Wednesday, April 24, 2024
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एनजीटी ने जांच कमेटी की रिपोर्ट आने तक उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश और बिहार तक सोन नद से खनन पर लगाया पूर्ण प्रतिबंध

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सोनभद्र के सोन नदी में बालू खनन को पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध करते हुये मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार तीनो राज्यों को निर्देश जारी किया है कि सोन नदी को अभ्यरण क्षेत्र में इको सेंसिटिव जोन का हिस्सा बनाये जाने पर विचार करें। संयुक्त जाँच कमेटी का पुनः गठन करते हुऐ सम्पूर्ण सोन नदी में सभी खनन क्षेत्रों की जाँच करने और रिपोर्ट एन० जी० टी० तीन माह में जब तक नहीं सौपी जाती है तब तक खनन पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित रहेगा। एन० जी० टी० ने पूर्व में लगाये गये जुर्माना 15 करोड़ 24 लाख को पुष्ट किया है साथ ही पट्टा धारको के आगे पीछे जो भी बालू के खनन में शामिल रहे हो और लाभ अर्जित किये हो उनकी PMLA Act की धारा-3 के अन्तर्गत संम्पत्ति की जाँच कराये जाने का भी आदेश दिया है।

सोनभद्र। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के डिहरी ऑन सोन तक सोन घड़ियाल कारीडोर को वन्यजीव अभ्यारण बनाने के अभिमत के साथ एन० जी० टी० दिल्ली में सोनभद्र के सोन नदी बालू खनन पर लगाया पूर्व प्रतिबन्ध साथ ही अब तक जितने भी पट्टा धारको ने बालू का खनन किया होगा की धारा-3 PMLA Act के अन्तर्गत कराने के लिए शासन और प्रशासन को आदेशित किया हैं।

उपरोक्त जानकारी सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अभिषेक चौबे और याचिका कर्ता बिरसा मुण्डा फाउण्डेशन की ओर से मुकदमे लड़ रहे संस्थान के अधिवक्ता विकाश शाक्य ने मीडिया से बातचीत के दौरान दी।

अधिवक्ता श्री शाक्य ने बताया की बिरसा मुण्डा फाउण्डेशन की ओर से अधिकृत याचि की ओर से एन० जी० टी० दिल्ली में OA NO 818/2022 दिनांक 16 नवम्बर 2022 को सोन नदी मे बालू के अवैध खनन करने सम्बन्धित याचिका सुधाकर पाण्डेय एशोसिएट्स एवं न्यू मिनरल्स इण्डिया के विरूद्ध दाखिल किया गया था जिस पर ज्वांइट कमेटी जाँच कर रिपोर्ट एन० जी० टी० को सौपी थी परन्तु अधिकृत याचि ने याचिका व्यक्तिगत कारणो से वापस ले लिया परन्तु अधिवक्ता अभिषेक चौबे ने यह याचिका जनहित में होने का बहस किया और याचिका को सो-मोटो एन० जी० टी० आगे बढ़ा दिया ।

उसके बाद बिरसा मुण्डा फाउण्डेशन के ऋतिशा गोड़ को अधिकृत करते हुए मध्य प्रदेश से सोनभद्र होते हुए बिहार के डिहरी आनसोन तक घड़ियाल, मगरमच्छ एवं कछुआ का अभ्यरण कारीडोर एवं कैमूर वन्यजीव अभ्यारण से लगे होने से जगह-जगह स्ट्रेच में बालू के खनन होने से पर्यावरण के भारी नुकसान होने संम्बन्धित इसी मामले मे IA (Intervention Application) याचिका सोन नदी सम्पूर्ण एवं खेवबन्धा के बालू साइड जो नदीयों के जंकशन पर स्थित है, के विरूद्ध प्रस्तुत कर दी।

इसी याचिका में सामाजिक न्याय ट्रस्ट की ओर से चौ० यशवन्त सिंह ने कोरगी-पिपरडीह कनहर नदी में अवैध खनन के सम्बन्ध में IA दाखिल किया है एन० जी० टी० ने दोनो IA को स्वीकार करते हुए 138 पेज का विस्तृत निर्णय दिनांक 19 मई 2023 को सुनाया है।

उन्होने बताया कि सोनभद्र के सोन नदी में बालू खनन को पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध करते हुये मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार तीनो राज्यों को निर्देश जारी किया है कि सोन नदी को अभ्यरण क्षेत्र में इको सेंसिटिव जोन का हिस्सा बनाये जाने पर विचार करें। संयुक्त जाँच कमेटी का पुनः गठन करते हुऐ सम्पूर्ण सोन नदी में सभी खनन क्षेत्रों की जाँच करने और रिपोर्ट एन० जी० टी० तीन माह में जब तक नहीं सौपी जाती है तब तक खनन पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित रहेगा। एन० जी० टी० ने पूर्व में लगाये गये जुर्माना 15 करोड़ 24 लाख को पुष्ट किया है साथ ही पट्टा धारको के आगे पीछे जो भी बालू के खनन में शामिल रहे हो और लाभ अर्जित किये हो उनकी PMLA Act की धारा-3 के अन्तर्गत संम्पत्ति की जाँच कराये जाने का भी आदेश दिया है।

अधिवक्ता अभिषेक चौबे ने बताया की जिलाधिकारी सोनभद्र और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिया है कि सोन नदी में सभी खनन को बन्द कर दिया जाय। राबर्ट्सगंज के निजी हॉल में पमीडिया से बातचीत के दौरान IA याचिका कर्ता चौधरी यशवन्त सिंह,ऋतिशा गोड़ बिरसा मुण्डा फाउण्डेशन , महफूज खाँ, राजनन्दनी पीयूसीएल के जिलाध्यक्ष संतोष सिंह पटेल, आदि उपस्थित रहे।

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