सोनभद्र।जिला पंचायत अध्यक्ष पद का नामांकन होने के बाद से ही जिले में सियासी पारा चढ़ने लगा था, जो आज नाम वापसी की अंतिम तारीख गुजरने के साथ ही अपने सबाब पर आ गया।उधर प्रदेश के कई जिलों में सपा की जिला इकाई के मौन सहयोग से भाजपा प्रत्याशियों की निर्विरोध जीत तय होने के बाद समाजवादी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जग गया है और अपने समर्थित जिला पंचायत सदस्यों की निगहबानी बढ़ा दी है । इस बीच अपना दल और भाजपा ने भी अपने वरिष्ठ नेताओं को जिला पंचायत सदस्यों की निगहबानी में लगा दिया है । दोनों ही दलों के लिए जिला पंचायत सदस्यों को अपने पाले में तीन जुलाई तक रोक के रखना एक बड़ी चुनौती हो गई है । आपको बताते चलें कि सोनभद्र से जयप्रकाश उर्फ चेखुर पांडेय ने सपा प्रत्याशी के रूप में जिलापंचायत अध्यक्ष पद हेतु नामांकन किया है , जबकि भाजपा और अपना दल ( एस 0 ) गठबंधन प्रत्याशी के रूप में राधिका पटेल ने नामांकन दाखिल किया है ।अध्यक्ष पद हेतु भाजपा व अपनादल प्रत्याशी के चयन में दोनों पार्टियों के बीच मची रार ने कुछ समय के लिए विपक्षी पार्टी सपा के लोगों के चेहरों पर जरूर मुस्कान ला दिया था।परंतु जैसे ही भाजपा व अपनादल के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में राधिका पटेल के नाम की घोषणा हुई उसके बाद से ही लगता है कि भाजपा व अपनादल के शीर्ष नेतृत्व ने अपने अपने दल के जिला इकाई के बीच पनप रहे मनमुटाव पर काबू पाने के लिए प्रयास किया और इसमें उन्हें लगता है कि काफी हद तक सफलता भी मिल रही है।फिलहाल दोनों ही दल अपने अपने पाले के जिला पंचायत सदस्यों की निगहबानी में पूरी ताकत झोंक दी है क्योंकि न तो भाजपा व अपनादल के गठबंधन के पास बहुमत का आंकड़ा है और न ही विपक्षी पार्टी के पास ऐसे में यदि जो सदस्य उनके हैं वह भी यदि किसी लालच या आपसी मनमुटाव के कारण विपक्षी खेमें में चले गए तो जीत तो मुश्किल होगी ही जिले के नेतृत्व की भी बड़ी किरकिरी होगी।आपको बताते चलें कि जहाँ 31 सदस्यीय जिलापंचायत में सपा के 11 सदस्य हैं तो वहीं भाजपा अपनादल गठबंधन के पास मात्र 10 सदस्य हैं, ऐसे में बहुमत के जादुई आंकड़ा 16 तक पहुंचने के लिए निर्दलीयों के साथ साथ एक दूसरे के सदस्यों पर डोरे डाले जा रहे हैं और सदस्यों को अपने पाले में लाने के लिए दोनों ही तरफ से साम दाम दंड भेद सभी तरह की नीतियां आजमाई जा रही हैं।ऐसे में आने वाले दिनों में जनपद का सियासी पारा और चढ़ेगा तथा राजनीति के कई रंग दिखाई देंगे।आपको बताते चलें कि इस जिलापंचायत अध्यक्ष के चुनाव की गूंज 2022 में होने वाले चुनाव में भाजपा व अपनादल के गठबंधन में भी सुनाई देगी यही वजह है कि भाजपा का शिर्ष नेतृत्व बड़ा फूंक फूंक कर कदम उठा रहा है।खैर जो भी हो आने वाले दो तीन दिनों तक जनपद के सियासी पारे के बढ़ने के आसार हैं।