Tuesday, April 16, 2024
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ओभरलोड परिवहन पर लगाम लगाने के लिए बने नियम तो पासर व ट्रक मालिको ने निकाला नया रास्ता

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सोनभद्र। घर बनाने में उपयोगी डोलो स्टोन व लाल बजरी के लिए एक अलग पहचान बना चुके सोनभद्र में गिट्टी बालू का खनन व परिवहन हमेशा से ही किसी भी सरकार के लिए चुनौती भरा कार्य रहा है।भाजपा सरकार के प्रथम कार्यकाल में सोनभद्र का खनन क्षेत्र लगभग बन्द ही रहा है।चूंकि सोनभद्र के लिए खनन उद्योग उसके अस्तित्व से जुड़ा हुआ है, क्योंकि सोनभद्र की पहचान ही लाल बजरी व काले रंग के डोलो स्टोन की गिट्टी से है और यहां से विजयी सदर विधायक का पिछले चुनाव में नारा भी” गिट्टी बालू सस्ता होगा हर गरीब का घर पक्का होगा””,काफी पॉपुलर हुआ था।यही वजह रही कि भाजपा सरकार के पिछले कार्यकाल में सोनभद्र में खनन चालू करने की जद्दोजहद चलती रही जिसका परिणाम रहा कि कार्यकाल के अंतिम तिमाही में सोनभद्र का खनन तो चालू हो गया पर सोनभद्र में खनन शुरू होते ही अवैध खनन व ओभरलोड परिवहन की भी शिकायत मिलने लगी।

अब जब उत्तरप्रदेश में भाजपा की सरकार बन गयी है और योगी दुबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी सम्भाल चुके हैं और खनन विभाग भी मुख्यमंत्री ने स्वयं अपने पास ही रख लिया है ऐसे में सोनभद्र में खनन माफियाओं के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही हैं।

अवैध खनन व ओभरलोड परिवहन पर लगाम कसने के लिए जहां एक तरफ जिलाधिकारी सोनभद्र ने एम एम इलेवन व ओभरलोड की जांच हेतु परिवहन विभाग खनन विभाग व राजस्व विभाग की संयुक्त निगरानी में जांच चौकी स्थापित कर जांच करने का आदेश दिया है तथा यह भी निर्देशित किया है कि खनिज लेकर परिवहन करने वाले वाहन अपने शीशे पर एम एम इलेवन चिपका कर चलें जिससे कि दूर से ही परिवहन प्रपत्र दिख जाय तथा बिना परमिट के चलने वाली गाडियों को दूर से ही पहचाना जा सके।

परन्तु बिना परमिट व ओभरलोड गाडियों को खनिज जांच चौकियों से उनके कर्मचारियों की मिलीभगत से पास कराने वाले गैंग जिसे स्थानीय भाषा मे पासर कहा जाता है ने जिलाधिकारी के उक्त आदेश का भी तोड़ निकाल लिया है।यहां आपको बताते चलें कि जांच अधिकारी अक्सर टोल प्लाजा से निकली पर्ची के आधार पर ही ओभरलोड का आकलन करते हैं पासर गैंग इसकी तोड़ के लिए नया पैंतरा आजमा रहा है।अब ओभरलोड परिवहन कराने वाले जब खाली ट्रक लेकर माल लोड करने जाने लगते हैं तभी टोल प्लाजा पर वापसी जर्नी का भी पैसा जमा कर रिटर्न का भी टिकट ले लेते हैं ऐसे में वह ट्रक जब वापसी में भले ही ओभरलोड हो टोल पर्ची पर लोड की मात्रा की इंट्री नहीं होती और टोल के आगे लगी जांच चौकी पर उक्त ट्रक के ओभरलोड की जांच नही होती।

इतना ही नहीं जिन ट्रकों ने रिटर्न जर्नी की इंट्री नहीं कराई होती है और ओभरलोड खनिज लेकर परिवहन कर रही होती हैं उन ट्रकों की टोल पर्ची पर वैध पंजीयन नम्बर की जगह केवल ए एफ़ xxxx टाइप में नम्बर दर्ज कर पर्ची निकाल दी जा रही है।ऐसे में ओभरलोड की जांच नहीं हो पा रही है।चूंकि नियमानुसार हाइवे पर स्थाई जांच चौकी स्थापित नहीं की जा सकती इसलिए ट्रकों को रोककर उनमें लोड खनिजों की नापी कराने पर वहां ट्रकों की लाइन लग सकती है इसलिए प्रशासन की इसी कमजोरी का लाभ उठा कर ट्रक पासर टोल की सेटिंग से ओभरलोड खनिजों का परिवहन करा रहे हैं।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि ओभरलोड पर लगाम लगाने के उद्देश्य से जिले के स्थानीय लोगों द्वारा यह हमेशा से मांग की जाती रही है कि खनिजों की लोडिंग प्वाइंट पर ही अर्थात खदान संचालकों को निर्देशित किया जाता कि निर्धारित मात्रा से अधिक खनिज ट्रकों को न दिया जाय और उसके बाद यदि कोई भी ट्रक कहीं भी ओभरलोड खनिज लेकर परिवहन करते पकड़ी जाती है तो उक्त वाहन के साथ साथ जहां से वह उक्त खनिज लोड कर परिवहन कर रहा है उस खदान के खिलाफ भी दंडात्मक कार्यवाही अमल में लायी जाय जिससे कि कोई भी खदान संचालक किसी भी ट्रक को ओभरलोड खनिज न दे ।

परन्तु लगता है कि शायद विभाग भी इस ओभरलोड के खेल में संलिप्त है और खानापूर्ति के लिए अभियान चलाकर ओभरलोड ट्रकों पर कार्यवाही तो होती है परन्तु किसी खदान संचालक के खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाही नहीं की जाती।यही वजह है कि जिले में ओभरलोड परिवहन का खेल बदस्तूर जारी है और पिछले कुछ वर्षों में ओभरलोड परिवहन के इस खेल में पासर गैंग का उदय हो गया है जो रात के अंधेरे में ट्रक मालिकों व खनिजों की जांच में लगे अधिकारियों की बीच की कड़ी के रूप में काम कर अकूत पैसा बना रहे हैं।देखना होगा कि भाजपा 02 में इस पासर गैंग पर कोई कार्यवाही होती भी है अथवा पिछले सालों की तरह कागजी जांच कर मामले की इति श्री कर ली जाती है।

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