उत्तराखंड में चारधाम यात्रा को शुरू हुए अभी मात्र आठ ही दिन हुए हैं, लेकिन इन आठ दिनों में 22 श्रद्धालु बीमारियों के कारण दम तोड़ चुके हैं. ऐसे में एक बार फिर सरकार की तैयारियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं. पीएमओ ने भी चारधाम यात्रा में हो रही श्रद्धालुओं की मौत का संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट मांगी है. हालांकि मंगलवार शाम स्वास्थ्य सचिव ने पीएमओ को जवाब भेज दिया है.
देहरादून: उत्तराखंड सरकार और स्वास्थ्य विभाग भले ही यात्रा की तैयारियों के लाख दावे कर रहे हों, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर नजर आ रही है. यात्रा मार्ग पर 8 दिन में 22 श्रद्धालुओं की मौत ये बताने के लिए काफी है कि इंतजामों में कमी है. केंद्र सरकार ने भी चारधाम में हुई इन मौतों को गंभीरता से लिया है. यही कारण है कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से इस पूरे मामले पर रिपोर्ट मांगी है. मंगलवार शाम स्वास्थ्य सचिव ने पीएमओ को जवाब भेजा है. वैसे इन मौतों के पीछे जहां सरकार की खामियां सामने आ रही हैं तो वहीं श्रद्धालुओं की लापरवाही भी उनकी जान पर भारी पड़ रही है. आज हम आपको बता रहे हैं कि चारधाम यात्रा में इतनी मौतें क्यों हो रही हैं ?
चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की जो मौतें हुई हैं, उसमें से अधिकाश हार्ट अटैक से हुई हैं. हालांकि, कुछ अन्य बीमारियों के चलते भी यात्रियों की मौत हुई हैं. वहीं, केदारनाथ पैदल मार्ग पर एक श्रद्धालु की मौत पैर फिसलकर खाई में गिरने से हुई है. केदारनाथ धाम में तैनात डॉक्टर प्रदीप भारद्वाज के मुताबिक, यदि श्रद्धालु कुछ बातों का ध्यान रखते हैं तो वे इस तरह के खतरों से बच सकते हैं और आसानी से अपनी यात्रा पूरी कर सकते हैं.
डॉक्टर प्रदीप भारद्वाज के अनुसार चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु कुछ गलतियां कर रहे हैं, जो उनके जीवन पर भारी पड़ रही है. उसमें सबसे बड़ी गलती यह है कि लोग कम समय में केदारनाथ धाम जैसी जगह से दर्शन करके वापस जाना चाहते हैं. इसमें हेलीकॉप्टर से आने वाले लोगों की संख्या भी अधिक है. जब आप हेलीकॉप्टर में नीचे यानी गुप्तकाशी या फाटा से बैठते हैं तो वहां का मौसम गर्म होता है और जब आप ऊपर यानी 12 हजार फीट की ऊंचाई पर केदारनाथ धाम में पहुंचते हैं तो बहुत ज्यादा ठंड होती है. ऐसे में व्यक्ति की बॉडी उस टेंपरेचर को एडोप्ट नहीं कर पाती है और उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. यही गलती पैदल मार्ग से आने वाले श्रद्धालु भी करते हैं, वो भी समय बचाने के लिए जल्दी जल्दी चलते हैं, जिसके कारण उन्हें सांस की दिक्कत होने लगती है.
धाम में मात्र 57 फीसदी ऑक्सीजन: बता दें कि एक स्वस्थ्य व्यक्ति को सांस लेने के लिए 70 प्रतिशत ऑक्सीजन की जरूरत होती है. जबकि, आठ हजार फीट की ऊंचाई के बाद से ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ने लगती है. इसके बाद केदारनाथ धाम में सांस लेने के लिए 87 फीसदी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है, लेकिन यहां पर मात्र 57 फीसदी ऑक्सीजन है, जिसकी वजह से बेचैनी, बेहोश होना व हार्ट अटैक जैसी घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है.
डॉक्टर के सुझाव: डॉक्टर प्रदीप भारद्वाज का कहना है कि 12,000 फीट की चढ़ाई पर चढ़ना कोई मामूली बात नहीं है. श्रद्धालु को चाहिए कि वो पहले 6 हजार फीट पर आकर आराम करें और अपने शरीर को आराम दें. इसके बाद जब श्रद्धालु आठ, दस और बारह हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचने पर जगह-जगह आराम करें. इस तरह आपकी बॉडी उस मौसम और माहौल के मुताबिक हो जाती है. यात्रा के पड़ाव पर पहुंचने के लिए किसी तरह से जल्दबाजी न करें. शरीर को मौसम के हिसाब से ढलने का समय दें.
डॉक्टर प्रदीप भारद्वाज ने चढ़ाई चढ़ने के दौरान श्रद्धालुओं को सलाह दी है कि वे 5 से 10 मिनट का आराम करने के बजाय लंबा आराम करें. अक्सर श्रद्धालु ऐसी ही गलती करते हैं कि वे 5 से 10 मिनट ही आराम करते हैं और फिर चलने लगते हैं. श्रद्धालुओं को ऐसा नहीं करना चाहिए. यह किसी भी हालत में सही नहीं है. इसके अलावा गर्म कपड़े अपने साथ रखें. अपने साथ ड्राइफ्रूट्स भी कैरी कर सकते हैं. इसके साथ ही रुकने की व्यवस्था कहां होगी कैसे होंगी, इसको लेकर भी आप पहले से ही तैयारी करके रखें. 1 दिन में केदारनाथ की यात्रा का प्लान बिल्कुल ना करें.
सरकार भी आई हरकत में: चारधाम में 8 दिनों 22 तीर्थयात्रियों की मौत के बाद सरकार भी हरकत में आ गई है. पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर का कहना कि चारधाम यात्रा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं. सरकार लगातार लोगों के रहने, खाने और स्वास्थ्य की व्यवस्था को बढ़ा रही है. साथ ही बिना पंजीकरण आने वाले यात्रियों को किसी भी धाम में नहीं जाने दिया जा रहा है. सरकार श्रद्धालुओं की संख्या सीमित करने जा रही है. ताकि व्यवस्थाए खराब न हो.