Sonbhadra news: सोलर वाटर पम्प लगाने में हुई गड़बड़ियों की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित
पंचायत विभाग पर पैनी नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि कहीं अन्य जांचों की तरह यह जांच भी फाइलों में दम तो नहीं तोड़ देगी ?
सवाल तो यह भी उठ रहा कि जब भाजपा के जिला महामंत्री ने म्योरपुर ब्लाक में सोलर वाटर पम्प लगाने में की जा रही गड़बड़ी व घोटाले की आशंका जताई थी और उनके पत्र पर मुख्यविकास अधिकारी ने जांच के आदेश भी दिए थे तो उक्त जांच में आखिर क्या मिला ?
Sonbhadra news (सोनभद्र)। लोग कहते हैं कि नाम का बड़ा असर पड़ता है शायद बुजुर्गों की यह बात सही है क्योंकि प्रशासन में एक विभाग है जिसका नाम ही है पंचायत और इस विभाग में शायद ही कोई ऐसा काम हो जिसकी पंचायत न होती हो। कभी बेंच घोटाले को लेकर पंचायत तो कभी हैंडपंप रिबोर करने में हुई गड़बड़ियों की पंचायत तो कभी स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए हुई सप्लाई में गड़बड़ी की पंचायत तो वर्तमान समय में सोलर वाटर पम्प लगाने के नाम पर हुये घोटाले की पंचायत के कारण विभाग चर्चा में है।फिलहाल सोलर वाटर पम्प अधिष्ठापन में हुई गड़बड़ियों की जांच हेतु जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है जो घोटाले की जांच कर अपनी रिपोर्ट जल्द ही जिलाधिकारी को सौंप देगी और जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
यहां आपको बताते चलें कि सोनभद्र के दूरस्थ कुछ ब्लाकों में पेयजलापूर्ति के लिए लगाए गए सोलर वाटर पम्प में बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर खरीदने का आरोप लगाते हुए जनप्रतिनिधियों ने जांच के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा था पर अन्य जांचों की तरह इस जांच को ठंडे बस्ते में डाल अधिकारियों ने आंखे मूंद ली और घोटाले में लिप्त लोग सप्लायर को पेमेंट कराने में सफल रहे।यहां यह बात उल्लेखनीय है कि जब सोलर वाटर पम्प लगाने में की जा रही गड़बड़ी के बाबत सत्ताधारी पार्टी के एक जिला पदाधिकारी ने जनपद के उच्चाधिकारियों से लिखित शिकायत की थी और उनके पत्र पर जांच कमेटी का गठन भी किया गया था तो उक्त जांच के बाद भी आखिर घोटाला कैसे हो गया ? क्या जांच अधिकारियों ने ग्राम पंचायतों में लगने वाली सामग्री का सामान्यतया बाजारू कीमत पता करना मुनासिब नहीं समझा ? या फिर अन्य मामलों की तरह उक्त घोटाले पर पंचायत चलती रही और घोटालेबाज अपना काम कर गए।
यह भी पढ़ें (also read) Bovine Remains News : वो कौन है जो सोनभद्र के सौहार्द्र से खेलना चाहता है ?
यहां यह बात भी विचारणीय है कि सोलर वाटर पम्प का सप्लायर भी प्रयागराज का है, इसके पूर्व भी कम कीमत के बेंच की अधिक कीमत पर आपूर्ति कर लाखों रुपए का घोटाला करने वाला व्यापारी भी प्रयागराज का ही है।आखिर ग्राम पंचायतों में सप्लाई देने वाले उक्त व्यापारियों को सोनभद्र के ग्रामपंचायतों में सप्लाई की जानकारी किस माध्यम से हुई यह भी जांच का विषय है। कम कीमत की समान को बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर सोनभद्र में सप्लाई कर घोटाले किये जाने की जांच तथा उक्त व्यापारी को सप्लाई लेने में भूमिका निभाने वाले लोगों की जांच हेतु जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय समिति का गठन करते ही फिलहाल जनपद में कुछ लोगों की सांसें फूल रही हैं अब देखना होगा कि आगे क्या होता है।