Thursday, March 28, 2024
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हिण्डाल्को इंडस्ट्रीज नियम- कानूनों की खुलेआम अनदेखी कर पर्यावरण को कर रहा प्रदूषित-सन्तोष पटेल

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हिण्डाल्को इंडस्ट्रीज रेनुकूट सोनभद्र द्वारा सरकारी मानकों एवं नियम- कानूनों की खुलेआम अनदेखी कर मनमानी तरीके से कार्य किए जाने के संबंध में जनतादल यूनाइटेड के जिलाध्यक्ष सन्तोष पटेल ने केंद्रीय इस्पात मंत्री को पत्र लिखकर इस उक्त संस्थान के क्रियाकलापों की जांच कर पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोकने की मांग की है।

इस्पात मंत्री को सम्बोधित पत्र में उन्होंने लिखा है कि जनता दल यूनाइटेड सोनभद्र की जिला कार्यकारिणी में रेनुकूट के सक्रिय सदस्यों व पदाधिकारियों की शिकायत है कि उ0प्र0 के सोनभद्र (रेनुकूट) जिले में स्थित हिंडाल्को इंडस्ट्रीज द्वारा सरकारी मानकों एवं नियम- कानूनों यथा- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986, संशोधित 1991 तथा जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974, संशोधित 1988 तथा वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981, संशोधित 1987 तथा खतरनाक व अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम 2016 तथा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 एवं केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी)- एआईएस 219 द्वारा निर्धारित ईएलवी के पर्यावरणीय सुदृढ़ प्रबंधन के लिए दिशा- निर्देश नवंबर, 2016 इत्यादि की खुलेआम अनदेखी एवं मनमानी करने के साथ ही हिण्डाल्को इंडस्ट्रीज के अधिकारी व कर्मचारीगण उपरोक्त समस्त नियम कानूनों के प्रति पूर्णरूप से भयाहीन होकर तानाशाही तरीके से कार्य कर रहे हैं।

जिसका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है- 1- हिण्डाल्को इंडस्ट्रीज पर्यावरण संरक्षण के प्रति पूर्णतया उदासीन है। पेड़- पौधों को लगाने की कौन कहे, उल्टे अंग्रेजों की तरह विस्तारवादी नीति की तरह भ्रष्ट अधिकारियों से मिलकर लगातार आसपास के जंगल को काटकर अपनी चहारदीवारी में मिलाने का काम वर्षों से अनवरत जारी है। अर्थात् हिंडाल्को का भौतिक/ स्थलीय क्षेत्र अनवरत बढ़ता जा रहा है। जिसे स्थानीय क्षेत्र/ रेनुकूट का बच्चा- बच्चा जानता है।

2-हिण्डाल्को द्वारा इंडस्ट्रीज से उत्सर्जित दूषित जल को सही ढंग से प्रबंधन करने की बजाय ऐसे ही खुलेआम बहा दिया जाता है। जिससे क्षेत्र में गंदगी व भूगर्भ जल का प्रदूषण दिन प्रतिदिन अनवरत बढ़ता जा रहा है।

3-हिण्डाल्को इंडस्ट्रीज पर्यावरणीय चिंताओं की बिना परवाह किए अपनी चिमनियों को अत्याधुनिक मानकों से सुसज्जित किए बिना औद्योगिक धुंए को घोर लापरवाही के साथ उड़ाते हुए क्षेत्रीय नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ कर रहा है।

4-हिण्डाल्को इंडस्ट्रीज खतरनाक व अन्य ठोस अपशिष्टों (कचरे) को आमजन (विशेषतया- भिखारियों के वेष में कबाड़चोर, जिन्हें इंडस्ट्रीज के कुछ कर्मचारियों व कबाड़ माफियाओं की अनैतिक शह प्राप्त होती है) की पहंुच वाले स्थानों पर खुलेआम फेंकने का करता है। जिससे न केवल विभिन्न प्रकार की स्थानीय सामाजिक बुराइयां उत्पन्न हो रही हैं, अपितु बड़े पैमाने पर मृदा प्रदूषण को भी बढ़ावा मिल रहा है।

5–राष्ट्रीय इस्पात नीति- 2005 के बिंदु संख्या 11 के क्रम में पर्यावरण संबंधी चिंता विषय पर हिण्डाल्को इंडस्ट्रीज पूरी तरह से असफल साबित हुआ है। जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि,‘‘पर्यावरण संबंधी जांच और जीवन चक्र के आकलन को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि संबंधित प्रक्रियाओं में होने वाले उत्सर्जन और बहिःस्राव में कमी, ठोस अपशिष्ट के सृजन में कमी और उसका बेहतर प्रबंधन तथा ऊर्जा एवं जल जैसे संसाधनों के संरक्षण में सुधार हो सके।’’
जबकि भारत सरकार का यह प्रयास रहा है कि अत्याधुनिक पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों को अपनाकर वैश्विक रूप से प्रतियोगी उद्योग विकसित किया जाय। ऐसे में हिण्डाल्को इंडस्ट्रीज का पूरा सच सामने लाने के लिए मंत्रालय के जिम्मेवार अधिकारियों या सलाहकार परिषद/ बोर्ड के सदस्यों द्वारा जदयू कार्यकर्ताओं के समक्ष जांच किया जाना आवश्यक हो जाता है। उक्त पत्र में मांग की गई है कि सोनभद्र के जदयू पदाधिकारियों की शिकायत के आधार पर जनता दल यूनाइटेड मांग करता है कि वायु, जल तथा मृदा प्रदूषण बढ़ाने, औद्योगिक ठोस एवं तरल अपशिष्टों का सही प्रबंधन न करने, विस्तारवादी नीति के तहत जंगल व जमीन को क्षति पहंुचाने, स्थानीय क्षेत्र में छुटभैया अपराधियों/ कबाड़चोरों को बढ़ावा देने, स्थानीय स्तर पर परोक्ष रूप से सामाजिक बुराइयों को बढ़ावा देने एवं उपरोक्त अनेक नियम कानूनों के प्रति पूर्णरूप से भयाहीन होकर तानाशाही तरीके से काम करने वाले रेनुकूट सोनभद्र में स्थित हिण्डाल्को इंडस्ट्रीज के कार्यशैली की उच्च स्तरीय अर्थात् मंत्रालय के जिम्मेवार अधिकारियों या सलाहकार परिषद/ बोर्ड के सदस्यों द्वारा सोनभद्र की जदयू टीम के साथ आवश्यक जांच कराकर उपरोक्त समस्त अधिनियमों के अधीन कानूनी कार्रवाई की जय ।

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