Thursday, April 18, 2024
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जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे की संभावना अब 20 गुना अधिक, नए रिसर्च में खुलासा

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वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने बुधवार को कहा कि मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन ने उत्तरी गोलार्द्ध में सूखे की आशंका को कम से कम 20 गुना अधिक बढ़ा दी है. वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन सर्विस ने जून और अगस्त के बीच यूरोप, चीन और उत्तरी अमेरिका में सूखे का विश्लेषण किया है.

मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन ने सूखे की संभावना 20 गुना अधिक बढ़ा दी
वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन सर्विस ने बुधवार को एक त्वरित विश्लेषण जारी किया
रिसर्च में कहा गया है कि सूखा अब बढ़ते वैश्विक तापमान के साथ तेजी से सामान्य हो जाएगा

पेरिस. वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने बुधवार को कहा कि मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन ने उत्तरी गोलार्द्ध में सूखे की आशंका को कम से कम 20 गुना अधिक बढ़ा दी है. वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन सर्विस ने जून और अगस्त के बीच यूरोप, चीन और उत्तरी अमेरिका में सूखे का विश्लेषण किया है. इस रिसर्च में यह विश्लेषित किया जाता है कि व्यक्तिगत मौसम की घटनाएं ग्लोबल हीटिंग से कितनी निकटता से जुड़ी हुई हैं.

एएफपी के अनुसार बुधवार को जारी त्वरित विश्लेषण में कहा गया है कि इस तरह का सूखा अब बढ़ते वैश्विक तापमान के साथ तेजी से सामान्य हो जाएगा. विश्लेषण के लिए रिसर्च शुरू होने के बाद से जून-अगस्त का महीना यूरोप में सबसे गर्म था. असाधारण रूप से मध्य युग के बाद से यूरोप में उच्च तापमान ने सबसे खराब सूखे का कारण बना दिया है. वहीं फसलें सूख गईं हैं और ऐतिहासिक सूखे ने जंगल की आग की तीव्रता को बढ़ा दिया है. साथ ही यूरोप के पावर ग्रिड पर भी इसने गंभीर दबाव डाला है.

जून और जुलाई के बीच लगातार हीटवेव के दौरान पहली बार ब्रिटेन में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस (104 डिग्री फ़ारेनहाइट) देखा गया. वहीं इस दौरान यूरोप में लगभग 24,000 अतिरिक्त मौतें देखी गईं. चीन और उत्तरी अमेरिका ने भी इस दौरान असामान्य रूप से उच्च तापमान और असाधारण रूप से कम बारिश का सामना किया है.

ईटीएच ज्यूरिख में वायुमंडलीय और जलवायु विज्ञान संस्थान में प्रोफेसर सोनिया सेनेविरत्ने ने कहा कि 2022 की गर्मियों ने दिखाया है कि कैसे मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन उत्तरी गोलार्द्ध के घनी आबादी वाले और खेती वाले क्षेत्रों में खेती और पारिस्थितिक सूखे के जोखिम को बढ़ा रहा है. सोनिया रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों में से एक हैं.

उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, उत्तरी गोलार्द्ध में इस गर्मी की तरह का सूखा आज की जलवायु में हर 20 साल में एक बार होने की संभावना है. जबकि अठारहवीं शताब्दी के मध्य में हर 400 साल में ऐसा एक बार होता था.

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