Friday, April 19, 2024
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अवैध खनन से निकले खनिजों को बाजार तक पहुंच का रास्ता है ओभरलोड

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सोनभद्र।सोनभद्र का लाइफ लाइन कहा जाने वाला खनन उद्योग हमेशा से ही सूबे की राजनीतिक माहौल में गर्मी पैदा करता रहता है तथा सूबाई शियासतदानों के राजनीतिक कौशल की परीक्षा भी लेता रहता है। यहां तक की कई बार तो सोनभद्र के खनन उद्योग ने ही मुख्यमंत्री की कुर्सी तक को हिला दिया है। यदि वर्तमान भाजपा सरकार के पहले के सरकारों के कार्यकाल मसलन पूर्व में चाहे मायावती की सरकार रही हो अथवा अखिलेश यादव की अगुवाई वाली सपा सरकार की बात करें तो पूरे पांच साल तक सरकार पर सोनभद्र के खनन उद्योग की छाया रही और अखिलेश सरकार के खिलाफ भाजपा का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा भी खनन उद्योग के सहारे किया गया भ्र्ष्टाचार ही रहा।

शायद यही वजह रही कि योगी जी मुख्यमंत्री के रूप मे अपने पहले कार्यकाल में सोनभद्र के खनन उद्योग पर ताला ही जड़े रह गए।चूंकि सोनभद्र के लाल बजरी व काले रंग वाले डोलो स्टोन की बाजार में मांग अत्यधिक है और घर बनाने की इच्छा रखने वाले लोगों की चाहत यही रहती है कि वह अपना एक मजबूत घर बनावें इसलिए बाजार में सोनभद्र के लाल बजरी जिसे स्थानीय भाषा मे बालू कहा जाता है तथा सोनभद्र के काली गिट्टी की मांग बढ़ने व आपूर्ति कम होने से उसकी कीमत आसमान छूने लगी और तब खनन माफियाओं का सिंडिकेट सक्रिय होकर अवैध खनन व परिवहन के रास्ते बाजार तक इन खनन सामग्री के आपूर्ति में लग गया।

शायद यही वजह रही कि भाजपा शासन के प्रथम कार्यकाल के अंतिम वर्ष सोनभद्र में खनन उद्योग की कानूनी अड़चनों जिसमे, प्रमुख समस्या थी खनन वाले पहाड़ो पर वन विभाग की दखलंदाजी ,को किनारे कर अर्थात राजस्व की जमीन व वन विभाग की जमीनों को अलग कर धारा 20 का प्रकाशन कर सोनभद्र के खनन उद्योग को चालू तो कर दिया गया परन्तु आपको बताते चलें कि सोनभद्र में जैसे ही खनन उद्योग चालू हुआ खनन माफियाओं ने अपनी कमाई बढ़ाने का रास्ता भी ढूंढ लिया जो ओभरलोड परिवहन के रास्ते से की जा रही है। यदि खनन उद्योग से जुड़े पहलुओं की गहन पड़ताल की जय तो यह बात निकल कर आती है कि अवैध खनन से निकले खनिजों को बाजार तक पहुचाने के लिए ही खनन माफियाओं द्वारा ओभरलोडिंग का सहारा लिया जाता है।

आपको बताते चलें कि जब भी किसी लीज धारक को चाहे बालू खनन अथवा पत्थर खनन की परमिशन दी जाती है तो बाकायदा उसके खनन एरिया से निकलने वाले खनिज की मात्रा के आधार पर ही उसे खनन सामग्री परिवहन प्रपत्र(एम एम 11) दिया जाता है।शायद यही वजह है कि लीज धारक द्वारा जब इस अनुमन्य क्षेत्र व मात्रा से अधिक खनन किया जाता है तब उक्त खनन सामग्री को बाजार तक पहुचाने के लिए या तो बिना एम एम 11 अथवा एम एम 11 की मात्रा से अधिक मात्रा में खनिजों को परिवहन कराया जाता है जिसे साधारण भाषा मे ओभरलोड कहा जाता है।

