सपा ने गुरुवार को सोनभद्र में चार विधानसभा सीटों में से 3 पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है जबकि एक सीट पर अभी वेटिंग इन प्रत्याशी का खेल जारी है । फिलहाल समाजवादी पार्टी ने जिन सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं उनमें रावर्ट्सगंज विधानसभा सीट से अविनाश कुशवाहा, ओबरा विधानसभा सीट से सुनील गोंड़ और दुद्धी से विजय सिंह गोंड़ हैं । जबकि घोरावल विधानसभा सीट से अब तक कोई घोषणा नहीं हुई है ।
इनमें से सर्वाधिक चर्चा के केंद्र में सदर की सीट है जहाँ से पूर्व विधायक अविनाश कुशवाहा को मौका मिला है जबकि ओबरा से युवा चेहरे के तौर पर सपा ने जिला पंचायत सदस्य सुनील गोंड़ को मौका दिया है । सुनील गोंड़ की पत्नी भी इस बार ग्राम प्रधान बनी है । वहीं दुद्धी से पुराने नेता व पूर्व मंत्री रहे विजय सिंह गोंड़ को टिकट देकर सपा ने उन्हें मैदान में उतार दिया है ।
सदर सीट की बात करें तो 2012 विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने वाले अविनाश कुशवाहा को 2017 के प्रचंड मोदी लहर में हार का सामना करना पड़ा था । यहाँ यह बात भी विचारणीय है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद अविनाश कुशवाहा ने पूर्व के विधानसभा चुनाव अर्थात 2012 में पाए मतों से अधिक मत प्राप्त कर भी हार गए थे।इससे एक बात तो साफ थी कि अपने पांच साल के विधायी कार्यकाल में वह जनता में लोकप्रिय बने हुए थे परन्तु मोदी लहर में भाजपा प्रत्याशी को एकतरफा वोट मिलने के कारण ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। शायद यही वजह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में हार के वावजूद एक बार फिर पार्टी ने अविनाश कुशवाहा पर दांव चला है । आपको बताते चलें कि अविनाश कुशवाहा की अपनी बिरादरी में अच्छी पैठ मानी जाती है । साथ ही युवा होने के साथ सपा का बेस वोट उनके साथ रहेगा, जिसे देखते हुए पार्टी उन्हें यह टिकट देकर जीत का सपना देख रही है । लेकिन अविनाश कुशवाहा का खुद के संगठन में भी विरोध है । जानकार मानते है कि सपा को अब सबसे पहले डैमेज कंट्रोल पर काम करना चाहिए और नाराज लोगों को बिठाकर बात करनी होगी वरना यह न सिर्फ उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं बल्कि विरोधियों की राह आसान कर सकते हैं
पूर्व विधायक अविनाश कुशवाहा भी जानते है कि उन्हें एंटी सत्ता का कुछ लाभ मिलेगा लेकिन सिर्फ एन्टी रिएक्शन से उनकी राह आसान नहीं होगा ।हालांकि अभी कांग्रेस, भाजपा व बसपा ने अपना पत्ता नहीं खोला है । ऐसे में अब सबकी निगाह इन दलों पर लगी है कि इन दलों से कौन से प्रत्याशी आते हैं ।
राजनीतिक जानकरों की माने तो घोरावल की सीट अभी किन्हीं कारणों से वेटिंग में है लेकिन यह सीट भी पूरे जनपद की राह तय करेंगी । चर्चा तो यह भी है कि यह सीट अपनादल (कृष्णा पटेल गुट) मांग रही है लेकिन अभी कुछ भी तय नहीं है । पिछली बार इस सीट से पूर्व विधायक रमेश दुबे चुनाव लड़े थे और उन्हें भी मोदी लहर में अपनी सीट गंवानी पड़ी थी । यदि ऐसे में इस बार यह सीट ब्राह्मण को छोड़कर किसी अन्य बिरादरी को जाती है तो पूरे जनपद से ब्राह्मण को टिकट न मिलने का संदेश भी जा सकता है । और यह तब जब इस बार हर दल ब्राह्मण कार्ड खेलने में लगा हुआ है । यहां तक कि कई दल तो ब्राह्मणों को साधने के लिए सम्मेलन तक कराए ।
जानकार मानते है कि सोनभद्र में ब्राह्मणों की संख्या अच्छी-खासी है और यदि उनका कोई दल उपेक्षा करता है तो यह उनके लिए उपयोगी नहीं होगा और विरोधी एंटी ब्राह्मण का संदेश फैलाकर इसका लाभ ले सकते हैं।
कुल मिलाकर सदर की सीट से और कौन कौन प्रत्याशी बनता है यह तो कुछ दिनों में साफ हो जाएगा। लेकिन सपा ने सबसे पहले प्रत्याशी घोषित कर चुनावी रण में अपना ताल तो ठोक ही दिया है । अब जल्द ही लोगों को सदर पर ग़दर देखने को मिलेगा ।