरगी बालू साइड पर भी I.A. स्वीकृत

• न्यायालय ने बालू खनन से हुई अवैध कमाई की जांच हेतु ED को दिया आदेश

सोनभद्र । मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश और बिहार के डिहरी ऑन सोन तक सोन घड़ियाल कारीडोर को वन्यजीव अभ्यारण बनाने के अभिमत के साथ एन० जी० टी० न्यायालय ने सोनभद्र के सोन नदी बालू खनन पर लगाया पूर्ण प्रतिबन्ध। साथ ही पट्टा धारको की धारा-3 PMLA Act के अन्तर्गत बालू खनन के अवैध कमाई की जाँच, इस आशय की जानकारी याचिका कर्ता बिरसा मुण्डा फाउण्डेशन की ओर से मुकदमा लड़ रहे सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अभिषेक चौबे एवं संस्थान के अधिवक्ता विकाश शाक्य ने पत्र प्रतिनिधियों से बात चीत में कहीं।

अधिवक्ता विकास शाक्य ने बताया की बिरसा मुण्डा फाउण्डेशन की ओर से अधिकृत याचि की ओर से एन० जी० टी० दिल्ली में OA NO 818/2022 दिनांक 16 नवम्बर 2022 को सोन नदी मे बालू के अवैध खनन करने सम्बन्धित याचिका सुधाकर पाण्डेय एशोसिएट्स एवं न्यू मिनरल्स इण्डिया के विरूद्ध दाखिल किया गया था जिस पर ज्वांइट कमेटी जाँच कर रिपोर्ट एन० जी० टी० को सौपी थी परन्तु अधिकृत याचि ने याचिका व्यक्तिगत कारणो से वापस ले लिया परन्तु अधिवक्ता अभिषेक चौबे ने उक्त याचिका को जनहित में बदले जाने को लेकर न्यायालय में बहस किया और याचिका को सो-मोटो एन० जी० टी० ने आगे बढ़ा दिया ।

उसके बाद बिरसा मुण्डा फाउण्डेशन के ऋतिशा गोड़ को फाउंडेशन ने उक्त मामले की पैरवी के लिए अधिकृत करते हुए मध्य प्रदेश से सोनभद्र होते हुए बिहार के डिहरी आनसोन तक घड़ियाल, मगरमच्छ एवं कछुआ का अभ्यरण कारीडोर एवं कैमूर वन्यजीव अभ्यारण से लगे होने से जगह-जगह स्ट्रेच में बालू के खनन होने से वाले पर्यावरण व जलीय जंतुओं के भारी नुकसान संम्बन्धित इसी मामले मे IA (Intervention Application) याचिका प्रस्तुत कर सोन नदी सम्पूर्ण एवं खेवबन्धा के बालू साइड जो सोन नदी के जंकशन पर स्थित है, के विरूद्ध प्रस्तुत कर दी। इसी याचिका में सामाजिक न्याय ट्रस्ट की ओर से चौ० यशवन्त सिंह ने कोरगी-पिपरडीह कनहर नदी में अवैध खनन के सम्बन्ध में IA दाखिल किया है। एन० जी० टी० ने दोनो IA को स्वीकार करते हुए 138 पेज का विस्तृत निर्णय दिनांक 19 मई 2023 को सुनाया है।

उन्होने बताया कि एन जी टी ने अपने निर्णय में सोनभद्र के सोन नदी में बालू खनन को पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध करते हुये मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार तीनो राज्यों को निर्देश जारी किया है कि सोन नदी के अभ्यरण क्षेत्र में इको सेंसिटिव जोन का हिस्सा बनाये जाने पर विचार करें। न्यायालय ने संयुक्त जाँच कमेटी का पुनः गठन करते हुऐ सम्पूर्ण सोन नदी में सभी खनन क्षेत्रों की जाँच करने और बालू खनन से हुए पर्यावरणीय नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट एन० जी० टी० में तीन माह सौंपे जाने तक खनन पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित कर दिया है।

एन० जी० टी० ने पूर्व में लगाये गये दो खनन पट्टों पर जुर्माना 15 करोड़ 24 लाख को पुष्ट किया है साथ ही पट्टा धारको के आगे पीछे जो भी बालू के खनन में शामिल रहे हो और लाभ अर्जित किये हो उनकी PMLA Act की धारा-3 के अन्तर्गत संम्पत्ति की जाँच कराये जाने का भी आदेश दिया है।

अधिवक्ता अभिषेक चौबे ने बताया की न्यायालय ने जिलाधिकारी सोनभद्र और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिया है कि सोन नदी में सभी खनन को बन्द कर दिया जाय और सम्पूर्ण सोन नदी को अभ्यारण्य घोषित करने के लिए अध्ययन परक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाय। रावर्टसगंज स्थित निजी हॉल में पत्र प्रतिनिधियों से बात चीत के दौरान IA याचिका कर्ता चौधरी यशवन्त सिंह, बिरसा मुण्डा फाउण्डेशन की ऋतिशा गोंड़ , महफूज खाँ, राजनन्दनी ,पीयूसीएल के जिलाध्यक्ष अधिवक्ता संतोष सिंह पटेल, आदि उपस्थित रहे।

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