ओभरलोड परिवहन का मतलब सीधा सा यह भी है कि खनन एरिया में अवैध खनन भी चल रहा है।इसे दूसरी तरह से समझा जा सकता है, जैसे खनन सामग्री लेकर एक 12 चक्का ट्रक को परिवहन करने के लिए 12 घन मीटर का परमिट(एम एम 11) दिया जाता है।12 घन मीटर को यदि फ़ीट में बदलते हैं तो लगभग 500 फ़ीट बालू अथवा गिट्टी आती है जबकि सोनभद्र में संचालित अधिकतर ट्रकों को देखा गया है कि 12 घन मीटर के परमिट पर 800 फ़ीट अथवा 1000 फ़ीट तक खनिजो का परिवहन करा दिया जाता है।अब यदि इस पर गौर करें तो यह बात स्पष्ट है कि 500 फ़ीट का राजस्व देकर लगभग 1000 फ़ीट खनिज ले जाया जाता है जो सरकारी राजस्व की हानि है और बिना सरकारी राजस्व दिए खनिजों के परिवहन को ओभरलोड के रास्ते बाजार तक पहुंचा कर खनन माफियाओं द्वारा अकूत धन कमाया जा रहा है।

ऐसा नहीं है कि इस ओभरलोड परिवहन की जानकारी प्रशासन को नहीं है ,यदि पिछले कुछ महीनों में सोनभद्र जिला प्रशासन द्वारा व शासन द्वारा ओभरलोड परिवहन के रोकथाम हेतु की गई कार्यवाहियों पर गौर किया जाय तो यह बात तो स्पष्ट है कि नीचे से लेकर ऊपर तक सभी को पता है कि सोनभद्र की सड़कों का सीना चीरते हुए धड़ल्ले से ओभरलोड ट्रकों का परिवहन हो रहा है तथा इसे रोकने के लिए सरकारी कार्यवाही भी समय समय पर चलती रहती है, पर न जानें क्यूँ ओभरलोड है कि बन्द ही नहीं होता ?

अब आप समझ ही गए होंगे कि इसकी वजह क्या हो सकती है।अभी पछले महीने जिलाधिकारी सोनभद्र को निलंबित कर शासन ने यह तो जता दिया कि सरकार किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी तथा पिछले सप्ताह ही खनन विभाग के दो बैरियर इंचार्ज को भी निलंबित कर जांच बैठा दी गयी है।यहां खनन विभाग के बैरियर इंचार्ज को निलंबन आदेश को देखने से यह बात तो स्पष्ट है कि सोनभद्र में ओभरलोड खनन व परिवहन विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता से चल रहा है।मसलन निलंबन आदेश में लिखा है कि उक्त खनन लिपिकों के विरुद्ध उपलब्ध साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि इनके द्वारा खनन बैरियर से परिवहन कर रहे ट्रकों से लाखों रुपये प्रतिदिन अवैध वसूली तथा अपने सहयोगियों की मिलीभगत से अवैध खनन/परिवहन/वसूली कराकर तथा सक्रिय दलालों के साथ दुरभिसंधि कर बिना एम एम 11प्रपत्र के अथवा ओभरलोड ट्रकों के परिवहन कर रही ट्रकों को छोड़ने का कार्य किया जाता रहा है।

उक्त निलंबन आदेश को देखकर एक बात तो दावे से कही जा सकती है कि सोनभद्र में ओभरलोड चल रहा है और यदि ओभरलोड है इसका सीधा मतलब यह भी है कि अवैध खनन भी धड़ल्ले से चल रहा है।अब सवाल यही है कि क्या उक्त ओभरलोड के लिए सिर्फ खनिज विभाग के बाबू दोषी हैं।क्या ओभरलोड की निगरानी के लिए बना परिवहन विभाग जिम्मेदार नहीं है ?आखिर ए आर टी ओ प्रवर्तन जिनकी जिम्मेदारी सड़क पर ओभरलोड वाहनों की जांच की जिम्मेदारी है और उनके पास इसके लिए सरकारी कर्मचारियों का पूरा एक्सपर्ट ग्रुप होता है वह क्या कर रहे हैं ?

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