Thursday, March 28, 2024
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एक सचिव की कारस्तानी के चलते हाथ पीला करने की बांट जोहते पथरा गई गरीब परिजनों की आंखें

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समर सैम की पड़ताल करती एक रिपोर्ट

सोनभद्र। जब से उत्तर प्रदेश सूबे में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में भाजपा की सरकार ने शपथ लिया है वह निरन्तर प्रयासरत है कि कोई भी गरीब की लड़की धनाभाव के कारण शादी से वंचित न होने पाये और इसी लिये प्राइमाफेसी के तहत पूरे सूबे के हर जिले में युद्धस्तर पर मुख्यमंत्री सामुहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जिसमें तकरीबन सरकार द्वारा एक जोड़े की शादी पर 55,000 रुपये के करीब धनराशि खर्च की जाती है। इससे सरकार के इस जन मंगलकारी योजना से आम जनमानस में खुशी ज़मीनी स्तर पर दिखाई दे रही है। परन्तु इस खुशी में कहीं न कहीं कुछ अधिकारी एवं कर्मचारी राहु केतु की भूमिका निभाते हुए विघ्न डालने के एक सूत्रीय काम को अंजाम दे रहे हैं। फिल्मों में आपने अक्सर देखा होगा कि किसी लड़की का हाथ पीला होने से रोकने के लिए विलन या फिर हीरो उसकी लाइफ में एंट्री करता है और शादी रोकने के लिए वह तरह तरह के हथकण्डे अपनाता है।

एकदम फिल्मी कहानी की तरह ही कुछ पटकथा लिखी जा रही है जनपद सोनभद्र के कोन ब्लॉक के गांव कचनरवा टोला में।आपको बताते चलें कि सोनभद्र के गरीबों के जीवन उत्थान के लिए काम कर रही एक एनजीओ सोल्ड एसोसिएशन फ़ॉर सोशल वेलफेयर की जानिब से एक शिकायती पत्र जिलाधिकारी सोनभद्र को दिया गया है। शिकायती पत्र में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली शिकायत की गई है। गांव की ही कुछ लड़कियों के परिजनों ने अभाव के चलते लड़कियों के हाथ पीले करने के लिए मुख्यमंत्री सामुहिक विवाह योजना कार्यक्रम हेतु आवेदन किया था, परन्तु ग्राम सचिव की करतूतों के चलते गरीबों की बेटियों को उसने अपात्र घोषित कर दिया।यहां आपको यह भी बताते चलें कि एनजीओ के शिकायती पत्र के मुताबिक किसी की परवाह न करते हुए सचिव अजय सिंह ने अपनी जांच रिपोर्ट में बिन ब्याही क्वारी लड़कियों को बेहद शातिर ढंग से शादी शुदा घोषित कर उन्हें अपात्र बता दिया। निर्लज्जता और बेहयाई की इंतेहा की इससे बेहतर तसवीर समाज में और क्या हो सकती है ? कि जहाँ एक तरफ महंगाई की मार से त्रस्त गरीब परिजन अपनी बेटियों के हाथ पीला करने के लिए हर दर पर अपनी पगड़ी झुका रहे हैं वहीं दूसरी तरफ एक सचिव अपनी करतूतों से गरीब बेटियों के लाचार बाप की पगड़ियां उछाल रहा है।

आखिर सचिव को शर्मनाक कारनामें को अंजाम देने की खुली छूट किसने दे रखी है ? सचिव के अमानवीय मनमानी के चलते गरीब बच्चियों के हाथ पीले होने से पहले ही काले पड़ गए। एक सचिव जिसे सिस्टम ने कर्मपथ पर सही और उचित जांच की ज़िम्मेदारी निष्पक्षता के साथ निभाने के लिए दी थी। उसी सचिव ने कर्तव्यपथ से विमुख हो कर गरीब परिवार की कुँवारी लड़कियों पर अपनी जांच में इतने गंभीर आरोप लगाकर उसे कहीं का नहीं छोड़ा। माला कुमारी, ऊषा कुमारी, मीना कुमारी, सावित्री एवं दुर्गावती को ग्राम कचनर्वा के सचिव अजय सिंह ने अपनी जांच में शादीशुदा घोषित कर दिया। सचिव की जांच रिपोर्ट सामने आने पर जहां उन गरीब लड़कियों का नाम लाभर्थियों की श्रेणी से कट गया वहीं इनकी इज़्ज़त भी इस जांच रिपोर्ट के सामने आने से चली गई। सचिव की जांच रिपोर्ट के बाद गांव में तरह तरह की अब बातें शुरू हो गई हैं। गांव वाले एवं परिजन जिन लड़कियों को अभी तक अविवाहित मानकर चल रहे थे ग्राम सचिव द्वारा उन्हें विवाहित घोषित किये जाने पर अब गांव में लोग तरह तरह की बातें कर रहे हैं। आखिर किस आधार पर गरीब की बच्चियों को सचिव ने विवाहित बता दिया ? यहां गौरतलब है कि पहली बार जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाने और शिकायत करने पर सचिव ने दो लोगों को जिन्हें वह विवाहित घोषित किया था , अविवाहित घोषित कर योजना में शामिल कर दिया परन्तु तकरीबन 6 कुँवारी लड़कियों को पुनः जांच में विवाहित घोषित कर उनका जीवन अंधकारमय बना दिया।

बिना पुख्ता सबूत के सचिव किसी भी अविवाहित को मनमाने तरीके से विवाहित बनाते रहेंगे तो गरीब बच्चियों के हाथ पीले होने से पहले ही काले हो जाएंगे। अफवाहों के चलते क्या समाज ऐसी लड़कियों को सही से जीने देगा, या ताना मार मारकर उनका जीवन नरक बना देगा। सचिव की इस असंवेदनशील करतूत पर एनजीओ ने अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। ताकि भविष्य में फिर कोई सचिव किसी गरीब की पगड़ी सरे बाज़ार न उछाल सके।सचिव की जांच रिपोर्ट के बाद उक्त लड़कियों के शादी के लिए होने वाले रिश्तों में और भी दिक्कत पेश आयेगी। सचिव की इन करतूतों के चलते गांव में रोष व्याप्त है। वहीं एनजीओ ने इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराकर सचिव अजय सिंह के विरुद्ध कारर्वाई हेतु जिलाधिकारी से मांग की है। आखिर अपनी जांच में किस आधार पर अविवाहितों को विवाहित बताकर गरीबों की इज़्ज़त की भजिया बना रहे हैं सचिव महोदय। जहाँ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ससम्मान प्राथमिकता के आधार पर गरीब बच्चियों का विवाह युद्धस्तर पर करा रहे हैं वहीं योगी सरकार के इस लोकलुभावन परोपकारिता से ओतप्रोत कामों की बखिया उधेड़ने की छूट इस निष्ठुर सचिव को किसने दी समय की शिला पर खड़ी जनता यह सब सोच रही है ?

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