नई दिल्ली : परिसीमन की प्रक्रिया और उसके बाद के विधानसभा चुनावों में मुख्य मुद्दों में से एक होने की संभावना है, जिसे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ अपनी बैठक में उठाएंगे. कुछ पहलुओं में जम्मू-कश्मीर की स्थिति को दिल्ली राज्य के समान बनाने का कदम जोर पकड़ रहा है
इसका मतलब यह है कि जम्मू-कश्मीर विधान सभा की विधायी शक्ति भारतीय संघ के अन्य राज्यों के साथ ‘कानून और व्यवस्था’ के बराबर नहीं होगी और ‘पुलिस’ का नियंत्रण विधानसभा के दायरे से बाहर होगा और इसे नई दिल्ली में गृह मंत्रालय द्वारा प्रशासित किया जाएगा. जबकि अन्य राज्यों में ‘कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है.
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में स्थिति स्पष्ट है, जिसे 9 अगस्त, 2019 को अधिसूचित किया गया था. साथ ही संसद द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के चार दिन बाद संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करते हुए- केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख बनाए गए थे.