कला हीरा के नाम से मशहूर कोयले की चोरी व इससे की जाने वाली अकूत कमाई के लिए जहां एक तरफ कोयला परिवहन करने वसले ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोग नित नए नए तरीके अपना रहे हैं तो वहीं कोयला चोरी रोकने वाले सरकारी अमले के लोग भी लगता है कि इस चोरी से होने वाली अकूत कमाई में अपनी हिस्सेदारी फिक्स कर आंख मूंद केवल महीना गुजरने का इंतजार करने में लग गए हैं। अभी फर्जी दस्तावेजों के सहारे बिजली कंपनियों में जाने वाले कोयले को खुले बाजार में बेचने के लिए ले जाने वाले गिरोह को पुलिस ने पकड़ा था कि अब एक नए कोयला खदानों से चोरी के दूसरे तरीके अपनाए जाने का मामला सामने आया है।अब कोयला ढुलाई के लिए अपनी सेवा देने वाले ट्रक ट्रांसपोर्टर की मिलीभगत से जो ट्रक 18 चक्का पर आर टी ओ कार्यालय से पास हैं उन ट्रकों के बीच के चक्के कोयला लोडिंग से पहले निकाल दिया जाता है और इन निकले हुए चक्कों के वजन के बराबर इन ट्रकों पर कोयला लाद कर यह ट्रक जैसे ही बाहर आती हैं उतना कोयला खुले बाजार में बेचने के लिए भेज दिया जाता है।
यहाँ आपको बताते चलें कि फर्जी परमिट और फर्जी व्यक्ति के नाम रजिस्ट्रेशन को लेकर सुर्खियों में रहने वाले परिवहन विभाग के कुछ कर्मियों के संरक्षण में यूपी-एमपी सीमा पर कोयले को लेकर एक बड़ा खेल सामने आया है। कोयले की चोरी के लिए 18 चक्के के वाहन को 14 चक्के का वाहन बनाकर खदानों में दौड़ाया जा रहा है। सबसे चौकाने वाली बात यह है कि फिटनेस जांच में भी उन वाहनों को ओके की रिपोर्ट थमा दी जा रही है। जब ऐसी ट्रक जो 18 चक्का के रूप में पास हैं और जब फिटनेस के लिए आती हैं तो उनमें केवल 14 चक्का देख कर कैसे उनकी फिटनेस हो रही यह बड़ा सवाल है ?परिवहन विभाग की इसी लापरवाही से जहां ट्रक पर लदने वाले खनिज (कोयला) की मात्रा बढ़ जा रही है। वहीं ऐसे वाहनों की बड़ी मात्रा होने के कारण केंद्र और राज्य दोनों के खजाने को अच्छी खासी चपत लग रही है। इसको लेकर शिकायतें भी हो रही हैं लेकिन इस मामले में अब तक कोई बड़ी कार्रवाई सामने नहीं आई है।
हाल में ही फर्जी कागजात के आधार पर कोयला तस्करी को लेकर यूपी और एमपी दोनों प्रांतों की पुलिस की तरफ से बड़ी कार्रवाई की गई है। इस बीच ओवरलोडिंग के खेले जा रहे खेल को लेकर सामने आए नए खुलासे ने लोगों को हैरत में डाल दिया है। बताया जा रहा है कि 18 चक्के वाले वाहनों के चार चक्के या तो निकाल दिया जा रहे हैं या फिर चार चक्के की हवा निकाल कर उसे उपर कर दिया जा रहा है। इससे कांटा के समय वाहन का वजन कम हो जा रहा है और आसानी से उस पर ज्यादा कोयला लोड कर लिया जा रहा है। कम चक्के वाले वाहनों पर भी यह तरीका आजमाया जा रहा है।
लोगों के दावे पर यकीन करें तो इसकी आड़ में प्रत्येक वाहन में चार से पांच टन कोयले की हेराफेरी हो रही है। यूपी-एमपी सीमा क्षेत्र स्थित कोल खदानों से रोजाना डेढ़ से दो हजार वाहन कोयला ढुलाई में लगे हुए हैं। इसमें बड़ी तादाद 14 चक्के के वाहन में तब्दील किए गए 18 चक्का वाले ट्रेलरों की बताई जाती है। अगर इनकी संख्या 500 भी मानें तो रोजाना ढाई हजार टन (लगभग 20 लाख का कोयला) का रोजाना वारा न्यारा किया जा रहा है। इससे केंद्र और प्रदेश सरकार को रॉयल्टी तथा अन्य मद में मिलने वाले राजस्व को चपत तो लग ही रही है, एनसीएल को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
यहाँ आपको बताते चलें कि जैसे अगर कोई वाहन 35 टन में पास है तो उसमें 20 टन वाहन का वजन और 15 टन कोयले का लोड होता है। अगर 18 चक्का वाहन का कुछ चक्का निकाल दिया जाए या बगैर हवा का कर दिया जाए तो उसके निकलने से जितना वजन कम होगा उसके बराबर अर्थात वाहन पर लदने वाले 15 टन( और चक्का निकलने से वजन में आई कमी के बराबर) कोयले की मात्रा बढ़ जाती है। बढ़े कोयले की इंट्री न तो खदान से होने वाले कोयले की उठान में हो पाती है, न ही कांटा पर इसका कोई जिक्र हो पाता है और आसानी से बढ़े हुए कोयले की कीमत बाहर जाकर भुना ली जाती है।
कोयला धुलाई पर पैनी नजर रखने वाले कुछ लोगों के आरोपों पर गौर करें तो ओवरलोडिंग के इस खेल को कार्यालय में लंबे समय से तैनात एक कर्मी और फील्ड में निगरानी के लिए रहने वाले दो सिपाहियों का संरक्षण बताया जा रहा है। सरकार के विभगीय नियमों में तीन साल से अधिक समय से जमे कर्मियों के स्थानांतरण की नीति है लेकिन सोनभद्र के परिवहन विभाग में यह नीति मायने नहीं रखती। इस कार्य से जुड़े एक कर्मी की तैनाती 16 साल (मात्र एक साल के लिए बाहर) से बताई जा रही है।
चर्चाओं पर गौर करें तो ओवरलोडिंग का यह खेल सिर्फ सोनभद्र ही नहीं बल्कि पूर्वांचल के कई जनपदों में खेला जा रहा है। ऐसे वाहनों के परमिट, फिटनेस में कोई दिक्कत ना आने पाए, इसके लिए वाराणसी के एक ट्रांसपोर्टर को इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। सेलफोन पर हुई वार्ता में एआरटीओ पीएस राय ने कहा कि ऐसे 17 वाहनों के नाम उनके सामने आए हैं, जिनका नंबर लॉक कर वाहन स्वामियों को नोटिस जारी की गई है। भौतिक सत्यापन होने तक उनके वाहन से जुड़ी कोई भी कार्यवाही परिवहन कार्यालय में नहीं होगी। जहां तक फिटनेस की बात है तो अब यह ऑनलाइन हो गया है इससे पहले जो भी गड़बड़ी हुई होगी उस पर कार्रवाई की जाएगी। आरटीओ मिर्जापुर संजय तिवारी का कहना था कि स्टाफ कम होने के नाते बड़ी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। चुनाव बाद अभियान चलाया जाएगा। परिवहन आयुक्त का कहना था कि वह पूरे मामले की जानकारी कर कार्रवाई कराएंगे।