Thursday, April 25, 2024
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उत्तर भारत में बारिश का कहर , यूपी और उत्तराखंड के कई जिलों में स्कूल बंद , दिल्ली में टूटा 15 साल का रिकार्ड

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बारिश के चलते उप्र में मृतकों की संख्या 25 हो गई है। खेतों में खड़ी फसलों को भारी नुकसान हुआ है दो-तीन दिनों तक बारिश के जारी रहने की संभावना है। दिल्ली में अक्टूबर में बारिश ने 15 तो तापमान ने तोड़ा 53 साल का रिकार्ड।

नई दिल्ली  बेमौसमी बारिश ने पूरे उत्तर भारत में कहर सा ढा दिया है। कई दिनों से चल रही बारिश किसानों पर आफत बनकर बरसी है। खेतों में खड़ी धान और सब्जी की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई इलाकों में बारिश के कारण जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। कई जगह विद्युत आपूर्ति प्रभावित हुई है तो सड़क यातायात पर भी असर पड़ा है। बारिश के कारण हुए हादसे में सिर्फ उत्तर प्रदेश में 25 लोगों की मौत हो गई है।

उप्र और उत्तराखंड के स्कूलों में अवकाश हुआ

उप्र और उत्तराखंड में कई जिलों में स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया गया है। बिहार के कई जिलों में भारी वर्षा को लेकर चेतावनी जारी की गई है। भारतीय मौसम विज्ञान के आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में अक्टूबर में वर्षा का 15 साल का रिकार्ड टूट गया। शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे से रविवार सुबह साढ़े आठ बजे तक 74.3 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो 2007 के बाद से इस अवधि में सर्वाधिक है। तापमान में भी रिकार्ड गिरावट दर्ज की गई है। न्यूनतम और अधिकतम तापमान का अंतर रविवार को 2.6 डिग्री रिकार्ड किया गया, जो अक्टूबर माह में 53 साल (1969 के बाद) में सबसे कम है। इससे पहले 1998 में 19 अक्टूबर के दिन यह अंतर 3.1 डिग्री रहा था।

दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में मंगलवार से आसमान साफ होगा

पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता है वर्षा की वजह मौसम विभाग के अनुसार उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी मध्य प्रदेश एवं पूर्वी राजस्थान में हो रही इस बर्षा की वजह पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता है, जो निचले स्तर पर पूर्व दिशा से चल रही हवा के साथ मध्य और ऊपरी वायुमंडल में कम हवा के दबाव के कारण बना है।

पूर्व से आ रही हवा नमी के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है, जो बारिश का कारण बनती हैं। यह गुजरात और पूर्वी राजस्थान में अरब सागर से उत्तराखंड तक दिल्ली क्षेत्र को पार करते हुए अपने पैर पसारती है।

मौसम विभाग के वरिष्ठ विज्ञानी आरके जेनामणि ने बताया कि दो-तीन दिन तक वर्षा के हालात रहेंगे। दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में मंगलवार से आसमान साफ होने लगेगा। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में दो दिन और अच्छी बरसात होगी। कुछ दिनों में बरसात केवल पहाड़ी इलाकों में ही रह जाएगी।

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उप्र के कई जिलों में हालात त्रासदपूर्ण

अतिवर्षा और बाढ़ से उत्तर प्रदेश में बलरामपुर, श्रावस्ती, लखीमपुर, बहराइच, सीतापुर और गोंडा समेत कई जिलों में हालात त्रासद हो गए हैं। बलरामपुर में 400 गांव बाढ़ के पानी से घिरे हैं। यहां बाढ़ के कारण नेशनल हाईवे डूब गया है, जिससे आवागमन बंद हो गया है।

बहराइच में 150 गांवों तो गोंडा जिले के 96 गांवों में बाढ़ ने तबाही मचाई है। प्रभावित क्षेत्र में आवागमन के लिए 30 नाव लगाई गई हैं। गोरखपुर में 58 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। आवागमन के लिए प्रशासन की ओर से 22 नाव लगाई गई है। बस्ती, देवरिया एवं आसपास सरयू भी तेजी से बढ़ रही है।

बड़हलगंज में जलधारा के बीच नाव पलटने से दो लोग बह गए। वज्रपात सहित घर गिरने सहित अन्य दुर्घटनाओं में 23 लोगों की मौत हुई। अयोध्या जिले में किसान ओमनारायण शुक्ल (56) की पानी में डूबी धान की तैयार फसल देखने के बाद सदमा लगने से मौत हो गई।

किसानों के लिए आफत बनी बारिश

बारिश से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। उप्र में खेतों में पकने को तैयार धान, बाजरा, मक्का की फसलें काफी प्रभावित हुई हैं। आलू, उड़द व सरसों की फसल को नुकसान हुआ है। कानपुर मंडल में खेतों में पानी भरने से तिल, बाजरा सहित अन्य फसलें गिर गईं, जबकि सरसों व मक्के की कटी फसल को भी नुकसान पहुंचा है।

मध्य प्रदेश में गुरुवार से शनिवार तक हुई वर्षा के कारण खरीफ फसलों को नुकसान पहुंचा है। धान की फसल खेतों में ही बिछ गई है। यही स्थिति सोयाबीन और सब्जियों की भी है। मूंग, उड़द और मसूर की फसल की प्रभावित हुई है।

राजस्थान में किसानों को मुआवजा मिलेगा

राजस्थान सरकार ने किसानों की मदद की घोषणा की है। सरकार ने बीमा कंपनियों को तत्काल फसल नुकसान का सर्वे शुरू करने का निर्देश दिया है। प्रभावित किसानों को 72 घंटे के भीतर फसल खराब होने की सूचना संबंधित जिले में कार्यरत बीमा कंपनी को देनी होगी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 14 दिन के भीतर नुकसान का मुआवजा दिए जाने का प्रविधान हैं।

कानपुर में ओएचई फेल, राजधानी समेत दो दर्जन ट्रेनें जहां की तहां खड़ीं

लगातार वर्षा के कारण रविवार रात साढ़े नौ बजे कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन के पास ओवर हेड इलेक्टि्रक (ओएचई) फेल होने से ट्रेनों का संचालन ठप हो गया था जिसमें कई राजधानी के साथ अन्य एक्सप्रेस और मेल ट्रेनें सेंट्रल स्टेशन के प्लेटफार्मों, आउटर और आसपास के स्टेशनों पर खड़ी हो गईं। इसका असर दिल्ली-हावड़ा रूट की ट्रेनों पर सबसे ज्यादा पड़ा है। रात 12 बजे तक ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। कई ट्रेनें आसपास के रेलवे स्टेशनों पर रोक दी गई हैं।

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