उत्तर प्रदेश में 108 और 102 एम्बुलेंस सेवा के एम्बुलेंसकर्मियों की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी है. प्रदेश में 570 एम्बुलेंसकर्मी हटाए जा चुके हैं. सरकार ने हड़ताल करने वाले कर्मचारियों पर एस्मा लगाने की चेतावनी दी है, लेकिन इसके बावजूद कर्मचारियों ने तीसरे दिन हड़ताल खत्म नहीं की. वहीं एम्बुलेंस न मिलने से उन्नाव में महिला की मौत के बाद लखनऊ में भी एक किशोरी की जान चली गई.
लखनऊ । प्रदेश में तीन दिनों से 108 व 102 के एम्बुलेंसकर्मियों ने हड़ताल कर रखी है. एम्बुलेंस का पहिया थमने से मरीजों को अस्पताल पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसको लेकर प्रदेश के कई जिलों में एम्बुलेंसकर्मी तीन दिन से हड़ताल पर हैं. ऐसे में मरीजों की जान पर आफत बनी हुई है. लिहाजा, योगी सरकार भी एक्शन में आ गई. धरना स्थल पर दूसरे चालक भेजकर एंबुलेंस को छीन लिया गया. वहीं 570 कर्मियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया. उधर पदाधिकारियों का दावा है कि राज्य भर में करीब 2500 कर्मियों को नौकरी से निकाला गया है. वहीं समय से एम्बुलेंस न मिलने से उन्नाव में महिला की मौत के बाद राजधानी में भी एक किशोरी की मौत हो गई.
एम्बुलेंस कर्मियों की हड़ताल लखनऊ में एम्बुलेंस कर्मियों की हड़ताल से अब मरीजों की जान जा रही है. सेवा ठप होने से गंभीर मरीजों की जिंदगी दांव पर लग चुकी है. एम्बुलेंस न मिलने से उन्नाव में महिला की मौत के बाद राजधानी में भी एक किशोरी की जान चली गई. ऐशबाग निवासी नेहा (15) का अचानक पेट दर्द होना शुरू हुआ. परिजनों ने बताया कि एम्बुलेंस के लिए 108 नम्बर पर कॉल की. कॉल उठाने वाले कर्मचारी ने जल्द एम्बुलेंस मुहैया कराने की बात कही.
आरोप है कि आधे घंटे इंतजार करने के बाद भी एम्बुलेंस नहीं मिली. इसके बाद परिजन निजी एम्बुलेंस की व्यवस्था में जुटे. प्राइवेट एम्बुलेंस मिलने पर किशोरी को लेकर सिविल अस्पताल के लिए निकले. मगर, निजी एम्बुलेंस में ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं थी. सिविल अस्पताल पहुंचने के बाद किशोरी का इमरजेंसी के डॉक्टरों ने ईसीजी जांच की, जिसके बाद मृत घोषित कर दिया. वहीं सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने ऐसी किसी भी घटना की जानकारी से इनकार किया है.
उन्नाव व लखनऊ में एम्बुलेंसकर्मियों की हड़ताल.
राजधानी के वृंदावन योजना ट्रामा-टू के पास चार दिन से एम्बुलेंसकर्मियों का प्रदर्शन चल रहा है. वहीं तीन दिन से सेवा ठप है. इस दौरान एम्बुलेंसकर्मियों की कुछ समस्या पर रजामंदी बनी. मगर, सभी मसलों पर सहमति नहीं बनीं. ऐसे में मंगलवार को पहले जहां 13 कर्मियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया गया. साथ ही मुकदमा भी दर्ज कराया गया. वहीं बुधवार को भी कर्मी काम पर नहीं लौटे. ऐसे में सरकार ने अफसरों को हर हाल में एंबुलेंस सेवा बहाल के निर्देश दिए. साथ ही अड़चन डालने वाले लोगों पर कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए.
ऐसे में बुधवार दोपहर में जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग की टीम एक्टिव हुई. रोडवेज, ऑटो आदि के चालक लेकर धरना स्थल पर पहुंची. धरना दे रहे कर्मियों से एम्बुलेंस छीनकर रवाना कर दीं. वहीं प्रदर्शन से वापस आने वाले कर्मियों को सेवा में ले लिया. धरना दे रहे जीवनदायिनी स्वास्थ्य विभाग 108-102 एंबुलेंस संघ के पदाधिकारियों की लिस्ट सेवा प्रदाता एजेंसी को भेज दी गईं.
ऐसे में जीवीकेईएमआरआई (GVK EMRI) कंपनी के स्टेट हेड टीवीएस रेड्डी ने 570 कर्मियों को नौकरी से बर्खास्त करने का दावा किया है. उन्होंने कहा कि नौकरी से निकाले गए कर्मी यूनियन के पदाधिकारी हैं, जिन्होंने सभी जिलों में हड़ताल के लिए प्रेरित किया और मरीजों को मुसीबतों का सामना करना पड़ा. वहीं एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी शादाब के मुताबिक विभिन्न जनपदों में करीब 2500 कर्मी निकाले जाने की सूचना है. इसमें प्रदेश व जिला कार्यकारणी के तमाम पदाधिकारी हैं.
एएलएस एम्बुलेंस सेवा का संचालन पहले जी वी के ई एम आर आई कंपनी करती थी. यह अब जिगित्सा हेल्थ केयर कंपनी के पास है. मीडिया प्रभारी शादाब ने कहा कि एएलएस के सभी कर्मियों का नई कंपनी में समायोजन किया जाए. इस पर सहमति बन गई, मगर 108-102 कर्मियों का मानदेय बढ़ाया जाए, इसके लिए धरना जारी है.